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होम डिलेवरी के आदेश, मात्र नियोजन ही नहीं

किराना व्यवसायी कैसे पहुंचायेंगे ग्राहकों तक माल

  •  मनपा आयुक्त कहते है, किसान गली मोहल्ले में बेच सकते है सब्जी

  •  रोजाना ठेलों पर सब्जी बेचने वालों के लिए कोई पर्याय नहीं

अमरावती/प्रतिनिधि दि.10 – अमरावती जिले में कोरोना की श्रृंखला तोडने के उद्देश्य से जिला प्रशासन ने कल रविवार दोपहर 12 बजे से 15 मई की रात 12 बजे तक कडे ‘लॉकडाउन’ की घोषणा कर दी है. कल रविवार से श्ाुरु हुआ ‘लॉकडाउन’ अमरावती जिले में इससे पहले लगाए गए ‘लॉकडाउन’ से काफी अलग है. इस बार प्रशासन ने केवल आरोग्य सुविधा के अलावा सभी प्रतिष्ठानों को बंद रखने के आदेश दिये है. हालांकि अमरावती जिले में वर्तमान में बढने वाले कोरोना संक्रमण की स्थिति को देख इस तरह का कडा ‘लॉकडाउन’ जरुरी था, लेकिन इस तरह के ‘लॉकडाउन’ की घोषणा करने से पहले प्रशासन ने सभी व्यवस्था का पूरी तरह से नियोजन करना था और उसके बाद इस तरह के कडे ‘लॉकडाउन’ की घोषणा करनी थी. आज प्रशासन ने डेअरी को सुबह 11 बजे तक छुट दी है, लेकिन किराना और सब्जी विक्रेताओं के बारे में कोई नियोजन नहीं किया गया. हां, हालांकि जिला प्रशासन ने अपने आदेश में किराना व्यवसायियों को और होटल व्यवसायियों को होम डिलेवरी के आदेश दिये है, लेकिन यह आदेश देने से पहले इस बात का विचार नहीं किया गया कि क्या किराना विक्रेताओं के पास ऑर्डर पर ग्राहकों को घर पहुंच सेवा देने योग्य कर्मचारी है. सच्चाई यह है कि शहर के 50 प्रतिशत किराना दुकानों में मालिक के अलावा किराना बांधने के लिए एक या दो नौकर रहते है और 50 प्रतिशत किराना दुकानदार ऐसे है जो स्वयं दिनभर दुकान में बैठकर व्यवसाय करते है. क्या इस स्थिति में फोन पर ऑर्डर लेकर ग्राहकों के घर तक किराना पहुंचाना इनके लिए संभव होगा. इसका कोई नियोजन नहीं किया गया. इसके साथ इस ‘लॉकडाउन’ में पहली बार सब्जी विक्रेता किस तरह गली मोहल्ले में घुमकर सब्जी बेचेंगे, इसकी व्यवस्था नहीं की गई. शहर की स्थिति यह है कि अगर शहर के हाथठेले वाले सब्जियां बेचने लगे तो ही ग्रामीण क्षेत्र के किसान अपना माल शहर में लेकर आयेंगे. इसपर मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे से बात करने पर उन्होेंने बताया कि हमने किसानों को गली मोहल्ले में सब्जियां बेचने की अनुमति प्रदान की हेै, लेकिन सच्चाई यह है कि ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को शहर में आकर गली मोहल्ले में सब्जी बेचना असंभव है. क्योंकि इसके लिए परिवहन व्यवस्थापन जो उनका खर्च होगा उससे वे अपने रोजंदारी भी निकाल पायेंगे. इस कारण ग्रामीण क्षेत्र के किसानों को शहर में आकर सब्जियां बेचने का पर्याय पूरी तरह से विफल साबित होगा. विशेष यह कि शहर में रोजाना हाथगाडी पर सब्जी बेचने वालों की संख्या हजारों के आसपास है, लेकिन इनमें 90 प्रतिशत ठेलेे वाले ऐसे है, जिनके पास खेती ही नहीं है. वे ग्रामीण से शहर में सब्जियां लेकर आने वालों पर निर्भर है. इस दिशा में भी प्रशासन की ओर से कोई नियोजन नहीं किया गया.

  • विक्रेताओं ने ट्रक से बुलायें मटके

आगामी 14 मई को अक्षय तृतिया का त्यौहार है. शहर के अनेकों मटका विक्रेताओं ने 3-4 दिनों पहले ट्रकों से मटके बिक्री के लिए शहर में लाये. अमरावती-बडनेरा रोडपर रास्ते के किनारे व्यवसाय करने वाले यह विक्रेता इन दिनों भारी संकट में आये है. कडा ‘लॉकडाउन’ 15 मई तक है और अक्षय तृतिया 14 मई को रहने से इतनी बडी संख्या में लाये गए मटके वे कहा बेचेंगे. इन व्यवसायियों के लिए भी होम डिलेवरी की व्यवस्था का भी कोई पर्याय फिलहाल उपलब्ध नहीं है.

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