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वरुड के पास पकडे गए सैकडों गौवंश

  •  तस्करों का नया फंडा : अब बैलगाडी के पीछे बांधकर ले जाते है

  •  30 से ज्यादा बैलगाडियों के पीछे बांधे थे गौवंश

  •  नरखेड पुलिस ने पकडकर छोडे, फिर वरुड में पकडे गए

अमरावती/प्रतिनिधि दि.25 – मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र में गौवंश तस्करी का एक ओर पर्दाफाश आज रामटेक के गौरक्षक दल के सदस्यों ने किया है. पहले मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र में ट्रकों के माध्यम से गौवंश तस्करी होती थी, लेकिन ट्रक पकडे जाने का खतरा दिनों दिन बढ जाने से पिछले कुछ महिनों से तस्करों ने नया फंडा अमल में लाया है. एक बैलगाडी के पीछे 4 से 5 गौवंश बांधकर उन्हें तस्करों के ठिकाने तक पहुंचाया जाता है. आज सुबह गौरक्षक दल ने लगभग 30 बैलगाडियों का एक कारवा पांढुर्णा से उमरी मार्ग पर हिवरा गांव के पास पकडा. जिसमें 100 के करीब गौवंश ले जाया जा रहे थे. यह जगह नरखेड थाना क्षेत्र में आती है. गौरक्षक दल पकडे हुए जानवर लेकर नरखेड पुलिस थाने में गए, लेकिन कहते है कि वहां के एपीआई महेश बोधले ने पकडे हुए गौवंश बगैर कार्रवाई के छोड दिये. उसके बाद इन्हीं गौरक्षक दल के सदस्यों ने यह बैलगाडियां पोरगव्हाण से वरुड मार्ग पर रोकी. खबर लिखे जाने तक वरुड पुलिस को इसकी सूचना दी गई थी. किंतु वरुड पुलिस का दल मात्र मौके पर नहीं पहुंचा था.
जानकारी के अनुसार मध्यप्रदेश से महाराष्ट्र में बडी मात्रा में गौवंश की तस्करी की जाती हेै. पहले यहीं तस्कर ट्रकों में गौवंश की तस्करी करते थे, लेकिन अब ट्रकों में तस्करी करना काफी महंगा साबित होता हेै. ट्रक पकडे जाने का खतरा रहता है, इस कारण गौवंश तस्करों ने अब तस्करी का नया फंडा अमल में लाया है. एक बैलगाडी के पिछे 5 से 6 जानवर बांधकर एक के पीछे एक इस तरह 35 से 40 बैलगाडियों का काफिला अपने गंतव्य की ओर निकल जाता हेै. पहले यह लोग जंगल मार्ग से बैलगाडियां निकालते थे, लेकिन अब बारिश के कारण इन्होंने मुख्य रास्तों से बैलगाडियां ले जाना शुरु किया. रामटेक गौरक्षक दल के विनोद रामदयालसिंग राठोड ने ‘दै. अमरावती मंडल’ को बताया कि इन तस्करों पर उनकी काफी दिनों से नजर थी. आज सुबह 9 बजे के करीब उन्होने लगभग 30 से 35 बैलगाडियों का काफिला पांढुर्णा से उमरी मार्ग पर पकडा. एक बैलगाडी के पीछे 5 से 6 इस तरह कुल 100 के करीब गौवंश की तस्करी हो रही थी. उन्होंने नरखेड के पीआई गिरासे को इसकी जानकारी दी और सभी गौवंश नरखेड थाने में ले गए, लेकिन वहां के एपीआई महेश बोधले ने सभी गौवंश को छोड दिया. इस कारण इन गौरक्षकों ने वरुड से पोरगव्हाण मार्ग पर फिर यहीं काफिला रोका. लगभग 2 घंटों से यह गौरक्षक काफिले को रोके हुए खडे थे, लेकिन वरुड पुलिस का दल खबर लिखे जाने तक घटनास्थल पर नहीं पहुंचा था.

 

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