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हादसे के बाद भी सबक लेने को तैयार नहीं स्वास्थ्य महकमा

अग्निशमन यंत्रों व सुरक्षा को लेकर अब भी लापरवाही बरकरार

  • पुरानी एक्सपायरी डेट पर कट मारकर सिलेंडर को कर दिया नया

अमरावती प्रतिनिधि/दि.१२ – हाल ही में भंडारा के सरकारी अस्पताल में हुए भीषण अग्निकांड में 10 नवजात बच्चों की मौत हो गयी. जिसके बाद सरकारी अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था एवं सुरक्षा को लेकर कई तरह के सवालिया निशान लगने शुरू हुए. साथ ही यह उम्मीद भी की जाने लगी कि, संभवत: अब स्वास्थ्य महकमा अपने अख्त्यिार में रहनेवाले अस्पतालों की सुरक्षा को लेकर कुछ हद तक धीर-गंभीर होगा, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए कहा जा सकता है कि, इतने भीषण हादसे के बावजूद भी शायद स्वास्थ्य महकमा इससे कोई सबक लेने को तैयार नहीं है.
उल्लेखनीय है कि, भंडारा हादसे के बाद स्थानीय जिला सामान्य अस्पताल व जिला स्त्री अस्पताल में लगाये गये अग्निशमन यंत्रों का ‘रियालीटी’ चेक करने पर पता चला कि, दोनोें ही अस्पतालों में लगाये गये अग्निशमन यंत्रों की एक्सपायरी डेट खत्म हो चुकी है. साथ ही भंडारा हादसे के बाद दोनोें अस्पतालों में काफी हद तक लिपापोती का प्रयास चल रहा है. उल्लेखनीय है कि, इर्विन अस्पताल के नाम से विख्यात जिला सामान्य अस्पताल में समूचे जिले के सर्वसामान्य लोग इलाज हेतु भरती होते है. वहीं डफरीन अस्पताल के नाम से विख्यात जिला स्त्री अस्पताल में समूचे जिले के सर्वसामान्य वर्ग की महिलाएं प्रसूति हेतु भरती होती है और डफरीन अस्पताल में समयपूर्व प्रसूति के जरिये जन्म लेनेवाले अशक्त एवं गंभीर किस्म की बीमारियोें से पीडित नवजात बच्चों के लिए एनआयसीयू कक्ष की व्यवस्था भी है. इन दोनोें ही अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था के साथ-साथ तमाम सुरक्षा मानकों का उपलब्ध रहना बेहद जरूरी है. किंतु हैरत की बात यह रही कि, जिस समय भंडारा हादसा घटित हुआ, उस समय अमरावती के इन दोनों अस्पतालों में भी अग्निशमन यंत्रों की एक्सपायरी डेट खत्म हो चुकी थी. जिसका सीधा मतलब है कि, यदि ऐसा ही कोई हादसा इन दोनों अस्पतालों में घटित होता, तो उसके परिणाम बेहद भीषण हो सकते है. क्योेंकि उस सूरत में यहां पर लगाये गये अग्निशमन यंत्र किसी काम के नहीं होते.
शनिवार को उजागर हुए भंडारा हादसे के बावजूद सोमवार तक जिला स्त्री अस्पताल में एक्सपायरी डेट खत्म हो चुके अग्निशमन यंत्र लगे हुए है. जिसे लेकर हंगामा मचने के बाद आनन-फानन में यहां के अग्निशमन यंत्रों को तुरंत बदला गया. वहीं जिला सामान्य अस्पताल ने इससे एक कदम और आगे बढाते हुए अपने परिसर में लगे अग्निशमन यंत्रों की पुरानी एक्सपायरी डेट को काटकर वहीं पर नई डेट लिख दी. साथ ही कुछ सिलेंडरों की रिफिलींग और एक्सपायरी डेट की जानकारी छिपाने हेतु सिलेंडरों पर लगे स्टिकर ही फाड दिये गये.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, जिला सामान्य अस्पताल में कुल 379 बेड की मंजूरी है, और यहां पर रोजाना दो-ढाई सौ से अधिक मरीज अपनी स्वास्थ्य जांच के लिए आते है. साथ ही सभी वॉर्ड में क्षमता से अधिक मरीज भरती दिखाई देते है. जिला सामान्य अस्पताल में हमेशा ही साफ-सफाई को लेकर जबर्दस्त हंगामा मचता रहा है. बावजूद इसके यहां की साफ-सफाई व्यवस्था सुधरने का नाम नहीं लेती. वहीं अब भंडारा हादसे के बाद यहां की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवालिया निशान लगते नजर आ रहे है.
जिला सामान्य अस्पताल में 142 अग्निशमन यंत्रों के सिलेंडरों की रिफिलींग 27 फरवरी 2020 को की गई थी. किंतु हमारे पास रिफिलींग की तारीख दर्ज करने हेतु लगाये जानेवाले स्टिकर मात्र 20 ही थे. ऐसे में कुछ सिलेंडरों पर पुरानी तारीख को काटकर उसके स्थान पर रिफिलींग और एक्सपायरी की नई तारीख लिखी गयी है.
– प्रवीण पवार
ठेकेदार

Shamsundar-Amravati-Mandal

जिला सामान्य अस्पताल में छोटे-बडे आकारवाले 142 अग्निशमन यंत्र लगाये गये है. साथ ही मरीजों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यहां कार्यरत कर्मचारियों को प्रत्येक तीन माह में आग पर काबू पाने के संदर्भ में प्रशिक्षण दिया जाता है. ऐसा प्रशिक्षण सोमवार को भी दिया गया है. साथ ही इससे पहले डफरीन अस्पताल में एक घटना घटित हुई थी. जिसमें सौभाग्य से कोई जनहानि नहीं हुई थी. हमने इस घटना से सबक लेते हुए तमाम आवश्यक जरूरी कदम उठाये और सभी आवश्यक प्रबंध किये गये, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओें की पुनरावृत्ति न हो.
– डॉ. श्यामसुंदर निकम
जिला शल्य चिकित्सक

  • डफरीन में एनआयसीयू के दो यूनिट

बता दें कि, डफरीन अस्पताल के एनआयसीयू में आउटर व इनर ऐसे दो यूनिट बनाये गये है. जहां पर 23 बच्चों के इलाज की व्यवस्था है. इस समय यहां 20 बच्चों का इलाज चल रहा है. डफरीन अस्पताल की वैद्यकीय अधिक्षिका डॉ. विद्या वाठोडकर के मुताबिक इन दोनों यूनिट में चौबी सौ घंटे बालरोग विशेषज्ञों की टीम ड्यूटी पर तैनात रहती है और यहां के फायर उपकरणों व इलेक्ट्रीक फिटींग का प्रतिमाह एक निजी कंपनी द्वारा ऑडिट किया जाता है. साथ ही ऑडिट रिपोर्ट के मुताबिक तमाम जरूरी कदम उठाये जाते है. सुरक्षा के लिहाज से इस यूनिट में फायर अलार्म सिस्टीम, फायर डिस्ट्रीब्यूशन, स्मोक अलार्म सिस्टीम तथा जनरेटर की सुविधा उपलब्ध है. सबसे उल्लेखनीय बात यह है कि, शॉर्ट सर्किट होने की स्थिति में यहां पर बिजली आपूर्ति अपने आप खंडित हो जाये, ऐसी व्यवस्था है. जिससे आग आगे नहीं फैलती.

  • पीडीएमसी में भी तमाम जरूरी प्रबंध

उल्लेखनीय है कि, शहर में स्थित पीडीएमसी अस्पताल में वर्ष 2017 के दौरान चार नवजात बच्चों की मौत होने का मामला सामने आया था. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा यहां पर चौबी सौ घंटे कडी नजर रखी जाती है. साथ ही पीडीएमसी के बेबी केयर यूनिट में एसएनसीयू और पीआययू की व्यवस्था है. जहां पर वेेंटिलेटर, ऑक्सिजन, सिरीजपम्प एवं बेबी वॉर्मर सहित पीलीया पीडित बच्चों के लिए इलाज की विशेष व्यवस्था की गई है. पीडीएमसी के दोनों यूनिट में 10-10 बच्चों को भरती करते हुए उनका इलाज करने की व्यवस्था है. इस आशय की जानकारी देते हुए डॉ. पवन टेकाडे ने बताया कि, इन दोनों यूनिट सहित पूरे अस्पताल में किसी भी आपात स्थिति से निपटने हेतु तमाम आवश्यक प्रबंध किये गये है.

  • बार-बार घटित होनेवाली घटनाओं से सबक लेना जरूरी

– अमरावती में 22 व मेयो में 9 बच्चे बाल-बाल बचे थे
बता दें कि, अमरावती के जिला सत्री अस्पताल के नवजात शीशु अतिदक्षता विभाग में 22 अप्रैल 2019 को शॉर्टसर्किट की वजह से अकस्मात आग लग गयी थी. किंतु उस समय ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर, परिचारिका व कर्मचारी जागे हुए थे. ऐसे में वे इस विभाग में भरती 22 बच्चों की जान बचाने में सफल रहे. ऐसी ही एक घटना 31 अगस्त 2019 को नागपुर के इंदिरा गांधी सरकारी मेडिकल कॉलेज व अस्पताल (मेयो) में घटित हुई थी. जहां पर प्री-टर्म बेबी यूनिट में आग लग गयी थी और एक परिचारिका ने बडी हिम्मत दिखाते हुए 9 बच्चों की जान बचायी थी. इसके अलावा वर्ष 2009 के दौरान मेयो अस्पताल के एनआयसीयू कक्ष में वॉर्मर में रखे 27 दिनकी आयुवाले बच्चे की जलकर मौत हो गयी थी. इस मामले की जांच हुई. किंतु इसे किसी ने गंभीरतापूर्वक नहीं लिया. साथ ही मात्र दो वर्ष पूर्व अमरावती व नागपुर में घटित दो घटनाओं से सरकार सहित भंडारा जिला सामान्य अस्पताल ने भी कोई सबक नहीं सिखा. अन्यथा बीते शनिवार को घटित घटना को टाला जा सकता था.

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