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10 हजार के अनुदान का लालच दिखाकर डेढ माह के बच्चे का अपहरण

नांदगांव पेठ पुलिस थाना क्षेत्र की घटना

  • डफरीन में उजागर हुआ मामला

  • गाडगेनगर पुलिस ने पकडे आरोपी

  • दोनों पुलिस थाने कर रहे मामले की जांच

अमरावती/प्रतिनिधि दि.२५ – गत रोज स्थानीय डफरीन अस्पताल में उस समय अजीबो-गरीब स्थिति बन गई, जब नांदगांव पेठ परिसर निवासी एक महिला को एक बच्चे के साथ अस्पताल में भरती कराया गया और इस महिला ने डॉक्टर को बताया कि, उसकी प्रसूति घर में ही हुई है तथा उसने एक बच्चे को जन्म दिया. किंतु प्रसूति विशेषज्ञ डॉक्टरों एवं स्टाफ नर्स ने पहले ही नजर में ताड लिया कि, यह महिला झूठ बोल रही है और जिसे वह अपना नवजात बच्चा बता रही है, हकीकत में उस बच्चे की आयु करीब डेढ माह की है. पश्चात संदेह होने पर डफरीन अस्पताल प्रबंधन द्वारा तुरंत ही गाडगेनगर थाना पुलिस को सूचना दी गई और जैसे ही इस मामले में पुलिस की एंट्री हुई, वैसे ही अपहरण से संबंधित एक मामले का पर्दाफाश हुआ.
मिली जानकारी के मुताबिक नांदगांव पेठ परिसर में रहनेवाली प्रियंका गोंडाणे नामक महिला का विवाह करीब नौ वर्ष पहले हुआ था और इस दौरान उसे कोई संतान नहीं हुई. ऐसे में उसने एक योजना बनायी. जिसके तहत वह आसपास के गांवों में टोह लेने लगी कि, क्या किसी के यहां सिजेरियन से प्रसूति हुई है. इसी चक्कर में उसे पता चला कि, कुछ दिन पूर्व पिंपलविहीर गांव में रहनेवाले भोसले दम्पत्ति के यहां सिझेरियन ऑपरेशन के जरिये एक बच्चे का जन्म हुआ है. जिसके बाद प्रियंका गोंडाणे अपनी योजना पर अमल करते हुए भोसले दम्पत्ति के यहां पहुंची और उनसे पूछा कि क्या उन्हें सिझेरियन ऑपरेशन के बाद मिलनेवाला 10 हजार रूपये का सरकारी अनुदान मिला है. चूंकि ऐसा कोई अनुदान दिया ही नहीं जाता, तो भोसले दम्पत्ति ने इसे लेकर अपनी अनभिज्ञता दर्शायी. जिसके बाद प्रियंका गोंडाणे ने उन दोनों को अपने साथ बैंक चलने हेतु कहा और वह उन्हें लेकर नांदगांव पेठ स्थित यूनियन बैंक के पास पहुंची. जहां पर उसने पहले अंजू भोसले को डफरीन अस्पताल का डिस्चार्ज कार्ड लेकर बैंक में जाने और उस पर मैनेजर की मुहर लगवाकर आने के लिए कहा. जिसके बाद अंजू ने अपना बच्चा अपने पति सरनेस सरमत भोसले को सौंपा और वह बैंक के भीतर गई. इधर जब काफी देर तक अंजू वापिस लौटकर नहीं आयी, तो प्रियंका गोंडाणे ने अंजू के पति सरनेस भोसले को बैंक में जाकर पूछताछ करने और इतना वक्त क्यों लग रहा है यह देखकर आने के लिए कहा. जिसके बाद सरनस भोसले ने बच्चा प्रियंका गोंडाणे के पास सौंपा और वह भी बैंक में गया. लेकिन कुछ देर बाद जब दोनों पति-पत्नी थक-हारकर बैैंक से वापिस बाहर आये, तो वहां से प्रियंका गोंडाणे और उनका बच्चा नदारद थे. इधर-उधर काफी देर तक खोजबीन करने के बाद जब उन्हें बच्चे का कोई अता-पता नहीं चला तो दोनों पति-पत्नी का रो-रोकर बुरा हाल हो गया. इस समय मौके पर मौजूद कई लोगों ने पूरा माजरा समझ में आने के बाद भोसले पति-पत्नी को नांदगांव पेठ पुलिस थाने जाने की सलाह दी. जहां पहुंचकर दोनों पति-पत्नी ने पुलिस को पूरा वाकया बताया.
उधर दूसरी ओर भोसले दम्पत्ति का डेढ माह की आयुवाला बच्चा चुराकर प्रियंका गोंडाणे अपने घर पहुंची तथा उसने बच्चे की नाभी और अपने गुप्तांग पर लाल रंग का तरल पदार्थ लगाने के बाद अपनी घर में ही प्रसूति होने का स्वांग रचा और मदद के लिए चीख-पुकार मचानी शुरू की. ऐसे में आस-पडोस के लोगों ने उसे तुरंत ऑटो में बिठाकर डफरीन अस्पताल पहुंचाया. किंतु डफरीन अस्पताल की एक अनुभवी नर्स ने पहली ही नजर में ताड लिया कि, इस मामले में कुछ गडबडी है और यह बच्चा नवजात नहीं बल्कि करीब डेढ माह की आयु का है. जिसके बाद मामले की जानकारी गाडगेनगर पुलिस थाने को दी गई. साथ ही प्रियंका का मेडिकल चेकअप् भी किया गया. जिससे यह स्पष्ट हो गया कि, उसकी कोई प्रसूति नहीं हुई है. पश्चात पुलिस द्वारा की गई पूछताछ में प्रियंका गोंडाणे के जरिये पूरा सच सामने आ गया. इस समय तक गाडगेनगर एवं नांदगांव पेठ थाना पुलिस का भी आपस में संपर्क हो चुका था और नांदगांव पेठ थाना पुलिस बच्चे के मां-बाप को लेकर अमरावती आ चुकी थी. डफरीन अस्पताल पहुंचते ही अंजू भोसले ने तुरंत अपने बच्चे को पहचान लिया और डफरीन अस्पताल के स्टाफ सहित गाडगेनगर पुलिस को भी पूरे मामले से अवगत कराया. जिसके बाद पुलिस ने बच्चा उसकी मां यानी अंजू भोसले के सुपुर्द करते हुए प्रियंका गोंडाणे सहित उसके दो साथियों के खिलाफ अपहरण का मामला दर्ज किया. इस समय प्रियंका गोंडाणे ने अपनी तबियत खराब रहने की बात कही. जिसके चलते उसे डफरीन अस्पताल में ही इलाज के लिए भरती किया गया है. जहां से डिस्चार्ज मिलते ही उसे पुलिस द्वारा अपनी हिरासत में लिया जायेगा.
पुलिस आयुक्त डॉ. आरती सिंह, पुलिस उपायुक्त विक्रम साली के मार्गदर्शन में नांदगांव पेठ के थानेदार प्रवीण काले, क्राईम ब्रांच के पीआई अर्जून ठोसरे व गाडगेनगर के थानेदार आसाराम चोरमले सहित एपीआई महेश इंगोले, एपीआई दत्ता देसाई व एपीआई श्रीमती पाटील एवं गाडगेनगर व नांदगांव पेठ पुलिस द्वारा एक-दूसरे के साथ समन्वय स्थापित करते हुए की गई जांच के चलते इस मामले को महज तीन घंटे के भीतर हल कर लिया गया और बच्चा सकुशल अपनी मां की गोद में पहुंचा. वहीं देर शाम तक प्रियंका गोंडाणे द्वारा अस्पताल में हंगामा मचाते हुए इस बच्चे पर अपना अधिकार जताया जा रहा था और शुक्रवार की दोपहर अपनी प्रसूति होने की बात कही जा रही थी. किंतु यह सबकुछ एक ड्रामे से अधिक कुछ नहीं था.

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