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मैंने चोरमले को गाली दी, पुलिस विभाग को नहीं

गाडगेनगर थाने के पुलिस निरीक्षक का करें निलंबन

  • डॉ. बोंडे सहित अन्य चार पर लगे अपराध वापस ले

  • डॉ. अनिल बोंडे ने पत्र परिषद में दी जानकारी

अमरावती प्रतिनिधि/१५ – मैंने आंदोलन के दौरान गाडगेनगर थाने के निरीक्षक चोरमले को गाली दी है,अन्य पुलिस कर्मचारियों को गाली नहीं दी है. मैं पुलिस विभाग का हमेशा से सम्मान करता हूं. केवल चोरमले ही एकमात्र ऐसे अधिकारी है जो अन्य कर्मचारियों को काम करने के लिये दबाव डालते है. यह आरोप पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे ने पत्र परिषद में लगाया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के अब दिन भर चुके हैं. यह सरकार बेवजह किसान, बिजली ग्राहकों और छात्रों पर दबाव लाने का प्रयास कर रही है. अमरावती के पंचवटी चौक में शांतिपूर्वक चल रहे एमपीएससी के छात्रों के आंदोलन में लाठी चार्ज करने की कोशिश की गई. इतना ही नहींं, छात्रों सहित भाजपा के कार्यकर्ताओं के खिलाफ भी अपराध दर्ज किये गये. उन्होंने स्वयं तथा अन्य कार्यकर्ताओं पर दर्ज किेये गये अपराध वापस लेने की मांग भी की.वहीं गाडगेनगर पुलिस थाने के निरीक्षक आसाराम चोरमले का निलंबन की मांग भी उठायी.
पत्र परिषद को संबोधित करते हुए पूर्व कृषि मंत्री बोंडे ने कहा कि महाविकास आघाड़ी सरकार के पाप का घड़ा अब पूरी तरह से भर चुका है. किसान, बिजली ग्राहक व छात्रों के आंदोलनों को दबाने की कोशिश की जा रही है. पंचवटी चौक में एमपीएससी छात्रों का आंदोलन जारी था. इस समय बेवजह छात्रों पर लाठी चार्ज किया गया. यहां तक कि पंचवटी चौक पर छात्र जब आंदोलन कर रहे थे, उस समय गाडगेनगर के थाना निरीक्षक छात्रों को गाली गलौच कर रहे थे. विद्यार्थियों को पुलिस व्हैन में जबरन ठूंसा गया. कोरोना का जोर होने पर भी युवक-युवतियों को एक ही व्हैन में बिठाया गया. छात्रों पर किसी भी प्रकार के अपराध दर्ज न हो, इसलिये जब वे आगे आये तो पुलिस निरीक्षक चोरमले ने धक्का मुक्की भी की. दो दिनों बाद राजनीतिक दबाव में आकर डॉ. अनिल बोंडे, निवेदिता चौधरी, प्रवीण तायडे, बादल कुलकर्णी, प्रणीत सोनी के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया. लेकिन थाना निरीक्षक चोरमले व्दारा छात्रों पर किये गये लाठी चार्ज की जांच नहीं की गई है. डॉ. बोंडे ने कहा कि महाभकास आघाड़ी सरकार जब से सत्ता में आयी है, तब से सभी विकास कार्यों को स्थगति देने, विदर्भ में आने वाले विकास कार्यों का निधि रोकने, वैधानिक विकास महामंडल को अवधि बढ़ाकर नहीं देने का काम किया जा रहा है. यहीं नहीं तो किसानों पर भी यह सरकार अन्याय ही कर रही है. पोकरा बंद कर दिया है. महाडीबीटी भी क्रियान्वित नहीं की गई है. बेमौसम बारिश के पैसे भी नहीं मिल पाये है. खेत की मेढ़ पर जाकर 50 हजार रुपए की मदद देने का वादा भी सरकार भूल चुकी है. 2 लाख से अधिक की कर्ज माफी भी नहीं मिल पायी है. फसल बीमा भी किसानों को नहीं मिला है. राज्य के ऊर्जा मंत्री ने शत प्रतिशत यूनिट माफ करने की योजना की थी. कोरोना के दौर में घरेलू बिजली बिल ग्राहकों को नहीं भेजे गये. वह बिजली बिल ब्याज के साथ अब वसूला जा रहा है. दिहाडी मजदूरी करने वाले लोगों के घरों के बिजली कनेक्शन काटे जा रहे हैं. महिला अत्याचार और अपराध लगातार बढ़ रहे हैं. यह सरकार पूरी तरह से नाकाम नजर आ रही है. जिसके चलते जनता का आक्रोश सरकार के खिलाफ दिखने लगा है. कोरोना महामारी के चलते भाजपा की ओर से आंदोलन करने का फिलहाल निर्णय टाल दिया गया है. इसके बावजूद थानेदार आसाराम चोरमले को निलंबित करने, भाजपा के पांच पदाधिकारियों पर दर्ज किये गये अपराध वापस लेने की मांग की गई है.
पत्र परिषद में पूर्व कृषि मंत्री डॉ. अनिल बोंडे, भाजपा ग्रामीण जिला महिलाध्यक्ष निवेदिता चौधरी, भाजपा शहराध्यक्ष किरण पातुरकर, महापौर चेतन गावंडे, बादल कुलकर्णी, नगरसेवक प्रणीत सोनी, प्रवीण तायडे आदि मौजूद थे.

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