‘वह’ टेडी बिअरको समझता है अपनी मां
वर्धा/दि.27 – नागपुर-मुंबई समृद्धि महामार्ग पर आए दिन होने वाले सडक हादसों में अब तक इंसानों के साथ-साथ कई बेजुबान जानवरों की भी मौत हुई है. ऐसी एक घटना दो माह पूर्व घटित हुई थी, जब वर्धा के निकट समृद्धि महामार्ग पर एक सडक हादसे में मादा बंदर की मौत हो गई थी. इस समय उस मादा बंदर के साथ उसका छोटा सा पिल्लू भी था, जो हादसे के बाद भी अपनी मां से चिपका हुआ था. उसी समय महामार्ग से गुजर रही एक एम्बुलेंस ने बुरी तरह घायल मादा बंदर व उसके पिल्लू को वर्धा के करुणाश्रम अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती कराया था. लेकिन तब तक मादा बंदर की मौत हो चुकी थी. ऐसे में करुणाश्रम अस्पताल के समक्ष सबसे बडा प्रश्न यह था कि, बंदर के इस छोटे से बच्चे को बिना मां के कैसे जिंदा रखा जाए. उस समय अस्पताल के प्राणी मित्रों ने इस छोटे से बंदर को एक टेडी बिअर दिया. जिसे वह अपनी मां समझने लगा. साथ ही बंदर के उस छोटे से बच्चे और टेडी बिअर का अनूठा रिश्ता बन गया है. प्राणी मित्रों द्बारा दूर से ही दुध दिए जाने के बाद वह बच्चा टेडी बिअर की गोद में जाकर सो जाता है और उसी के पास बैठकर दुध पिता है. इन दो माह के दौरान उस बच्चे का स्वास्थ्य पूरी तरह से सुदृढ है.
प्राणी मित्र ऋषिकेश गोडसे ने बताया कि, बंदर के इस बच्चे को इंसानों से दूर रखा गया है. क्योंकि यदि उसे इंसानों की आदत लग गई, तो वह आगे चलकर जंगल क्षेत्र में मुक्त अधिवास नहीं कर पाएंगा.