मुझे धोखे से कोई नशीला पदार्थ पिलाया गया था
... अन्यथा मेरा हाल भी दीपाली चव्हाण जैसा होता
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वन लेखापाल अश्विनी देशपांडे का खुलासा
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‘अमरावती मंडल’ के साथ साझा की आपबीती
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अपने सहकर्मी पर लगाया साजीश व असभ्य बर्ताव का आरोप
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एक उच्च अधिकारी पर भी प्रताडना का आरोप लगाया
अमरावती/प्रतिनिधि दि.10 – विगत 4 मई को परतवाडा स्थित पश्चिम मेलघाट वनविभाग के कार्यालय में कार्यरत लेखापाल अश्विनी देशपांडे का एक वीडियो सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुआ था. जिसमें अश्विनी शराब के नशे में धूत दिखाई देने के साथ ही पुलिस कर्मियों के साथ असभ्य बर्ताव करती दिख रही थी. जिसके बाद अश्विनी देशपांडे को पद से निलंबित कर दिया गया. वहीं अश्विनी देशपांडे ने सोमवार 10 मई को दैनिक अमरावती मंडल कार्यालय पहुंचकर उस वीडियो में दिखाई दे रही घटना से पहले क्या कुछ घटित हुआ था, उसकी सिलसिलेवार जानकारी दी. जिसके तहत उन्होंने अपने कार्यालय में कार्यरत म्हस्के नामक लिपीक पर शीतपेय में धोखे से कोई नशीला पदार्थ पिलाने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि, नशीला पदार्थ पिलाने के बाद म्हस्के नामक लिपीक स्थिति का नाजायज फायदा भी उठाना चाहता था. इसके अलावा अश्विनी देशपांडे ने यह भी कहा कि, दीपाली चव्हाण की तरह ही उन्हें भी तत्कालीन उपवन संरक्षक अश्विनी कुमार द्वारा की जानेवाली प्रताडना का सामना करना पडा था. जिसके बारे में उन्होंने वर्ष 2018 में शिकायत दर्ज करायी थी. किंतु बाद में तत्कालीन मुख्य वन संरक्षक चव्हाण ने वन विभाग की बदनामी न होने देने हेतु दबाव बनाकर यह शिकायत वापिस लेने पर मजबूर किया था.
मूलत: अमरावती निवासी तथा वर्ष 2004 से वन विभाग की सेवा में कार्यरत अश्विनी देशपांडे ने बतौर लिपीक अपना कार्य शुरू किया था. पश्चात वर्ष 2017 में प्रमोशन पर लेखापाल के रूप में परतवाडा स्थित वन विभाग में ट्रान्सफर किया गया. जहां पर तत्कालीन उपवन संरक्षक अश्विनीकुमार आये दिन उन्हें डिमोशन और तबादला करने की धमकी देने के साथ ही किसी भी ऑफिंस में जानेपर देख लेने की धमकी दिया करते थे. साथ ही अश्विनी कुमार ने उनके दो इंक्रिमेंट भी रोके थे. इससे तंग आकर उन्होंने आठ माह का अवकाश ले लिया था. जिसके बाद डयूटी पर लौटते समय उनका पहले मेडिकल कराया गया और तबादला करने के साथ ही उनके आठ माह का वेतन काट दिया गया. जिसकी उन्होंने वर्ष 2018 में शिकायत दर्ज करायी थी. इसके बाद उनके खिलाफ लगातार प्रताडना और साजीश का दौर शुरू हो गया.
विगत 4 मई को हुई घटना के संदर्भ में जानकारी देते हुए अश्विनी देशपांडे ने बताया कि, 4 मई को उनके वरिष्ठ तथा वनपाल डांगे के साथ लिपीक पद पर कार्यरत म्हस्के का किसी बात को लेकर विवाद हुआ था. इसके बाद उन्होंने मामले की जानकारी लेने के लिए म्हस्के को फोन किया. इस समय म्हस्के ने उन्हें खाना खाने के लिए पंजाब ढाबे पर बुलाया. साथ ही पंजाब ढाबे पर आने के लिए करीब तीन से चार बार फोन भी किये. चूंकि उन्हेें पंजाब ढाबा कहां है, यह पता नहीं था. ऐसे में उन्होंने कार्यालय में उपस्थित आबीदभाई नामक लकडा व्यापारी से इस बारे में पूछा, तब आबीदभाई ने उन्हेें पंजाब ढाबे पर ले जाकर छोडा. जहां पर लिपीक म्हस्के व तायडे सहित वाटकर नामक वन मजदूर पहले से मौजूद थे और उनका भोजन भी हो चुका था. यह देखकर जब अश्विनी देशपांडे उन तीनोें से बातचीत कर वापिस जाने निकली, तो म्हस्के ने उन्हें कुछ ठंडा लेने हेतु रूकवाया और होटल के पीछे स्थित झोपडी में ले गया. जहां पर टेबल-कुर्सी लगे हुए थे. इस समय तक लिपीक तायडे वनमजदूर वाटकर व लकडा व्यापारी आबीद भाई वहां से जा चुके थे. पश्चात म्हस्के ने उन्हें चॉकलेटी रंग का एक कोल्ड्रींक्स पीने हेतु दिया. जिसे पीते ही उनका जी मचलाना और सिर घुमना शुरू हो गया. ऐसे में उन्होंने उस ड्रिंक को वैसे ही छोडना चाहा, तो म्हस्के ने बचा हुआ ड्रिंक उन्हें जबरन पिलाया. साथ ही अश्विनी देशपांडे से हाथ में हाथ देने की मांग करते हुए अश्लिल हरकत करनी शुरू की. इस समय सौभाग्य से लकडा व्यापारी आबीद भाई वहां वापिस आ गये थे. ऐसे में अश्विनी देशपांडे ने उन्हें खुद को दुबारा ऑफिस पहुंचा देने की प्रार्थना की. जिस पर आबीद भाई ने उन्हें वापिस ऑफिस पहुंचाया, जहां पर वह चक्कर आकर गिर पडी.
अपने पति दिनेश देशमुख के साथ अमरावती मंडल कार्यालय पहुंची अश्विनी देशपांडे ने यह पूरा घटनाक्रम बताते हुए कहा कि, वन विभाग में कोई भी महिला सुरक्षित नहीं है और उसे अपने वरिष्ठाधिकारियों की प्रताडना का सामना करना ही पडता है. इस तरह से वन विभाग में बडे अधिकारियों द्वारा जंगलराज चलाया जा रहा है और चूंकि उन्होंने वर्ष 2018 में अपने वरिष्ठ अधिकारी के खिलाफ शिकायत दर्ज करायी थी और वे लगातार प्रताडना के खिलाफ संघर्ष कर रही है. ऐसे में उन्हें जानबूझकर एक साजीश का शिकार बनाया गया है और इस साजीश की वजह से उन्हें पद से निलंबीत कर दिया गया है. अश्विनी देशपांडे के मुताबिक विगत दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हुए अपने वीडियो को देखकर उन्हेें बेहद आघात पहुंचा है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा है कि, जो कदम दीपाली चव्हाण ने उठाया, उसी तरह का कदम वे खुद काफी पहले उठानेवाली थी. किंतु पति दिनेश देशमुख द्वारा दिये गये साथ व हौसले की वजह से वे आज जीवित है. अन्यथा वन विभाग में प्रताडना से तंग आकर आत्महत्या करनेवाली महिला के तौर पर उनका नाम दीपाली चव्हाण से पहले दर्ज हुआ होता.
विभिन्न दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष रखते हुए अश्विनी देशपांडे ने कही कि, जिस तरह दीपाली चव्हाण मामले की बेहद सघनता के साथ जांच हो रही है, उसी तरह उनके मामले की भी सघनता के साथ जांच होकर उन्हें इन्साफ मिले, ऐसी अपेक्षा है.