स्वास्थ्य कर्मी ही दिखा रहे टीकाकरण में उदासीनता
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संभाग में दूसरे दिन मात्र 57 फीसद ने ही लगवायी वैक्सीन
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2200 में से 1249 ही पहुंचे टीका लगवाने
अमरावती/प्रतिनिधि दि.20 – विगत लंबे समय से कोरोना की संक्रामक महामारी के खिलाफ किसी कारगर वैक्सीन का इंतजार बडी बेसब्री के साथ किया जा रहा था. जो अब उपलब्ध हो गयी है. साथ ही 16 जनवरी से अमरावती जिले व संभाग सहित समूचे देश में कोविड टीकाकरण अभियान शुरू किया गया. जिसके लिए अमरावती संभाग में 22 टीकाकरण केंद्र स्थापित किये गये है. जहां पर प्रति केंद्र 100 के हिसाब से रोजाना 2200 लोगोें को टीका लगाये जाने का लक्ष्य तय किया गया है. उल्लेखनीय है कि, टीकाकरण अभियान के पहले चरण में निजी व सरकारी क्षेत्र के डॉक्टरों व मेडिकल स्टाफ के लोगोें को कोविड वैक्सीन लगाया जाना तय किया गया है. किंतु हैरत की बात यह है कि, कोरोना काल के दौरान अपने प्राणों की परवाह किये बिना कोरोना संक्रमित मरीजों की सेवा करनेवाले फ्रंटलाईन वर्कर्स खुद को कोविड वैक्सीन लगवाने से डर रहे है. यहीं वजह है कि, मंगलवार 19 जनवरी को जब इस अभियान की दुबारा शुरूआत हुई, तो संभाग के 22 केंद्रों पर 2200 की बजाय मात्र 56.77 फीसदी यानी 1249 स्वास्थ्य कर्मी ही कोविड वैक्सीन लगवाने हेतु पहुंचे. जिसमें सबसे कम 41.60 फीसदी टीकाकरण संभागीय मुख्यालय रहनेवाले अमरावती जिले में हुआ. जहां पर मंगलवार को 500 की बजाय केवल 208 फ्रंटलाईन वर्कर्स ही टीकाकरण केंद्रों पर वैक्सीन लगवाने पहुंचे. बता दें कि, अमरावती जिले में कोविड टीकाकरण के लिए पांच केंद्र बनाये गये है, जहां पर रोजाना 100-100 फ्रंटलाईन वर्कर्स को कोविड प्रतिबंधात्मक टीका लगाया जाना है. लेकिन जहां पहले दिन भी यह आंकडा पूर्ण नहीं हो पाया, वहीं मंगलवार 19 जनवरी को शाम तक 500 की बजाय केवल 208 स्वास्थ्य कर्मियों ने ही यह टीका लगवाया. जिसके तहत जिला सामान्य अस्पताल में 38, पीडीएमसी में 47, अचलपुर में 25, तिवसा में 52 और अंजनगांव बारी में 46 स्वास्थ्यकर्मियों ने ही यह वैक्सीन लगवायी थी. वहीं इस संदर्भ में स्वास्थ्य उपसंचालक कार्यालय द्वारा उपलब्ध करायी जानकारी के मुताबिक मंगलवार को अकोला के तीन टीकाकरण केंद्रों पर 300 की बजाय 181, बुलडाणा के 6 केंद्रों पर 600 की बजाय 359, वाशिम के 3 केंद्रों पर 300 की बजाय 212, तथा यवतमाल के 5 केंद्रों पर 500 की बजाय 289 फ्रंटलाईन वर्कर्स ने ही यह टीका लगवाया है.
बीमारी से ज्यादा दवाई का डर
ज्ञात रहे कि, बीता साल पूरी दुनिया कोरोना नामक संक्रामक बीमारी के खतरे से जूझती रही. जिससे भारत देश भी अछूता नहीं रहा. उस दौरान हर कोई इस बात का इंतजार कर रहा था कि, इस संक्रामक महामारी से बचने हेतु कोई कारगर दवा उपलब्ध हो जाये और अब इस बीमारी की रोकथाम हेतु अकेले भारत में ही सीरम इन्स्ट्टियूट की कोविशिल्ड और भारत बायोटेक की को-वैक्सीन नामक दवाई उपलब्ध हो गयी है. जिसका टीकाकरण अभियान विगत 16 जनवरी से बडे जोर-शोर के साथ किया गया और इस अभियान के पहले चरण में स्वास्थ्य क्षेत्र से जुडे उन लोगोें को वैक्सीन लगायी जा रही है. जिन्होेंने कोरोना काल के दौरान अपने प्राणों की परवाह किये बिना कोरोना संक्रमित मरीजोें की सेवा की और उन्हें बचाने का काम किया. लेकिन हैरत की बात यह है कि, कोरोना काल के दौरान बिना डरे अपने कर्तव्य का निर्वहन करनेवाले कोरोना योध्दा अब कोविड वैक्सीन लगवाने से डर रहे है. माना जा रहा है कि, कोरोना काल के दौरान बिना डरे काम करनेवाले लोगों में इस वैक्सीन को लेकर काफी हद तक भय का माहौल है और वे वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे है. हालांकि सरकार एवं प्रशासन द्वारा इस टीकाकरण अभियान को लेकर काफी पहले से तैयारियां शुरू की गई थी और प्राधान्य सूची बनाने के साथ ही टीकाकरण अभियान का ड्राय रन भी चलाया गया था, चूंकि मामला स्वास्थ्य कर्मियों को ही वैक्सीन लगाने से जुडा हुआ था. ऐसे में अन्य टीकाकरण अभियान के तहत इसे लेकर व्यापक जनजागृति नहीं की गई. क्योेंकि यह माना जा रहा था कि, स्वास्थ्य कर्मियोें ने इस बीमारी के खतरे को बेहद नजदीक से देखा है. अत: वे स्वयंस्फूर्त तौर पर यह वैक्सीन लगवायेंगे. लेकिन हकीकत में इससे उलटा हो रहा है, और सूची में शामिल कई लोगबाग यह सोचकर वैक्सीन लगवाने से कतरा रहे है कि, जिन लोगों ने पहले वैक्सीन लगवा ली है, उनके स्वास्थ्य की सात-आठ दिन तक स्थिति देखने के बाद वे खुद को वैक्सीन लगवायेंगे. किंतु इस चक्कर में प्रशासन द्वारा किया गया पूरा नियोजन गडबडा रहा है.
आज केवल 250 को लगा टीका
वहीं बुधवार को भी अमरावती जिले में तय लक्ष्य की तुलना में केवल 50 फीसदी यानी 250 स्वास्थ्य कर्मियों ने ही अपरान्ह 2 बजे तक कोरोना वैक्सीन का टीका लगवाया था. जिसके तहत 40 लोगों ने इर्विन अस्पताल में को-वैक्सीन तथा पीडीएमसी में 40, तिवसा में 60, अचलपुर में 70 एवं अंजनगांव बारी में 40 लोगोें ने कोविशिल्ड वैक्सीन का टीका लगवाया. प्रशासन द्वारा रोजाना तय लक्ष्य में से अधिकतम फ्ंरंटलाईन वर्कस को कोविड वैक्सीन का टीका लगाने का प्रयास किया जा रहा है. किंतु अब भी तमाम प्रयासों के बावजूद लक्ष्य काफी दूर नजर आ रहा है.
हालात पर पूरी नजर, धीरे-धीरे संभलेगी स्थिति
इस संदर्भ में जानकारी हेतु संपर्क किये जाने पर जिलाधीश नवाल ने कहा कि, कोविड टीकाकरण अभियान के लिए व्यापक नियोजन किया गया था तथा अभियान के पहले दिन नियोजन के हिसाब से ही काम हुआ. पश्चात कोविन ऍप में आयी कुछ तकनीकी गडबडियों की वजह से कामकाज कुछ हद तक प्रभावित हुआ है. किंतु हालात पर पूरी तरह से नजर रखी जा रही है और स्थिति को जल्द ही संभाल लिया जायेगा.
टीकाकरण में नाकाम रही सरकार, स्वास्थ्य मंत्री इस्तीफा दें
मुंबई – कोरोना के खिलाफ शुरू किये गये टीकाकरण अभियान को लेकर मुंबई सहित समूचे महाराष्ट्र राज्य में जबर्दस्त अव्यवस्था व नियोजनशून्यता का आलम रहा. जिसकी वजह से गत रोज मुंबई में केवल 13 लोगोें को और समूचे राज्य में केवल 181 लोगों को कोविड वैक्सीन लगायी गयी. वहीं दूसरी ओर राज्य में 9.83 लाख वैक्सीन उपलब्ध रहने के बावजूद केवल राजनीति से प्रेरित होकर कम वैक्सीन दिये जाने का रोना रोया जा रहा है. वहीं राज्य की महाविकास आघाडी सरकार की लापरवाही के चलते राज्य में टीकाकरण अभियान असफल रहा है. ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने तुरंत अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए. इस आशय की मांग भाजपा के मुंबई प्रभारी तथा विधायक अतुल भातखलकर द्वारा की गई है.
उन्होंने कहा कि, ठाकरे सरकार के नियोजनशून्य कामों की वजह से ही महाराष्ट्र समूचे देश में ‘कोरोना कैपीटल’ बन गया है और कोरोना संक्रमण सहित कोरोना की वजह से होनेवाली मौतों के मामले में महाराष्ट्र सबसे अव्वल स्थान पर है. इस समय यद्यपि समूचे देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या घट रही है, लेकिन आज भी समूचे देश में 42 फीसदी मरीज अकेले महाराष्ट्र व केरल राज्य में पाये जा रहे है और कोरोना की वजह से होनेवाली मौतों के मामले में महाराष्ट्र सबसे अव्वल है. ऐसे में राज्य सरकार द्वारा कोविड टीकाकरण अभियान को बेहद गंभीरता से लेते हुए जलद व नियोजनबध्द कार्य किया जाना जरूरी थी. लेकिन इसकी बजाय राज्य सरकार द्वारा केवल केंद्र सरकार को दोष देने में ही समय व्यतित किया गया. जिसकी आड लेकर राज्य सरकार अपनी अकार्यक्षमता को छिपाने का प्रयास कर रही है. साथ ही उन्होंने यह भी जानना चाहा कि, यदि राज्य में कोविड टीकाकरण अभियान की यहीं गति कायम रहती है, तो राज्य के 12 करोड लोगों को कोविड वैक्सीन लगाने में कितना समय लगेगा, सरकार ने इस पर भी विचार करना चाहिए.