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कृषि सेवा केंद्रों के समय को लेकर जबर्दस्त संभ्रम

  •  सुबह 7 से 11 बजे तक 4 घंटे ही खुले रह सकेंगे कृषि सेवा केंद्र

  •  शेष समय किसानों के खेतों व गांवों तक दे सकेंगे माल की डिलीवरी

  •  प्रशासन के फैसले को लेकर किसानों में जबर्दस्त असंतोष

अमरावती/प्रतिनिधि दि.3 – इस समय संचारबंदी के दौरान सरकार एवं प्रशासन द्वारा जीवनावश्यक वस्तुओं की दुकानों को रोजाना सुबह 7 से 11 बजे तक चार घंटों के लिए खुले रहने की अनुमति दी गई है और कृषि सेवा केंद्रों का समावेश भी जीवनावश्यक व अत्यावश्यक सेवाओं में किया गया है. किंतु आगामी एक माह में खरीफ फसलों की बुआई का सीझन शुरू हो जायेगा. ऐसे में इस समय किसानों को अपने खेतों में बुआई पूर्व तैयारियां करनी पड रही है. जिसके लिए उन्हें अभी से खाद और बीज सहित कीटनाशक दवाईयों की खरीदी करनी पड रही है. लेकिन उनकी तैयारियों में अब संचारबंदी आडे आ रही है.
बता देें कि, ज्यादातर किसान जिले के ग्रामीण इलाकों में रहते है और कृषि साहित्य संबंधी खरीददारी के लिए तहसील एवं जिला स्तर पर स्थित कृषि सेवा केंद्रों पर आते है. इन दिनों जहां एक ओर गांवों से शहर आने-जाने हेतु राज्य परिवहन निगम की बसें बंद है, ऐसे में किसानों को सुबह-सुबह शहर पहुंचने में काफी तकलीफों का सामना करना पडता है, क्योंकि सभी किसानों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती और उनके पास कृषि साहित्य की माल ढुलाई हेतु खुद के साधन भी नहीं होते. ऐसे में जिले के सुदूर गांवों में रहनेवाले किसानों के सामने सबसे बडी समस्या यह है कि, वे सुबह 7 बजे तहसील एवं जिला मुख्यालय वाले शहर में स्थित कृषि सेवा केंद्र पर कैसे पहुंचे. वहीं जिन किसानों के पास साधन उपलब्ध है, वे इन्हीं चार घंटों के दौरान कृषि सेवा केंद्रों पर पहुंचकर वहां अच्छीखासी भीडभाड कर रहे है. इससे भी कोविड संक्रमण के फैलने का खतरा बना हुआ है. उल्लेखनीय है कि, इन दिनों जिले के ग्रामीण इलाकों में ही सर्वाधिक कोविड संक्रमित मरीज पाये जा रहे है. ऐसे में अपने खेती किसानी संबंधी कामों के लिए कृषि साहित्य खरीदने हेतु सुबह-सुबह कृषि सेवा केंद्र पहुंचकर भीडभाड करनेवाले किसानों को खतरे में कहा जा सकता है.
विगत दिनों जिला प्रशासन के सुत्रों से खबर मिली थी कि, कृषि सेवा केंद्रों पर होनेवाली भीडभाड तथा आगामी खरीफ के सीझन को देखते हुए प्रशासन द्वारा कृषि सेवा केेंद्रों को रोजाना सुबह 7 से दोपहर 3 बजे तक खुले रहने की अनुमति दी जा रही है. किंतु अब पता चला है कि, कृषि सेवा केंद्रों को रोजाना सुबह 7 से 11 बजे तक चार घंटे ही खुले रहने की अनुमति है. इसके पश्चात वे किसानों से ऑनलाईन ऑर्डर लेकर उनके घर अथवा खेत तक कृषि संबंधी साहित्य की डिलीवरी पहुंचा सकते है. प्रशासन के इस फैसले को अमरावती जिले के लिहाज से पूरी तरह अव्यवहारिक कहा जा सकता है. क्योंकि जिले में अधिकांश किसान एकड-दो एकड की खेती रखनेवाले अल्प भूधारक है. जिनके द्वारा की जानेवाली खरीददारी बेहद कम रकम की होती है. ऐसे किसान सुबह-सबेरे गांव से तहसील या जिला वाले शहर पहुंचने में असक्षम होते है. साथ ही यदि वे कृषि सेवा केंद्र को फोन पर अपनी ऑर्डर भी लिखवाये, तो उनके द्वारा लिखवाई गई ऑर्डर को उनके गांव या खेत में पहुंचाना कृषि सेवा केंद्र संचालक के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकता है, क्योेंकि इस माल पर जितने रूपये की कमाई नहीं होगी, उससे अधिक रकम को माल ढुलाई पर कृषि केंद्र संचालक के माथे पड जायेगी. वहीं हर अल्प भूधारक किसान के पास मोबाईल या फोन की सुविधा भी उपलब्ध नहीं होती. ऐसे में अपने लिए जरूरी कृषि साहित्य का ऑनलाईन ऑर्डर बुक कराना भी इन किसानों के लिए एक तरह से समस्या ही है.
उपरोक्त तमाम स्थितियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि, कृषि सेवा केंद्रों के संदर्भ में प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा जमीनी हकीकत की अनदेखी करते हुए अपने वातानुकूलित कक्षों में बैठकर हवा-हवाई निर्णय लिया गया है. यह निर्णय बडे महानगरों के लिहाज से तो काफी हद तक कारगर साबित हो सकता है, किंतु अमरावती जिले और यहां के ग्रामीण इलाकों के लिहाज से यह फैसला अव्यवहारिक है. अत: प्रशासन द्वारा अमरावती शहर सहित जिले के तहसील क्षेत्रों में स्थित कृषि सेवा केंद्रों को संचारबंदी के दौरान खुले रहने के समय में अतिरिक्त छूट दी जानी चाहिए. वैसे भी कृषि सेवा केेंद्रों में अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों की तरह सर्वसामान्य नागरिक खरीददारी करने नहीं जाता है, बल्कि वहां पर केवल किसान ही खरीफ और रबी फसलों की बुआई के समय कृषि साहित्य की खरीददारी हेतु पहुंचते है और चूंकि इस समय खरीफ फसलों की बुआई हेतु पूर्व तैयारी चल रही है. ऐसे में किसानोें को इस कार्य हेतु आवश्यक तमाम साहित्यों की अबाधित आपूर्ति होना जरूरी है. अन्यथा इसका परिणाम खरीफ फसलों के उत्पादन पर दिखाई पड सकता है. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, जिला प्रशासन सहित राज्य सरकार द्वारा कृषि सेवा केंद्रों को संचारबंदी के दौरान अतिरिक्त छूट देने पर पुनर्विचार किया जाये, क्योेंकि सरकार एवं प्रशासन के मौजूदा फैसले की वजह से हो रही तकलीफों व दिक्कतों के चलते जिले के किसानों में जबर्दस्त रोष व संताप की लहर है.

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