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होम, हॉस्पिटल या हेवन, खुद तय करें

 अपनी सुरक्षा है अपने हाथ, कोविड संक्रमण से बचने सतर्कता जरूरी

अमरावती/प्रतिनिधि दि.5 – इस समय समूचे देश में कोविड संक्रमण की रफ्तार काफी तेज है और इस वक्त महाराष्ट्र में सर्वाधिक कोविड संक्रमित मरीज पाये जा रहे है. साथ ही साथ अब अमरावती शहर सहित जिले में भी कोविड संक्रमितों और संक्रमण की वजह से होनेवाले मौतों की संख्या नित नये रिकॉर्ड बना रही है. दो दिन पूर्व ही अमरावती जिले में कोविड संक्रमण की वजह से मरनेवालों की संख्या ने 1 हजार के स्तर को पार किया. वहीं गत रोज एक दिन के दौरान 1 हजार 123 नये संक्रमित मरीज पाये गये. विगत एक साल में पहली बार एक दिन के दौरान 1 हजार से अधिक मरीज मिलने का रिकॉर्ड बना है. वहीं दूसरी ओर शहर सहित जिले के सरकारी व निजी कोविड अस्पतालों में बेड और ऑक्सिजन की किल्लत लगातार बनी हुई है. साथ ही स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मरीजों की मौत का सिलसिला समूचे देश में चल रहा है. ऐसे में अब हर एक व्यक्ति को खुद यह तय करना होगा कि, उसे होम (घर), हॉस्पिटल (अस्पताल) या हेवन (स्वर्ग) इन तीन स्थानों में से कहा रहना है. यदि हर कोई कोविड त्रिसूत्री के नियमों का पालन करता है, तो बडे आराम से अपने परिजनों के साथ अपने घर पर रह सकता है, अन्यथा कोविड संक्रमित होकर हॉस्पिटल जाना तो तय ही है, जहां से हेवन यानी स्वर्ग की ओर रवानगी भी हो सकती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, सरकार एवं प्रशासन द्वारा तो कोविड की संक्रामक महामारी को नियंत्रित करने हेतु तमाम आवश्यक प्रयास किये जा रहे है, किंतु यह तमाम प्रयास तब तक अधूरे है, जब तक हर कोई कोविड त्रिसूत्री नियमों का कडाई से पालन नहीं करता. ऐसे में कहा जा सकता है कि, हर एक व्यक्ति की सुरक्षा खुद उसकी अपनी जिम्मेदारी है और इसमें कोई भी चूक होने पर उसके परिणाम संबंधित व्यक्ति सहित उसके परिवार को भुगतने पड सकते है.
बता दें कि, विगत एक वर्ष से राजस्व, स्वास्थ्य व पुलिस महकमे सहित स्थानीय प्रशासन द्वारा दिन-रात अपनी जान की बाजी लगाकर काम किया जा रहा है, ताकि कोविड संक्रमण की स्थिति को नियंत्रित किया जा सके. इस हेतु सरकार एवं प्रशासन द्वारा समय-समय पर लॉकडाउन सहित कई कडे प्रतिबंधात्मक नियमों को भी लागू किया गया. जिससे आम जनजीवन बुरी तरह अस्तव्यस्त हुआ. साथ ही छोटे-बडे व्यापारियों सहित सडक किनारे व्यवसाय करनेवाले फूटकर विक्रेताओं को कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड रहा है, लेकिन इसके बावजूद भी कई लोग प्रतिबंधात्मक नियमों का पालन नहीं कर रहे है और कई बार तो यह देखने के लिए बाहर निकलते है कि बंद के दौरान शहर कैसा दिखाई देता है. बंद शहर को देखने हेतु कई बार ‘खाली फुकट’ लोग झूंड के स्वरूप में निकलते है. साथ ही पुलिस द्वारा रोके या टोके जाने पर उनसे हुज्जतबाजी भी करते है. इसके अलावा समय पर दुकान बंद नहीं करनेवाले दुकानदारों पर जब पुलिस द्वारा कार्रवाई की जाती है, तो वहां पर भी तमाशबिनों की भीड दिखाई देती है. साथ ही संचारबंदी व प्रतिबंध जारी रहने के बावजूद कई व्यापारी भोजन के निमंत्रण की तरह पुलिस वैन के आने की प्रतीक्षा करते रहते है और पुलिस वैन दिखाई देने के बाद अपने प्रतिष्ठान के शटर गिराते है. वहीं कई व्यापारियों द्वारा चोरी-छिपे तरीके से संचारबंदी के बावजूद अपना व्यवसाय किया जा रहा है. ऐसी तमाम लापरवाहियों की वजह से कोविड संक्रमण की दूसरी लहर अब कहर ढा रही है. जिसमें परिवार के परिवार कोविड संक्रमण की चपेट में आ रहे है. वहीं दूसरी ओर खुद राज्य के स्वास्थ्य मंत्री ने आगामी जुलाई व अगस्त माह में कोविड संक्रमण की तीसरी लहर आने की आशंका व्यक्त की है. ऐसे में अब हमारा भविष्य खुद हमारे व्यवहार पर निर्भर करेगा. कोविड संक्रमण के खतरे को देखते हुए प्रशासन द्वारा बार-बार आवाहन किया जा रहा है कि, हर कोई अपने घर में रहकर अपने परिवार का ख्याल रखे और बिना वजह घर से बाहर न निकले. साथ ही किसी जरूरी काम के लिए घर से बाहर निकलते समय अपने नाक व मुंह को मास्क से अच्छी तरह से ढांक ले, लेकिन ऐसे तमाम आवाहनों व निर्देशों की नागरिकों द्वारा जमकर अनदेखी की जा रही है. इसी का परिणाम है कि, कोविड की संक्रामक महामारी नियंत्रित होने की बजाय लगातार बढती जा रही है.
उपरोक्त तमाम हालात को देखते हुए यहीं कहा जा सकता है कि, संचारबंदी के दौरान बिना वजह बाहर निकलकर पुलिस के डंडों की मार खाने से कई बेहतर है अपने परिवार के साथ अपने घर पर रहा जाये. साथ ही बाहर निकलने पर पुलिस के डंडे खाने के साथ-साथ कोविड संक्रमण की चपेट में आने का भी खतरा होता है. जिसके बाद कोविड संक्रमित के तौर पर अस्पताल में भी भरती होना पड सकता है. जहां पर इन दिनों कोविड संक्रमित मरीजों की भीड अधिक है और स्वास्थ्य सुविधाओं का काफी हद तक अभाव है. ऐसे में समूचित इलाज व चिकित्सा के अभाव में मृत्यु होना भी संभव है. कोविड संक्रमित के तौर पर मृत्यु होने के बाद कई बार परिवारवाले भी अंतिम संस्कार करने नहीं आते. ऐसे में अब हर किसी को खुद यह तय करना होगा कि, उसे अपने लिए कौनसा रास्ता चुनना है और होम, हॉस्पिटल या हेवन में से कहां रहना है. ज्यादा बेहतर यहीं रहेगा कि, एक जागरूक नागरिक के तौर पर संचारबंदी के नियमों का पालन करते हुए कुछ समय के लिए अपने घर पर ही रहा जाये और एक जागरूक नागरिक के तौर पर प्रशासन के साथ सहयोग किया जाये. इस समय यहीं अपने आप में सबसे बडा राष्ट्रीय कर्तव्य है, जिसका सभी के द्वारा निर्वहन किया जाना चाहिए.

 

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  •  परिजनों के हाथों गंगाजलि को भी तरस गये कोविड मृतक

– रिश्तों की गरिमा को तार-तार किया संक्रमण के भय ने

जैसा की पहले भी उल्लेख किया गया है कि, कोविड संक्रमण की वजह से किसी व्यक्ति की मौत होने पर उसके परिजन भी उसके अंतिम संस्कार हेतु आगे आने से डरते है. हालांकि कोविड संक्रमित व्यक्ति के शव का अंतिम संस्कार करते समय उसके परिवार के पांच लोगों को उपस्थित रहने की अनुमति दी गई है, ताकि वे अपने धार्मिक रितिरिवाजों को पूर्ण कर सके, लेकिन दु:ख और दुर्भाग्य यहां भी कोविड संक्रमितों का पिछा नहीं छोडते, क्योंकि अधिकांश संक्रमितों की मृत्यु पश्चात उनके परिजन अंतिम संस्कार से संबंधित विधि-विधान को पूर्ण करने से इन्कार कर देते है. जानकारी के मुताबिक बीते एक वर्ष के दौरान स्थानीय हिंदू मोक्षधाम में 685 से अधिक शवों का अमरावती मनपा के स्वास्थ्य पथक द्वारा अंतिम संस्कार किया गया. इस समय 500 से अधिक मृतकों के रिश्तेदारों ने शव को अंतिम गंगाजलि अर्पित करने से भी इन्कार कर दिया और कई लोग तो करीब 100 फीट दूर खडे रहकर शव का अंतिम दर्शन करते हुए अंतिम संस्कार में शामिल हुए. ऐसे में मनपा के स्वास्थ्य पथक में शामिल सदस्यों एवं श्मशान घाट के कर्मचारियों को अंतिम संस्कार से जूडी तमाम विधियां पूर्ण करनी पडी.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, अब तक जीतने भी लोगों की कोविड संक्रमित के तौर पर मौत हुई है, उसमें से अधिकांश अन्य कई तरह की बीमारियों से पीडित थे और हाई ब्लड प्रेशर व हाई ब्लड शूगर जैसी बीमारियों की वजह से उनकी मौत हुई. ऐसी जानकारी डॉक्टरों द्वारा दी गई है, लेकिन इसके बावजूद इनमें से अधिकांश के रिश्तेदार केवल श्मशान घाट के दरवाजे पर ही आकर रूक गये और कोविड संक्रमण से भयभीत होकर उन्होंने अपने परिवार के मृत सदस्यों के मुंह में गंगाजल के दो घूंट डालने से भी इन्कार कर दिया. ऐसे में कहा जा सकता है कि, कोविड संक्रमण की वजह से पारिवारिक व खून के रिश्तों की गरिमा तार-तार हो गयी है. अत: अब सभी को खुद यह तय करना होगा कि, उन्हें किस तरह की जिंदगी जीनी है और किस तरह की मौत से मरना है.

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