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अस्तित्वहीन विकास मंडल की अनदेखी कर रहे जिलाधीश

तीन जिलों ने अब तक नहीं दिया विशेष निधी का हिसाब

  • अमरावती, बुलडाणा व चंद्रपुर जिलों का समावेश

अमरावती/प्रतिनिधि दि.26 – लगभग सुप्तवस्था में पडे विदर्भ विकास महामंडल को अब जिलाधिकारियों द्वारा भी कोई तवज्जो नहीं दी जा रही. विदर्भ के तीन जिलाधिकारियों ने विकास मंडल का कार्यकाल खत्म होने से पहले उन्हें दी गई विशेष निधी का हिसाब-किताब भी नहीं दिया है, ऐसी जानकारी सामने आयी है. इन तीन जिलों में अमरावती, बुलडाणा व चंद्रपुर जिले का समावेश है.
बता दें कि, विदर्भ विकास मंडल का कार्यकाल 30 अप्रैल 2020 को खत्म हुआ. इससे पहले वर्ष 2019 में मानव विकास निर्देशांक में पीछे रहनेवाले तहसीलों में जीवनस्तर को उंचा उठाने के लिए वितरित की गई निधी में गडबडी होने का संदेह है. जिसके तहत माना जा रहा है कि हिसाब-किताब नहीं देनेवाले जिलों द्वारा यह निधी अन्य कामों पर खर्च हुई है. इसी वजह से वे विकास मंडल को जवाब नहीं दे रहे है.
ज्ञात रहे कि, विदर्भ, मराठवाडा व शेष महाराष्ट्र ऐसे तीनों विकास मंडलों को 50-50 करोड रूपयों की विशेष निधी वितरित की गई थी और विकास मंडलों द्वारा अपने कार्यक्षेत्र अंतर्गत आनेवाले जिलों को मानव विकास निर्देशांक के आधार पर निधी उपलब्ध करायी गई थी. विदर्भ विकास महामंडल का कार्यकाल अप्रेल 2020 में खत्म होने के बाद विगत 14 माह से मंडल द्वारा विदर्भ के सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखकर इस निधी के खर्च का हिसाब-किताब मांगा जा रहा है. जिसके तहत प्रत्येक तीन माह में स्मरण पत्र जारी किये जा रहे है, लेकिन अमरावती सहित बुलडाणा व चंद्रपुर के जिलाधीश कार्यालय द्वारा अब तक यह हिसाब-किताब सौंपा नहीं गया है. उल्लेखनीय है कि, अब कानूनी रूप से विकास महामंडल अस्तित्व में नहीं है और राजभवन भी पहले की तरह इस काम को लेकर सक्रिय नहीं है. वहीं विदर्भ क्षेत्र के नेताओं द्वारा भी इसे लेकर उदासीनता बरती जा रही है.

  • जिलाधीशों को दोबारा दिया जायेगा स्मरणपत्र

विदर्भ विकास मंडल की प्रभारी सदस्य मनीषा खत्री ने बताया कि, मानव विकास निर्देशांक में पिछडे रहनेवाले जिलों के लिए दी गई निधी का सभी जिलों से हिसाब लिया जा रहा है. किंतु कुछ जिलाधिकारियों द्वारा इसे गंभीरतापूर्वक नहीं लिया जा रहा. इस संदर्भ में कार्रवाई करने के अधिकार केवल राज्यपाल के पास है. ऐसे में विकास मंडल सिवाय स्मरण पत्र देने के अलावा और कुछ नहीं कर सकता. अत: हम प्रत्येक तीन माह में सभी जिलाधीशों को स्मरण पत्र देते आ रहे है और आगे भी ऐसे स्मरण पत्र दिये जायेंगे.

  • लगभग आधी तहसीलों को हुआ था फायदा

विदर्भ क्षेत्र की कुल 120 तहसीलों में से 50 फीसदी यानी 60 तहसीले इस विशेष निधी के लिए पात्र साबित हुई थी. जिसमें नागपुर जिले की 2, अमरावती जिले की 2, बुलडाणा जिले की 7, अकोला जिले की 1, यवतमाल जिले की 7, भंडारा जिले की 5 व गोंदिया जिले की 8 तहसीलों सहित चंद्रपुर व गडचिरोली जिले की सर्वाधिक तहसीलों को इसका लाभ मिला. इससे पहले तीनों विकास मंडलों को सालाना 100 करोड रूपयों की निधी प्राप्त हुआ करती थी. किंतु वर्ष 2014 में यह निधी दिया जाना बंद कर दिया गया. वहीं फडणवीस सरकार ने अपने कार्यकाल के अंतिम वर्ष में विकास मंडलों को प्रतिवर्ष 50-50 करोड रूपयों की निधी उपलब्ध कराने का निर्णय लिया. किंतु अगले ही वर्ष महामंडल का कार्यकाल खत्म हो गया.

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