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क्या वाकई मनपा की नींद खुल गई है?

 जगह-जगह फवारणी-धुवारणी की चल रही लीपापोती

  •  अब भी कई इलाकों में लगे हुए है कचरे व गंदगी के ढेर

  •  खुद पालकमंत्री का निवास क्षेत्र भी अव्यवस्था से अछूता नहीं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.31 – विगत दस दिनों से दैनिक अमरावती मंडल द्वारा कचरे व गंदगी की समस्या तथा साफ-सफाई की व्यवस्था के खिलाफ पूरजोर ढंग से आवाज उठाये जाने का अब असर दिखाई देने लगा है, क्योेंकि इस विषय को लेकर कई राजनीतिक व सामाजिक संगठनों सहित शहर के जागरूक नागरिकों तथा अन्य समाचार पत्रों द्वारा भी आवाज उठायी जाने लगी है. चहुंओर से उठती इन आवाजों के चलते मनपा प्रशासन पर साफ-सफाई व्यवस्था को चुस्त-दुरूस्त रखने का दबाव तो बना ही है, साथ ही मंडल द्वारा रोजाना एक के बाद एक खबरे प्रकाशित किये जाने और खबरों के साथ जमीनी हकीकत के सबूत दिये जाने की वजह से प्रशासन में जबर्दस्त हडकंप व्याप्त है. जिसकी वजह से अब मनपा के स्वच्छता विभाग द्वारा शहर के विभिन्न इलाकों में फवारणी व धुवारणी जैसे काम करने के साथ ही डेंग्यू व चिकन गुनिया की संक्रामक महामारी के खिलाफ जनजागृति रैली निकाली जा रही है. जिसे लेकर फोटो सहित प्रेस नोट भी जारी किये जा रहे है. किंतु इन तमाम प्रयासों को नाकामी पर परदा डालने तथा लीपापोती का प्रयास करने का नाम दिया जा सकता है, क्योंकि अब भी शहर के तमाम गलि-मोहल्लों में कचरे व गंदगी के ढेर लगे हुए है और साफ-सफाई की व्यवस्था को लेकर स्थिति में कोई विशेष सुधार नहीं हो पाया है.
सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, गत रोज ही खुद राज्य की कैबिनेट मंत्री व जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर ने जिलाधीश कार्यालय में एक बैठक बुलाकर मनपा क्षेत्र सहित जिले की सभी नगरपालिका व नगर पंचायत क्षेत्रों में साफ-सफाई एवं स्वास्थ्य संबंधी कामों व सुविधाओं का जायजा लेने के साथ ही इस संदर्भ में सख्त दिशानिर्देश जारी किये है. लेकिन शायद मनपा के स्वास्थ्य विभाग ने पालकमंत्री यशोमति ठाकुर और उनके द्वारा कही गई बातों को भी हलके कान से लिया है. यहीं वजह है कि, खुद पालकमंत्री यशोमति ठाकुर का निवास क्षेत्र रहनेवाला गणेडीवाल ले-आऊट भी साफ-सफाई व्यवस्था के अभाव का शिकार है. ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है और समझा जा सकता है कि, अगर सालाना 40 करोड रूपयों का खर्च करने के बाद खुद पालकमंत्री के निवास क्षेत्र में ढंग से साफ-सफाई नहीं होती है, तो शहर के अन्य इलाकों और पिछडी बस्तियों में क्या खाक साफ-सफाई होती होगी.
बता दें कि, विगत फरवरी माह से कोविड संक्रमण की दूसरी लहर का असर शुरू होने के बाद कुछ दिनों तक अमरावती शहर के कई रिहायशी इलाकों में नियमित तौर पर किटनाशक दवाईयों का छिडकाव किया जाता था. जिसे बाद में बंद कर दिया गया और जून माह के आसपास बारिश का मौसम शुरू होने तथा भीषण गर्मी व उमस के बीच बडे पैमाने पर मच्छरों का प्रादुर्भाव होने के बावजूद फॉगींग व स्प्रे मशीन का प्रयोग बंद ही था. इसी बीच शहर में डेंग्यू व चिकनगुनिया जैसी बीमारियों ने भी पांव पसारना शुरू कर दिया. बावजूद इसके मनपा प्रशासन व स्वच्छता विभाग की नींद नहीं खुल रही थी. लेकिन विगत एक सप्ताह से दैनिक अमरावती मंडल द्वारा प्रशासन के इस लचर कार्यप्रणाली के खिलाफ मुहिम शुरू किये जाते ही पहले तो प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाडने का ही प्रयास किया. वहीं अब चौतरफा दबाव बनता देख सभी घिघियाने लगे है और स्वच्छता विभाग ने ‘मरता क्या न करता’ की तर्ज पर शहर के विभिन्न इलाकों में कीटनाशक दवाओं की फवारणी-धुवारणी करनी शुरू की है, लेकिन कचरे व गंदगी की मूल समस्या अब भी जस की तस कायम है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, क्या वाकई मनपा प्रशासन की नींद खुल गई है या फिर केवल नींद से जागने का नाटक ही किया जा रहा है.

  •  अब भी शहर में जहां-तहां लगे है कचरे के ढेर

दैनिक अमरावती मंडल द्वारा शुरू की गई पहल के बाद शहर के जागरूक नागरिकों द्वारा रोजाना कचरे व गंदगी तथा साफ-सफाई के अभाव को लेकर बडी संख्या में मेल भेजे जा रहे है. जिनमें से रोजाना कुछ चुनिंदा तस्वीरों को प्रकाशित करते हुए प्रशासन को आईना दिखाने का काम किया जा रहा है. आज प्रकाशित तस्वीरों में जिला पालकमंत्री यशोमति ठाकुर के निजी आवास के ठीक पीछे लगे कचरे के ढेर सहित समूचे जिले के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी रखनेवाले जिला परिषद के प्रांगण में पार्किंग स्थल पर लगे कचरे के ढेर को देखा जा सकता है.

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