* दर्यापुर की अदालत ने 3 आरोपियों को सुनाई सजा
* आरोपियों मेें एक कृषि अधिकारी का भी समावेश
दर्यापुर /दि.10– दर्यापुर पुलिस स्टेशन में धारा 420, 468, 471 व 34 के तहत दर्ज मामले की विभागीय जांच के दौरान प्रत्यक्ष गवाह को पेश करने की बजाय 2 फर्जी गवाहों को पेश करते हुए उनके हस्ताक्षर व बयान दर्ज करवाने के मामले में दर्यापुर के दिवानी व फौजदारी न्यायालय ने तीन आरोपियों को अलग-अलग धाराओं में अधिकतम एक-एक वर्ष के कालावधी की सजा सुनवाई. साथ ही 15-15 हजार रुपए का आर्थिक जुर्माना भरने हेतु कहा. सभी धाराओं में सुनाई गई कारावास की सजा एकसाथ चलेगी.
जानकारी के मुताबिक दर्यापुर पंचायत समिति के कृषि अधिकारी राजेश उमाकांत पाटिल (कमल कालोनी, यशोदा नगर नं.2, अमरावती) के खिलाफ घटक योजनांतर्गत साहित्य की अफरा-तफरी करने से संबंधित मामले में विभागीय जांच चल रही थी. इस जांच के दौरान राजेश पाटिल ने प्रत्यक्ष गवाहों को पेश करने की बजाय अरुण डोमाजी जामनिक (रासेगांव) तथा संजय शाहुराव गडपाल (सावनेर) को गवाह के तौर पर पेश किया. जिन्होंने अपने बनावटी नाम बताते हुए गवाही देने के साथ ही फर्जी हस्ताक्षर किए थे. यह मामला ध्यान में आते ही तीनों लोगों के खिलाफ दर्यापुर पुलिस थाने में भादंवि की धारा 420, 468, 471 व 34 के तहत अपराधिक मामला दर्ज किया गया था तथा मामले की जांच पूरी करते हुए दर्यापुर की अदालत में चार्जशीट पेश की गई थी. जहां पर प्रथम श्रेणी न्यायदंडाधिकारी यादव की अदालत ने दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद आरोपियों को दोषी करार दिया. जिसके तहत तीनों आरोपियों को धारा 419 के तहत एक-एक साल के सश्रम कारावास व 5-5 हजार रुपए के जुर्माने, धारा 468 में एक-एक साल के सश्रम कारावास व 5-5 हजार रुपए के जुर्माने तथा धारा 471 के अंतर्गत एक-एक साल के सश्रम कारावास व 5-5 हजार रुपए के जुर्माने की सजा सुनाई. जुर्माना अदा नहीं करने पर आरोपियों को एक-एक माह का अतिरिक्त कारावास भुगतना होगा. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से सरकारी अभियोक्ता वसूले ने पैरवी की. वहीं पैरवी अधिकारी के तौर पर एएसआई प्रदीप भोंडे व जांच अधिकारी के तौर पर पोहेकां वासुदेव नागलकर द्बारा जिम्मेदारी निभाई गई.