राणा, तडस व जाधव के खिलाफ दायर याचिकाओं पर हाईकोर्ट गंभीर
आवश्यक आदेश किये जारी, अगली सुनवाई पर लगी सभी की निगाहें
नागपुर/प्रतिनिधि दि.17 – बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के निर्दलीय विधायक रवि राणा, वर्धा के भाजपा सांसद रामदास तडस तथा बुलडाणा के शिवसेना सांसद प्रताप जाधव के खिलाफ दायर याचिकाओं को मुंबई उच्च न्यायालय की नागपुर खंडपीठ द्वारा बेहद गंभीरता से लिया गया. जिसके तहत तडस व जाधव के खिलाफ प्रलंबित चुनावी याचिकाओं पर आगामी 30 जुलाई को दोपहर 2.30 बजे फिजीकल सुनवाई करना तय किया गया है. साथ ही विगत विधानसभा चुनाव में तय सीमा से अधिक खर्च किये जाने को लेकर विधायक रवि राणा के खिलाफ जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 10 ए अंतर्गत शुरू की गई कार्रवाई अब तक पूरी क्यों नहीं हुई है. यह सवाल पूछते हुए भारतीय निर्वाचन आयोग से इस पर चार सप्ताह के भीतर जवाब पेश करने का निर्देश दिया गया है. साथ ही विधायक रवि राणा को भी नोटीस जारी करते हुए उन्हें अपना पक्ष रखने हेतु कहा गया है.
बता दें कि, विधायक रवि राणा के खिलाफ शिवसेना के सुनील खराटे द्वारा याचिका दायर की गई है. जिस पर न्यायमूर्तिद्वय सुनील शुक्रे व अनिल किलोर की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई जारी है. इस याचिका में कहा गया कि, निर्वाचन आयोग द्वारा विगत विधानसभा चुनाव के लिए 28 लाख रूपये के खर्च की अधिकतम सीमा तय की गई थी. लेकिन इसके बावजूद खर्च पर निगरानी रखनेवाली समिती ने पाया कि, विधायक रवि राणा द्वारा अपने चुनाव प्रचार के लिए 41 लाख 88 हजार 402 रूपये खर्च किये गये. समिती द्वारा इस संदर्भ में 21 नवंबर 2019 को जारी किये गये आदेश पश्चात 25 नवंबर 2019 को इस बारे में अमरावती के जिलाधीश द्वारा केंद्रीय निर्वाचन आयोग को अपनी रिपोर्ट पेश की गई थी. किंतु इस मामले में जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 10 ए के अनुसार आगे कोई कार्रवाई ही नहीं हुई है. जिसे अदालत द्वारा बेहद गंभीरता से लिया गया है. इसी तरह वर्धा के सांसद तडस तथा बुलडाणा के सांसद जाधव के निर्वाचन को क्रमश: धनराज वंजारी व बलिराम सिरस्कर द्वारा चुनौती दी गई है. ये दोनों याचिकाकर्ता वंचित बहुजन आघाडी के उम्मीदवार थे. जिनके द्वारा आरोप लगाया गया है कि, विगत लोकसभा चुनाव में दोषपूर्ण ईवीएम का प्रयोग हुआ. जिसकी वजह से मतदान और मतगणना में फर्क पाया गया और इसका फायदा विजेता प्रत्याशियों को हुआ. इसके साथ ही दोनोें निर्वाचन क्षेत्रों मे निर्वाचन अधिकारियों द्वारा निर्वाचन कानून संबंधी प्रावधानों व नियमों का कडाई से पालन नहीं किया गया. जिसके चलते इन दोनों निर्वाचन क्षेत्रों के चुनाव को रद्द घोषित करते हुए यहां पर नये सिरे से चुनाव लिये जाये.
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राणा के खिलाफ निवेदन को नहीं लिया गया गंभीरता से
विधायक रवि राणा के निर्वाचन को चुनौती देनेवाले याचिकाकर्ताओं का कहना रहा कि, उन्होंने 1 जनवरी 2021 को निर्वाचन आयोग को निवेदन पेश करते हुए विधायक राणा के खिलाफ कार्रवाई को निर्धारित अवधि के भीतर पूरा करने का निवेदन किया था. किंतु इस निवेदन को निर्वाचन आयोग द्वारा गंभीरता से नहीं लिया गया. साथ ही इस मामले में मध्यस्थता करने की अनुमति मिलने हेतु 5 जून 2020 को पेश किये गये आवेदन पर भी अब तक कोई निर्णय नहीं लिया गया. ऐसे में हाईकोर्ट द्वारा इस मामले में गंभीरतापूर्वक ध्यान दिया जाये.