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मविआ रही मंडी चुनाव में हैवीवेट चैम्पियन

6 मंडियों में मविआ प्रणित सहकार पैनल ने गाडा सफलता का झंडा

* पूर्व मंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर ने साबित किया खुद को कद्दावर नेता
* भाजपा समर्थित पैनलों का हुआ सुपडा साफ, इक्का-दुक्का सीटों पर मिली जीत
अमरावती/दि.29 – गत रोज जिले की 12 में से 6 फसल मंडियों के चुनाव कराए गए थे. जिनके नतीजे घोषित हो चुके है. इसमें से 5 फसल मंडियों के चुनावी नतीजे बीती रात ही घोषित हो गए थे. वहीं अमरावती फसल मंडी के 18 सदस्यीय संचालक मंडल के चुनाव हेतु कराए गए मतदान की आज सुबह 8 बजे से विएमवि परिसर स्थित भोसले सभागृह में मतगणना हुई. जिसके चुनावी नतीजे दोपहर तक घोषित कर दिए गए और गत रोज घोषित 5 फसल मंडियों के चुनावी नतीजों की तरह आज सुबह अमरावती फसल मंडी के चुनाव में भी महाविकास आघाडी प्रणित सहकार पैनल ने एकतरफा जीत हासिल करते हुए अपने प्रतिस्पर्धी पैनलों व प्रत्याशियों को क्लीन स्वीप कर दिया. इसके साथ ही जिले की 6 फसल मंडियों के चुनाव में महाविकास आघाडी समर्थित सहकार पैनल हैवीवेट चैम्पियन साबित हुआ है. साथ ही सहकार पैनल का सफलतापूर्वक नेतृत्व करते हुए पैनल के प्रत्याशियों की जीत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली पूर्व पालकमंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर ने अपने निर्विवाद नेतृत्व को साबित करते हुए खुद को एक कद्दावर नेता के तौर पर स्थापित किया है.
बता दें कि, सहकार क्षेत्र से वास्ता रखने वाले फसल मंडी के चुनाव इस बार पूरी तरह से राजनीतिक रंग में रंगे नजर आए और इस चुनाव में जनप्रतिनिधियों व राजनीतिक दलों का सीधा दखल भी दिखाई दिया. जिसके चलते इस बार फसल मंडी के चुनाव राजनीतिक प्रतिष्ठा की लडाई में तब्दील हो गए थे. जिसमें अमरावती फसल मंडी ेेमें महाविकास आघाडी समर्थित सहकार पैनल उतारा गया था. जिसका नेतृत्व पूर्व पालकमंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर, पूर्व मंत्री डॉ. सुनील देशमुख, पूर्व महापौर विलास इंगोले, पूर्व जिप अध्यक्ष बबलू देशमुख, शिवसेना उबाठा नेत्री प्रीति बंड, राकांपा के जिला प्रमुख सुनील वर्‍हाडे आदि द्बारा किया जा रहा था. इस पैनल द्बारा गैस सिलेंडर के चुनावी चिन्ह पर सेवा सहकारी सोसायटी क्षेत्र से 11 व ग्रापं क्षेत्र से 4 ऐसे कुल 15 प्रत्याशी मैदान में उतारे गए थे. साथ ही अडत-व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र में प्रमोद इंगोले व राजेश पाटिल तथा हमाल-मापारी निर्वाचन क्षेत्र में बंडू वानखडे इन स्वतंत्र प्रत्याशियों को समर्थन दिया गया था. हैरत व कमाल की बात यह रही कि, सहकार पैनल के इन सभी 18 प्रत्याशियों ने अपनी-अपनी सीट पर शानदार जीत हासिल करते हुए सहकार पैनल को अमरावती फसल मंडी की एकतरफा व पूर्ण सत्ता दिलाई. वहीं प्रतिस्पर्धी पैनलों व प्रत्याशियों को अमरावती फसल मंडी में करारी हार का सामना करना पडा.
बता दें कि, राजनीतिक रुप से प्रतिष्ठापूर्ण हो चुके अमरावती फसल मंडी के चुनाव में सहकार पैनल के खिलाफ मैदान में उतरे शेतकरी पैनल का नेतृत्व सांसद नवनीत राणा, विधायक रवि राणा, सहकार नेता विलास महल्ले, भाजपा की जिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी दिघडे व कांग्रेस के पूर्व जिप सदस्य प्रकाश साबले द्बारा किया जा रहा था. इसके अलावा सीटों के बंटवारे के मुद्दे को लेकर सहकार पैनल से अलग होकर शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख सुनील खराटे ने बलिराजा नामक पैनल गठित करते हुए अमरावती फसल मंडी के चुनाव में अपने 10 प्रत्याशी उतारे थे. साथ ही पूर्व राज्यमंत्री व विधायक बच्चू कडू की प्रहार जनशक्ति पार्टी की ओर से रणजीत खाडे ने अडत-व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र से दावेदारी पेश की थी. लेकिन सहकार पैनल की आंधी में सभी प्रतिस्पर्धी पैनलों व प्रत्याशियोें की दावेदारियां तीतर-बितर हो गई तथा सहकार पैनल ने अमरावती फसल मंडी में पूरी ताकत के साथ अपनी सफलता का झंडा गाडा.
इस चुनाव की एक विशेषता यह भी रही कि, मतदाताओं ने बिना वजह विवाद व चर्चा में रहने वाले दावेदारों को खारिज करते हुए काम करने वाले लोगों को संचालक चुना. इसका एक उदाहरण अडत-व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र के चुनावी नतीजे को बताया जा सकता है. इस प्रतिष्ठापूर्ण निर्वाचन क्षेत्र से 2 संचालक चुने जाने थे. जिसमें से एक सीट पर मतदाताओं ने लगातार दूसरी बार प्रमोद इंगोले को चुनते हुए लगातार दूसरी बार संचालक के तौर पर काम करने का मौका दिया. वहीं दूसरे संचालक के तौर पर स्वतंत्र प्रत्याशी राजेश पाटिल विजयी रहे. जिन्हें इससे पहले 2 बार मंडी चुनाव में हार का सामना करना पडा था. परंतु सतत किए जाते प्रयासों के चलते राजेश पाटिल को तीसरे प्रयास में सफलता मिली और वे मंडी संचालक निर्वाचित हुए. वहीं अडत-व्यापारी निर्वाचन क्षेत्र से दावेदार रहने वाले सतीश अटल व परमानंद अग्रवाल सहित रणजीत खाडे को हार का सामना करना पडा.
कहना अतिशयोक्ति नहीं होगा कि, फसल मंडी के चुनाव में महाविकास आघाडी समर्थित सहकार पैनल के नेता पूरी तरह से एकजूट व संगठित नजर आए और शुरु से ही पैनल के प्रत्याशियों व समर्थकों में इस चुनाव को जीतने का जुनून नजर आया. साथ ही समूचे जिले में सहकार पैनल के सभी नेताओं के बीच पूर्व पालकमंत्री व विधायक यशोमति ठाकुर एक बेहद मजबूत कडी के तौर पर काम करने के साथ ही संवाद सेतू भी बनी रही और सभी स्थानों पर उनके नेतृत्व व शब्द का मान रखा गया. जिसके चलते मंडी का चुनावी अभियान सहकार पैनल ने बेहद ही अनुशासित ढंग से आगे बढाते हुए शानदार जीत हासिल की. वहीं दूसरी ओर प्रतिस्पर्धी पैनलों में अलग-अलग मंडियों के लिहाज से अलग-अलग नेता थे और हर मंडी के प्रतिस्पर्धी पैनल में भी नेतृत्व के कई दावेदार थे. जिसके चलते पूरी तरह से संगठित रहने वाले सहकार पैनल के सामने जिले की 6 फसल मंडियों में प्रतिस्पर्धी पैनलों का कोई अस्तित्व ही नजर नहीं आया और 6 में से एक भी फसल मंडी में सहकार पैनल के सामने प्रतिस्पर्धी पैनल कोई खास कमाल या प्रदर्शन नहीं कर पाए. बल्कि प्रतिस्पर्धी पैनलों को इक्का-दुक्का सीटों पर मिली जीत से ही संतोष करना पडा. जबकि सहकार पैनल ने अमरावती व तिवसा फसल मंडी में क्लीन स्वीप करते हुए सभी 18 सीटों पर चुनाव जीता. वहीं अन्य 4 फसल मंडियों में भी इक्का-दुक्का सीटों को छोडकर अधिकांश सीटों पर सहकार पैनल के प्रत्याशियों ने ही जीत दर्ज की. विशेष उल्लेखनीय है कि, फसल मंडी के चुनाव में सर्वाधिक 15 संचालक सेवा सहकारी सोसायटी निर्वाचन क्षेत्र व ग्रामपंचायत निर्वाचन क्षेत्र से चुनकर आते है. ऐसे में 11 संचालक देने वाले सेवा सहकारी सोसायटी निर्वाचन क्षेत्र और 4 संचालक देने वाले ग्रामपंचायत निर्वाचन क्षेत्र को फसल मंडी के चुनाव में बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है. साथ ही जिस पैनल को इन 2 निर्वाचन क्षेत्र में सर्वाधिक सीटे मिलती है, उसकी ग्रामीण क्षेत्र की राजनीति और सहकार क्षेत्र पर मजबूत पकड मानी जाती है. कल हुए चुनाव और आज घोषित नतीजों में महाविकास आघाडी प्रणित सहकार पैनल ने सभी 6 फसल मंडियों के सेवा सहकारी सोसायटी व ग्रामपंचायत निर्वाचन क्षेत्र की लगभग सभी सीटों पर चुनाव जीता. साथ ही साथ अडत-व्यापारी व हमाल-मापारी निर्वाचन क्षेत्र में भी सहकार पैनल और उसके समर्थित प्रत्याशियों की जीत हुई है. जिसके चलते यह मानने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि, जिले के ग्रामीण इलाकों में महाविकास आघाडी में शामिल राजनीतिक दलों की पकड और दबदबा अब भी कायम है और राजनीति की ‘अंडर स्ट्रीम’ में महाविकास आघाडी की लहर चल रही है. संभवत: यहीं वजह है कि, शहरी क्षेत्र की राजनीति और खबरों की दुनिया में महेशा ही चमकते रहने वाले चेहरे इस बार मंडी के चुनाव में कोई खास कमाल नहीं कर पाए और जिले की 6 फसल मंडियों में अपने सभी प्रतिस्पर्धियों को चारो खाने चित्त करते हुए महाविकास आघाडी के घटक दलों और उन घटक दलों के नेताओं ने खुद को हैवीवेट चैम्पियन साबित किया.

* विधायक राणा के भाई हारे चुनाव
विशेष उल्लेखनीय है कि, शहर सहित जिले की राजनीति में पूरी तरह से छाने को बेताब विधायक राणा ने अमरावती फसल मंडी के चुनाव में शेतकरी पैनल उतारने के साथ-साथ अपने भाई सुनील राणा को भी सेवा सहकारी सोसायटी निर्वाचन क्षेत्र से चुनावी मैदान में उतारा था. लेकिन पैनल की हार के साथ-साथ विधायक रवि राणा को अपने भाई सुनील राणा की हार का भी सामना करना पडा. ऐसे में यह माना जा रहा है कि, यद्यपि विधायक रवि राणा विगत करीब 15 वर्ष से मुख्य धारा वाली राजनीति में सक्रिय व सफल है. लेकिन ‘अंडर कवर’ व ‘अंडर स्ट्रीम’ के लिए विख्यात सहकार क्षेत्र में अभी उनकी पकड नहीं बनी है.

* शिवसेना उबाठा के खराटे को भारी पडा अकेला चलना
जहां एक ओर पूरे जिले में महाविकास आघाडी के घटक दलों से वास्ता रखने वाले प्रमुख नेताओं ने एक साथ मिलकर चुनाव लडने का निर्णय लिया था. जिसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिली थी. वहीं अमरावती फसल मंडी के चुनाव में मविआ का घटक दल रहने के बावजूद शिवसेना उबाठा के जिला प्रमुख सुनील खराटे ने सहकार पैनल के खिलाफ बलिराजा पैनल मैदान में उतारते हुए अपने 10 प्रत्याशी खडे किए थे. लेकिन चुनावी नतीजों से स्पष्ट हो गया कि, सुनील खराटे के लिए ‘एकला चलो रे’ वाली नीति बेहद भारी और महंगी साबित हुई है और उनके पैनल का सुपडा साफ हो गया.

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