* 400 रूपए से लेकर 3000 रूपए तक रेट अमरावती/ दि. 27– रसोई का स्वाद बढाने और सेहत बनाने के लिए घी का उपयोग किया जाता है. आयुर्वेद भी घी के सेवन पर बल देता आया है. शीघ्र जाडे का हेल्दी सीजन शुरू होनेवाला है. ऐसे में देसी घी के सेवन की मात्रा बढ जाती है. प्रति माह किराना की सूची में देसी घी का समावेश रहता है. किंतु प्रश्न घी की शुध्दता, गुणवत्ता को लेकर उपस्थित हो रहा है. हमेशा मन में शंका रहती है कि जो घी खा रहे है वह गुणवत्तापूर्ण है या नहीं ?
* अनेक प्रकार की क्वालिटी
जिले के एक प्रमुख व्यवसायी से बात की तो उन्होंने बताया कि देसी घी के अनेक ब्रांड उपलब्ध है. प्रत्येक ब्रांड का अपना दाम है. अमरावती के मार्केट में आश्चर्यजनक रूप से 400 रूपए से लेकर 3000 रूपए किलो तक क्वालिटी देसी घी रहने की जानकारी उन्होंने दी. उन्होंने बताया कि 400 रूपए का भी घी उपलब्ध है. लोग अपने- अपने उपयोग के हिसाब से ले जाते हैं. इन्हीं व्यवसायी ने कबूल किया कि कई लोग मिलावटी माल भी बेचते हैं. अमरावती में स्थानीय डेयरी पर देसी घी 800 से 1000 रूपए किलो बेचा जा रहा है. उसी प्रकार गुजरात और आंध्र से भी विविध ब्रांड का माल आता है.
* कैसे पहचानें शुध्दता
एक बर्तन में एक चम्मच घी गर्म करने के लिए रखे. यदि घी तुरंत ही पिघल जाए और उसका रंग कत्थई हो जाए तो यह शुध्द घी होगा. यदि घी को पिघलने में समय लगा और रंग हल्का पीला हो जाए तो यह घी मिलावट वाला होगा. जानकारों ने बताया कि गाय का घी पचन में हल्का तथा पीला व दानेदार होता है. भैंस का घी सफेद होता है. अनेक कारणों से कई लोग घी खाने का प्रमाण कम कर चुके है. आजकल घी में मिलावट बढ गई है. एफडीए ने अनेक माह से इस बारे में कोई कार्रवाई नहीं की है.
* दिवाली पर बढती मांग
त्यौहारी सीजन में दिवाली तक घी की मांग बढ जाती है. शुध्द घी खरीदना चाहिए. पहचान की दुकान से ही घी खरीदने की सलाह लोग देते हैं. घी की बिक्री का निश्चित आंकडा नहीं है. फिर भी त्यौहारों में अनेक टन माल की बिक्री होती है. लोग अपने इष्ट के सामने घी के दिए भी प्रज्वलित करते हैं.