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परमिट शुल्क घटाने का मामला पहुंचा हाईकोर्ट

  • जिला परमिट रूम एसो. ने दायर की याचिका

  • हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को एसो. की मांग पर निर्णय लेने व जवाब देने का निर्देश दिया

अमरावती/प्रतिनिधि दि.५ – लॉकडाउन काल के दौरान २३ मार्च से जिले के सभी बीयरबार व परमीट रूम पूरी तरह से बंद थे, जो अब करीब छह माह बाद सोमवार ५ अक्तूबर से खुलने जा रहे है. जारी आर्थिक वर्ष की पहली छमाही में परमीट रूम व बीयरबार संचालकों का एक रूपये का भी व्यवसाय नहीं हुआ है. लेकिन बावजूद इसके राज्य आबकारी शुल्क विभाग द्वारा उन्हेें पूरे सालभर का परमीट शुल्क भरने हेतु कहा जा रहा है. जबकि जारी आर्थिक वर्ष में उन्हें केवल आगामी छह माह तक ही व्यवसाय करने का अवसर मिलेगा. इस बात के मद्देनजर राज्य सरकार को विगत २४ सितंबर को पत्र भेजते हुए परमीट शुल्क में ५० फीसदी छूट दिये जाने की मांग की गई थी, लेकिन सरकार द्वारा अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं लिया गया है. अत: सरकार को शुल्क माफी के संदर्भ में आवश्यक दिशानिर्देश दिये जाये. इस आशय की मांगवाली एक याचिका जिला परमीट रूम एसोसिएशन के अध्यक्ष नितीन मोहोड द्वारा एड. जेमिनी कासट के मार्फत हाईकोर्ट में दायर की गई है. इस याचिका में कहा गया है कि, २३ मार्च से ५ जून तक राज्य में बेहद कडा लॉकडाउन जारी रहा और ५ जून के बाद अनलॉक की प्रक्रिया शुरू की गई. लेकिन अनलॉक की प्रक्रिया के अलग-अलग चरणों में भी अब तक बीयरबार व परमीट रूम को खुलने की अनुमति नहीं दी गई थी और सभी बीयरबार व परमीट रूम पिछले छह माह से पूरी तरह से बंद है.
इसी दौरान राज्य के आबकारी आयुक्त द्वारा विगत २६ जून को एक पत्र जारी कर कहा गया कि, सभी बीयरबार व परमिट रूम संचालक अपने परमीट शुल्क का ५० फीसदी हिस्सा ३० सितंबर तक भर दें और शेष ५० फीसदी हिस्सा भरने के लिए ३१ दिसंबर २०२० तक की अवधि दी गई. ताकि उनके लाईसेन्स का नूतनीकरण किया जा सके. लाईसेन्स नूतनीकरण की बात के मद्देनजर जिले के सभी परमीट रूम व बीयरबार संचालकों ने अपने परमीट शुल्क की आधी रकम ३० सितंबर से पहले भर दी. साथ ही सरकार से गूहार भी लगायी कि, चूंकि उन्हें अब व्यवसाय करने हेतु केवल छह माह का समय जारी आर्थिक वर्ष में मिलेगा और सरकार द्वारा लगाये गये लॉकडाउन की वजह से उनका व्यवसाय जारी आर्थिक वर्ष की पहली छमाही में पूरी तरह से बंद था. अत: उनके परमीट शुल्क की रकम को घटाकर आधा किया जाये. लेकिन राज्य सरकार द्वारा विगत २४ सितंबर को भेजे गये इस पत्र पर अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया है. साथ ही परमीट रूम व बार व्यवसायियों को कोई जवाब भी नहीं दिया गया है.
ऐसे में अमरावती जिला परमीट रूम एसोसिएशन द्वारा इस विषय को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में याचिका दायर की गई. इस समय याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी करते हुए एड. जेमिनी कासट ने बताया कि, लॉकडाउन काल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा रोड टै्नस में छूट व सहूलियत दी गई है. साथ ही दिल्ली व पंजाब जैसे राज्यों में परमीट रूम व बीयरबार संचालकोें हेतु आर्थिक वर्ष का कैलेंडर भी बदला गया है, यानी लॉकडाउन काल के बाद जिस तारीख से परमीट रूम व बीयरबार खुलेंगे, उसी तारीख से उनका नया आर्थिक वर्ष ग्राह्य माना जायेगा. ठीक इसी तर्ज पर महाराष्ट्र में भी निर्णय लिया जाना चाहिए, क्योंकि परमीट रूम व बार संचालक जैसे एफएल-३ लाईसेन्सधारकों से राज्य उत्पाद शुल्क विभाग द्वारा सालाना ५ लाख ३१ हजार रूपये की भारी भरकम फीस ली जाती है. वहीं विगत छह माह से सभी परमीट रूम व बार संचालक व्यवसाय करने की अनुमति नहीं रहने के चलते पूरी तरह से खाली बैठे है और इस दौरान उन्हें अपने यहां काम करनेवाले कर्मचारियोें के वेतन, इलेक्ट्रीक बिल, किराया व स्थानीय कर जैसे कई खर्च अदा करने पडे है. ऐसे में वे छह माह का व्यवसाय करते हुए पूरे सालभर का आबकारी शुल्क अदा करने में असमर्थ है और चूंकि सभी व्यवसायियों ने सरकार द्वारा घोषित लॉकडाउन संबंधी निर्देशों का पालन किया है. ऐसे में उनसे पूरे सालभर का शुल्क वसूल करना भी अन्यायकारक होगा. एड. जेमिनी कासट द्वारा किये गये इस युक्तिवाद को ग्राह्य मानते हुए नागपुर खंडपीठ ने राज्य सरकार को नोटीस जारी करते हुए कहा है कि, जिला परमीट रूम एसो. की ओर से विगत २४ सितंबर को शुल्क माफी के संदर्भ में किये गये आवेदन पर जल्द से जल्द निर्णय लिया जाये और इस आवेदन पर क्या निर्णय लिया गया है, इसकी जानकारी हलफनामा पेश करते हुए आठ सप्ताह के भीतर हाईकोर्ट के समक्ष पेश की जाये. ऐसे में अब यह देखनेवाली बात होगी कि, जिला परमीट रूम एसो. की ओर से किये गये आवेदन पर राज्य सरकार द्वारा क्या निर्णय लिया जाता है.

 

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