मार्च एंडिंग पर निधि खर्च की ‘हनुमान कूद’
तीन दिन में 47 फीसद से 78 फीसद पर पहुंची खर्च की राशि
* एक ही माह में 31 फीसद की हुई रिकॉर्डतोड वृद्धि
* जनवरी माह तक केवल 40 फीसद हुआ था खर्च
मुंबई/दि.4 – महाविकास आघाडी सरकार के कार्यकाल दौरान रखे गए बजट और इसके पश्चात सत्ता में आई शिंदे-फडणवीस सरकार के कार्यकाल दौरान सरकार ने बजट के प्रावधानों में से 78 फीसद निधि खर्च करने का ध्येय पूरा किया है. आर्थिक वर्ष 2022-23 में जनता हेतु विविध योजनाओं व प्रकल्पों पर निधि खर्च करने में सरकार को बेहतरीन सफलता मिली है. यहीं वजह है कि, आर्थिक वर्ष के अंतिम मार्च माह में खर्च की राशि 47 फीसद से बढकर सीधे 78 फीसद पर जा पहुंची है. यानि एक ही माह के दौरान खर्च की राशि में 31 फीसद की वृद्धि हुई है. जबकि इससे पहले जनवरी माह तक केवल 40 फीसद निधि खर्च हुई थी. जिसका प्रमाण बढकर मार्च माह तक 47 फीसद हुआ था. वहीं मार्च माह के अंत तक 78 फीसद राशि खर्च हुई है.
बता दें कि, राज्य सरकार ने वस्तु व सेवाकर (जीएसटी), मुद्रांक शुल्क पंजीयन व आबकारी शुल्क पंजीयन के जरिए बडे पैमाने पर राजस्व हासिल किया. इस माध्यम से सरकार को 6 लाख 53 हजार करोड रुपयों की आय हुई. जिसमें से सरकार ने 5 लाख 5 हजार करोड रुपए की निधि खर्च की. विगत आर्थिक वर्ष के दौरान दिसंबर माह तक 60 फीसद निधि का खर्च अपेक्षित रहने के बावजूद जनवरी माह में राज्य का खर्च केवल 40 फीसद था. वहीं आर्थिक वर्ष के अंत तक विभाग निहाय खर्च 66 फीसद तक पहुंचा. साथ ही कर्ज व ब्याज अदा करने के उपरान्त खर्च का कुल प्रतिशत 78 फीसद तक पहुंच गया. विशेष उल्लेखनीय है कि, जीएसटी, मूल्यवर्धित कर, मुद्रांक शुल्क तथा आबकारी कर के संकलन में इस वर्ष 25 हजार करोड रुपयों की वृद्धि हुई है.
* अंतिम दिन 27,700 करोड का खर्च
आर्थिक वर्ष के अंतिम दिन 31 मार्च को 27 हजार 700 करोड रुपयों के देयक मंजूर हुए है. यह रकम कुल बजट की तुलना में करीब 5 फीसद है. वहीं अंतिम सप्ताह में करीब 50 हजार करोड रुपयों से अधिक की रकम के खर्च को मंजूरी दी गई है.
* शालेय शिक्षा विभाग रहा सबसे आगे
– गृह निर्माण विभाग ने 29 हजार 349 करोड रुपए की निधि खर्च की. यह रकम नियोजित खर्च की तुलना में 18.6 फीसद है.
– वित्त विभाग में कुल वितरण की तुलना में 32 फीसद यानि 47 हजार 110 करोड रुपए खर्च किए है.
– जलापूर्ति विभाग मेें 11 हजार 898 करोड की नियोजित खर्च में से 35.2 फीसद यानि 24 हजार 188 करोड रुपए खर्च किए.
– शालेय शिक्षा विभाग ने सर्वाधिक 93.8 फीसद यानि 266.48 करोड रुपए खर्च करते हुए खर्च के मामले मेें अव्वल स्थान हासिल किया है.
– सहकार विभाग ने 28,761 करोड के कुल प्रावधान में से 27,970 यानि 91 फीसद खर्च किया है.
– उच्च व तंत्रशिक्षा विभाग ने भी 12,029 करोड में से 91 फीसद निधि खर्च की है.
– महिला व बालकल्याण विभाग ने 98.7 फीसद तथा नागरी विकास विभाग ने 84.5 फीसद निधि जारी आर्थिक वर्ष के दौरान खर्च की है.