सन 95 में बडे उलटफेर के साथ बनी थी भाजपा सेना युति की सरकार
पहली बार अमरावती सहित राज्य में कांग्रेस की हालत हुई थी खराब
* कांग्रेस के कई बडे दिग्गज व विधायक हारे थे चुनाव
* भाजपा व सेना प्रत्याशी के तौर पर कई नये चेहरे उभरे थे
* जिले की 9 में से 3-3 सीटों पर भाजपा व सेना को मिली थी जीत
* 2 पर कांग्रेस व 1 पर जनता दल ने हासिल की थी सफलता
* जिले को मिले थे 2 मंत्री पद, भाजपा के जगदीश गुप्ता व विनायक कोरडे बने थे मंत्री
* 5 साल में 2 बार बदले गये थे मुख्यमंत्री, मनोहर जोशी व नारायण राणे को मिला था मौका
अमरावती /दि.22- सन 1995 का विधानसभा चुनाव कई मायनों में रोचक व यादगार कहा जा सकता है. क्योंकि यहीं वह चुनाव था जब राज्य में पहली बार विशुद्ध रुप से गैर कांग्रेसी सरकार बनी थी. हालांकि इससे पहले एक बार शरद पवार के नेतृत्व में भी गैर कांग्रेसी सरकार बन चुकी थी. परंतु उस सरकार में शामिल अधिकांश नेताओं की पृष्ठभूमि कांग्रेसी ही थी. वहीं सन 1995 में भारतीय जनता पार्टी व शिवसेना की युति ने 288 में से 138 सीटों पर जीत हासिल करने के साथ ही निर्दलीय विधायकों का साथ लेने हेतु युति सरकार का गठन किया था. जिसे शिवशाही सरकार का नाम भी दिया गया था. उस समय भाजपा व सेना के बीच ‘जिसके ज्यादा विधायक, उसका मुख्यंमत्री’ वाला फार्मूला तय हुआ था और चूंकि शिवसेना के 73 व भाजपा के 65 विधायक निर्वाचित हुए थे. ऐसे में मुख्यमंत्री का पद शिवसेना के हिस्से में गया था और शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने मुख्यमंत्री पद के लिए मनोहरपंत जोशी के नाम पर मुहर लगाई थी. हालांकि मनोहर जोशी अगले तीन साल तक ही मुख्यमंत्री रह पाये और फिर उसके स्थान पर नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया गया. वहीं अमरावती जिले से लगातार दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत दर्ज करने वाले जगदीश गुप्ता को राजस्व मंत्री एवं विनायक कोरडे को राज्यमंत्री बनाया गया था. जिसके चलते भाजपा सेना युति सरकार में अमरावती जिले को दो मंत्री पद मिले थे. सन 1995 के चुनाव की खासियत यह भी रही कि, इससे पहले तक अपने निर्वाचन क्षेत्रों का एक या एक से अधिक बार प्रतिनिधित्व कर चुके कांग्रेस के कुछ दिग्गज नेताओं को जबर्दस्त हार का सामना करना पडा था और कुछ स्थानों पर तो तत्कालीन विधायक रह चुके कांग्रेस प्रत्याशी दूसरे या तीसरे स्थान पर खिसक गये थे.
* मनोहर जोशी व नारायण राणे को मिला था सीएम बनने का मौका
सन 1995 के विधानसभा चुनाव में राज्य की 288 सीटों में से शिवसेना ने 169 सीटों पर चुनाव लडते हुए 73 सीटों पर जीत हासिल की थी. वहीं भाजपा ने 116 सीटों पर प्रत्याशी खडे करते हुए 65 सीटें जीती थी. इन दोनों पार्टियों के बीच चुनाव से पहले ही गठबंधन हो चुका था. साथ ही यह भी तय किया गया था कि, जिस पार्टी के ज्यादा विधायक चुनकर आएंगे. सत्ता मिलने पर उस पार्टी का मुख्यमंत्री बनेगा. ऐसे में शिवसेना के विधायक अधिक रहने के चलते मुख्यमंत्री पद को लेकर शिवसेना ने दावा किया था और युति सरकार मेें मनोहर जोशी को मुख्यमंत्री बनाया गया था. हालांकि जोशी का कार्यकाल केवल तीन साल ही चला जिसके बाद शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे ने जोशी को पद से हटाते हुए उनके स्थान पर नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया था.
* कांग्रेस महज 80 सीटों पर सिमट गई थी, जनता दल को मिली थी मात्र 11 सीटें
– विशेष उल्लेखनीय है कि, सन 1952 से आगे के लगभग सभी चुनावों में करीब-करीब एकतरफा जीत हासिल करने वाली कांगे्रस पार्टी 80 व 90 के दशक में अंर्तकलह व गुटबाजी का शिकार होकर काफी हद तक बिखरने लगी थी. हालांकि सन 1985 व 90 का चुनावी दौर आते-आते कांग्रेस के सभी धडे एक बार फिर एकजूट हो गये थे. लेकिन इसके बावजूद भी कांग्रेस पार्टी अपनी सफलता को दोबारा दोहरा नहीं पायी तथा सन 1995 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने 286 सीटों पर चुनाव लडने के बावजूद भी केवल 80 सीटों पर ही जीत हासिल की. वहीं 80 के दशक में काफी बडा उलटफेर करने में सफल रहे जनता दल ने सन 1995 के चुनाव में 182 सीटों पर प्रत्याशी खडे किये थे. जिसमें से महज 11 सीटों पर ही जनता दल को जीत हासिल हुई थी. वहीं भाजपा नेता युति ने सांझा तौर पर 138 सीटें जीतते हुए निर्दलीय प्रत्याशियों का साथ लेकर राज्य में पहली बार विशुद्ध तौर पर गैर कांग्रेसी सरकार बनाई थी.
* ‘एनरॉन’ के चलते गई थी कांग्रेस की सत्ता
याद दिला दे कि, वर्ष 1990 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद शरद पवार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. जिन्हें वर्ष 1991 में कांग्रेस द्वारा दिल्ली बुला लिया गया था और केंद्रीय रक्षामंत्री बनाया गया था. जिनके स्थान पर मुख्यमंत्री पद का जिम्मा सुधाकररा नाईक को सौंपा गया था. परंतु वर्ष 1993 में राज्य के हालात को देखते हुए शरद पवार को एक बार फिर महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाकर भेजा गया. जिन्होंने मुंबई में हुए सीरियल ब्लॉस्ट तथा लातूर व उस्मानाबाद में हुए भूकंप के बाद अपनी प्रशासनिक कौशल क्षमता का परिचय दिया था. परंतु इसी दौरान रत्नागिरी जिले के दाभोल में एनरॉन कंपनी की बिजली परियोजना को लेकर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की वजह से शरद पवार और कांग्रेस की जमकर किरकिरी हुई. 2.8 बिलियन डॉलर की यह परियोजना भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते रुकी हुई थी. जिसे तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार द्वारा मंजूरी दी गई थी. इसी फैसले का जबर्दस्त विरोध करते हुए शिवसेना और भाजपा ने पूरे राज्य में कांग्रेस के खिलाफ माहौल बनाया और चुनाव में जबर्दस्त जीत हासिल की. हालांकि चुनाव के बाद इस परियोजना को बचाने के लिए एनरॉन कंपनी की रेबेका मार्क अमरिका से भारत आयी थी और उन्होंने 1 नवंबर 1995 को सचिवालय भवन में तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर जोशी के साथ अधिकारिक तौर पर बैठक करना तय किया. लेकिन उन्हें इससे पहले शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे से मिलने हेतु ‘मातोश्री’ बंगले पर बुलाया गया. जहां पर बालासाहब ठाकरे ने इस परियोजना से संबंधित महत्वपूर्ण निर्णयों में खूद को शामिल करने के साथ ही शीर्ष नौकरशाहों की नियुक्तियों का भी फैसला किया.
* अमरावती से लगातार दूसरी बार जीतकर मंत्री बने थे जगदीश गुप्ता
अमरावती विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जगदीश गुप्ता ने लगातार दूसरी बार जीत हासिल की थी और वे सन 95 के चुनाव में करीब 50 हजार वोटों की लीड से विजयी हुए थे. इसके चलते जगदीश गुप्ता को युति सरकार में राजस्व मंत्री बनाने के साथ ही जिला पालकमंत्री भी नियुक्त किया गया था. खास बात यह रही कि, उस चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर मुजफ्फर अहमद मो. युसूफ उर्फ मुजफ्फर मामू ने शानदार प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था. वहीं इससे पहले सन 1985 में अमरावती के विधायक रह चुके कांग्रेस प्रत्याशी देवीसिंह शेखावत इस बार तीसरे स्थान पर खिसक गये थे. उस चुनाव में अमरावती निर्वाचन क्षेत्र से 2 लाख 29 हजार 916 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 1 लाख 52 हजार 5 यानि 66.11 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 1 लाख 50 हजार 255 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से भाजपा प्रत्याशी जगदीश गुप्ता को 71 हजार 845 यानि 47.82 फीसद, निर्दलीय प्रत्याशी मुजफ्फर अहमद को 22 हजार 509 यानि 14.98 फीसद, कांग्रेस प्रत्याशी देवीसिंह शेखावत को 18 हजार 150 यानि 12.08 तथा निर्दलीय प्रत्याशी विलास इंगोले को 13 हजार 995 यानि 9.31 फीसद वोट हासिल हुए थे. उस चुनाव में अमरावती विधानसभा क्षेत्र से कुल 35 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 31 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* बडनेरा से धाने पाटिल ने मारी थी बाजी
– रिकॉर्ड 62 प्रत्याशी थे मैदान में, 58 की जमानत जब्त
बडनेरा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र से वर्ष 1990 में सेना प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीतने वाले प्रदीप वडनेरे ने आगे चलकर छगन भुबल के नेतृत्व में शिवसेना के खिलाफ हुई बगावत में शामिल होकर कांग्रेस में प्रवेश कर लिया था. जिसके चलते शिवसेना ने बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से ज्ञानेश्वर धाने पाटिल को अपना प्रत्याशी बनाया था. जिन्होंने करीब 11 हजार वोटों की लीड से जीत हासिल करते हुए सभी को चौका दिया था. क्योंकि ज्ञानेश्वर धाने पाटिल के खिलाफ कांगेस ने पूर्व सांसद उषाताई चौधरी को चुनावी अखाडे में उतारा था, जो आश्चर्यजनक रुप से तीसरे स्थान पर थी. वहीं भारिप-बमसं के विनायक दुधे ने उषाताई चौधरी को पछाडते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था. उस चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से 1 लाख 93 हजार 270 मतदाता पंजीकृत थे. जिसमें से 1 लाख 35 हजार 59 यानि 69.88 फीसद ने वोट डाले थे और 1 लाख 32 हजार 960 वोट वैध पाये गये थे. जिसमें से शिवसेना प्रत्याशी ज्ञानेश्वर धाने पाटिल ने 35 हजार 862 यानि 26.97 फीसद वोट हासिल करते हुए जीत हासिल की थी. वहीं भारिप-बमसं के विनायक दुधे ने 24 हजार 565 यानि 18.48 फीसद, कांग्रेस प्रत्याशी उषाताई चौधरी ने 10 हजार 807 यानि 8.13 फीसद तथा निर्दलीय प्रत्याशी प्रकाश इंझलकर ने 8 हजार 920 यानि 6.71 फीसद वोट हासिल किये थे. खास बात यह रही कि, सन 1995 के विधानसभा चुनाव में बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र से रिकॉर्ड 65 प्रत्याशियों ने चुनाव लडा था. यह जिले के सभी 9 विधानसभा क्षेत्रों के प्रत्याशियों के लिहाज से सर्वाधिक संख्या थी. लेकिन इनमें से 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 58 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी. परंतु वोटों का जबर्दस्त बंटवारा हुआ था.
* चांदूर रेल्वे में पांडुरंग ढोले ने खोला था जनता दल का खाता
जिस समय पूरे राज्य में भाजपा शिवसेना युति की जबर्दस्त लहर चल रही थी. तब चांदूर रेल्वे में जनता दल के पांडुरंग ढोले ने बडा उलटफेर करते हुए करीब साढे तीन हजार वोटों की लीड से जीत हासिल की थी और तत्कालीन विधायक व भाजपा प्रत्याशी अरुण अडसड को हार का सामना करना पडा था. वहीं पहली बार विधानसभा चुनाव लडने वाले वीरेंद्र जगताप कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर तीसरे स्थान पर थे. उस चुनाव में चांदूर रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से कुल 1 लाख 40 हजार 778 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 1 लाख 9 हजार 882 यानि 78.07 फीसद ने वोट डाले थे और 1 लाख 7 हजार 795 वोट वैध पाये गये थे. जिसमें से जनता दल प्रत्याशी पांडुरंग ढोले को 36 हजार 863 यानि 34.20 फीसद, भाजपा प्रत्याशी अरुण अडसड को 32 हजार 484 यानि 30.13 फीसद तथा कांग्रेस प्रत्याशी विरेंद्र जगताप को 27 हजार 69 यानि 25.11 फीसद वोट मिले थे. उस चुनाव में चांदूर रेल्वे विधानसभा क्षेत्र से कुल 13 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 3 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 10 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* दर्यापुर से दूसरी बार जीते थे प्रकाश भारसाकले
दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र से शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर प्रकाश भारसाकले ने लगातार दूसरी बार सफलता प्राप्त करते हुए करीब 14 हजार वोटों की लीड से जीत हासिल की थी. खास बात यह रही कि, इससे पहले एक-एक बार दर्यापुर के विधायक रह चुके रावसाहब हाडोले व अशोकसिंह गहरवार उस चुनाव में तीसरे व चौथे स्थान पर चले गये थे. वहीं भारिप-बमसं के साहेबराव लेंडे ने दूसरे स्थान पर रहते हुए प्रकाश भारसाकले को कडी टक्कर दी थी. सन 95 के चुनाव में दर्यापुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 1 लाख 57 हजार 530 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 1 लाख 20 हजार 13 यानि 76.20 फीसद मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था और 1 लाख 18 हजार 388 वोट वैध पाये गये थे. सन 1995 के चुनाव में दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र से कुल 34 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 30 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* मेलघाट में पहली बार खिला था कमल, पटल्या गुरुजी जीते थे
सन 1952 से लेकर 1990 तक राज्य सहित देश में घटित हो रहे तमाम राजनीतिक उतार चढाव के बावजूद कांगे्रस के साथ बने रहने वाला आदिवासी बहुल मेलघाट विधानसभा क्षेत्र भी सन 1995 के चुनाव में बदलाव का साथी बना. जब मेलघाट से पटल्या लांगडा मावस्कर उर्फ पटल्या गुरुजी ने भाजपा प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करते हुए मेलघाट में पहली बार भाजपा को सफलता दिलाई. खास बात यह रही कि, इससे पहले मेलघाट के विधायक रह चुके रामु पटेल निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर तीसरे व कांग्रेस प्रत्याशी रहने वाले तुलसीराम काले चौथे स्थान पर चले गये थे. वहीं पहली बार चुनावी अखाडे में उतरे पूर्व विधायक दयाराम पटेल के बेटे राजकुमार पटेल ने बसपा प्रत्याशी के तौर पर भाजपा को कडी टक्कर देते हुए दूसरा स्थान हासिल किया था. उस चुनाव में मेलघाट निर्वाचन क्षेत्र से 1 लाख 88 हजार 66 मतदाता पंजीकृत हुए थे. जिनमें से 1 लाख 32 हजार 854 यानि 70.64 फीसद ने वोट डाले थे और 1 लाख 24 हजार 789 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से भाजपा प्रत्याशी पटल्या मावस्कर को 37 हजार 377 यानि 29.95 फीसद, बसपा प्रत्याशी राजकुमार पटेल को 32 हजार 209 यानि 25.81 फीसद, निर्दलीय प्रत्याशी व पूर्व विधायक रामू म्हटांग पटेल को 23 हजार 99 यानि 18.51 तथा कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व विधायक तुलसीराम काले को 17 हजार 284 यानि 13.85 फीसद वोट मिले थे. उस चुनाव में मेलघाट विधानसभा क्षेत्र से कुल 10 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 6 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* अचलपुर से दूसरी बार जीतकर राज्यमंत्री बने थे विनायक कोरडे
सन 1990 के विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी के तौर पर विजयी रहने वाले विनायकराव कोरडे ने अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से लगातार दूसरी बार भाजपा प्रत्याशी के तौर पर करीब 16 हजार वोटो ंकी लीड के साथ चुनाव जीता था. जिसके चलते विनायक कोरडे को तत्कालीन युति सरकार में राज्यमंत्री का पद भी मिला था. उस चुनाव में अचलपुर निर्वाचन क्षेत्र से कुल 1 लाख 79 हजार 755 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 1 लाख 32 हजार 753 यानि 73.85 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 1 लाख 30 हजार 457 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से भाजपा प्रत्याशी विनायक कोरडे को 46 हजार 881 यानि 35.94 फीसद निर्दलीय प्रत्याशी सुरेश ठाकरे को 30 हजार 567 यानि 23.43 फीसद, कांग्रेस प्रत्याशी नियाज अहमद खान को 23 हजार 499 यानि 18.01 तथा भारिप-बमसं प्रत्याशी मो. जाहीरुल हसन को 8 हजार 787 यानि 6.74 फीसद वोट मिले थे. उस चुनाव में अचलपुर विधानसभा क्षेत्र से कुल 35 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 4 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 31 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* मोर्शी से हर्षवर्धन देशमुख ने हासिल की थी दूसरी बार जीत
सन 1990 के विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करते हुए तत्कालीन मुख्यमंत्री शरद पवार की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहने वाले हर्षवर्धन देशमुख ने आगे चलकर कांग्रेस पार्टी में प्रवेश कर लिया था और उन्होंने सन 1995 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर लडते हुए मोर्शी विधानसभा क्षेत्र से लगातार दूसरी जीत हासिल की थी तथा करीब 13 हजार वोटों की लीड के साथ चुनाव जीता था. उस चुनाव में हर्षवर्धन देशमुख के हाथों इससे पहले कांगे्रस की ओर से विधायक रह चुके व निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड रहे पुरुषोत्तम मानकर को करारी हार का सामना करना पडा था. उस चुनाव में मोर्शी निर्वाचन क्षेत्र से 1 लाख 69 हजार 282 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 1 लाख 21 हजार 447 यानि 71.74 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 1 लाख 19 हजार 223 वोट वैध पाये गये थे. जिसमें से कांग्रेस प्रत्याशी हर्षवर्धन देशमुख को 50 हजार 739 यानि 42.56 फीसद, निर्दलीय प्रत्याशी पुरुषोत्तम मानकर को 37 हजार 359 यानि 31.34 फीसद तथा बसपा प्रत्याशी विनायक फरकाडे को 13 हजार 848 यानि 11.62 फीसद वोट हासिल हुए थे. उस समय मोर्शी विधानसभा क्षेत्र से कुल 27 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 3 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 24 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* तिवसा से लगातार दूसरी बार जीते थे शरद तसरे
– तीसरी बार पहुंचे थे विधानसभा में, फिर कटी थी भैयासाहब ठाकुर की टिकट
इससे पहले सन 1972 में चांदूर रेल्वे निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के विधायक रह चुके शरद तसरे ने आगे चलकर सन 1985 में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. जिन्हें तत्कालीन विधायक भैयासाहब ठाकुर का टिकट काटकर कांग्रेस की ओर से प्रत्याशी बनाया गया था. इसके बाद सन 1990 और 1995 में एक बार फिर भैयासाहब ठाकुर की टिकट कटी थी तथा दोनों ही बार शरद तसरे तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी थे. जिसमें से 1990 में शरद तसरे को भाई मंगले के हाथों हार का सामना करना पडा था और सन 1995 के चुनाव में शरद तसरे ने भाई मंगले को करीब साढे 9 हजार वोटों की लीड से पराजीत किया था. साथ ही निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चंद्रकांत उर्फ भैयासाहब ठाकुर तीसरे स्थान पर थे. इस चुनाव में तिवसा निर्वाचन क्षेत्र से 1 लाख 46 हजार 872 मतदाता पंजीकृत थे तथा 1 लाख 11 हजार 410 यानि 75.86 फीसद वोट पडे थे, जिसमें से 1 लाख 9 हजार 171 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से कांग्रेस प्रत्याशी शरद तसरे को 27 हजार 62 यानि 24.79 फीसद, भाकपा प्रत्याशी व पूर्व विधायक भाई मंगले को 17 हजार 481 यानि 16.01 फीसद तथा निर्दलीय प्रत्याशी व पूर्व विधायक चंद्रकांत उर्फ भैयासाहब ठाकुर को 15 हजार 762 यानि 14.14 फीसद वोट हासिल हुए थे. वहीं निर्दलीय प्रत्याशी संजय कोल्हे ने 11 हजार 524 यानि 10.56 फीसद, भाजपा प्रत्याशी साहेबराव तट्टे ने 10 हजार 967 यानि 10.05 फीसद तथा पीडब्ल्यूपी प्रत्याशी विजय इंगले ने 10 हजार 334 यानि 9.47 फीसद वोट हासिल करते हुए अपनी जामनत बचाई थी. उस चुनाव में तिवसा विधानसभा क्षेत्र से कुल 26 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 6 प्रत्याशियों को छोडकर शेष 20 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* वलगांव से लगातार दूसरी बार चुने गये थे शिवसेना के संजय बंड
सन 1990 के चुनाव में वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से पहली बार शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल करने वाले संजय बंड ने सन 1995 के चुनाव में भी वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से लगातार दूसरी बार शिवसेना प्रत्याशी के तौर पर जीत हासिल की थी. उस समय वलगांव निर्वाचन क्षेत्र में मुकाबला बेहद कडा व रोमांचक हुआ था तथा संजय बंड बमुश्किल करीब पौने 4 हजार वोटों की लीड से जीते थे और उन्होंने पूर्व मंत्री व कांग्रेस प्रत्याशी अनिल वर्हाडे को पराजीत किया था. उस चुनाव में वलगांव निर्वाचन क्षेत्र से कुल 1 लाख 48 हजार 978 मतदाता पंजीकृत थे. जिनमें से 1 लाख 13 हजार 802 यानि 76.39 फीसद मतदाताओं ने वोट डाले थे और 1 लाख 11 हजार 800 वोट वैध पाये गये थे. इसमें से शिवसेना प्रत्याशी संजय बंड को 25 हजार 864 यानि 23.13 फीसद, कांग्रेस प्रत्याशी डॉ. अनिल वर्हाडे को 22 हजार 89 यानि 19.76 फीसद, निर्दलीय प्रत्याशी आमीर खान हमीद खान को 14 हजार 243 यानि 12.74 फीसद, निर्दलीय प्रत्याशी श्रीकांत तराल को 12 हजार 986 यानि 11.62 फीसद, भारिप-बमसं प्रत्याशी दिलीप एडतकर को 8 हजार 572 यानि 7.67 तथा रिपाई प्रत्याशी दे. झा. वाकपांजर को 8 हजार 568 यानि 7.66 फीसद वोट हासिल हुए थे. उस चुनाव में वलगांव विधानसभा क्षेत्र से कुल 31 प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे, जिनमें से इन 6 प्रमुख प्रत्याशियों को छोडकर शेष 35 प्रत्याशियों की जमानत जब्त हुई थी.
* विधानसभा निहाय हुए मतदान तथा वैध मतदान व प्रतिशत की स्थिति
विधानसभा क्षेत्र कुल मतदाता प्रत्यक्ष मतदान वैध वोट मतदान प्रतिशत
अमरावती 2,29,916 1,52,005 1,50,255 66.10
बडनेरा 1,93,270 1,35,059 1,32,960 69.88
दर्यापुर 1,57,503 1,20,013 1,18,388 76.20
मेलघाट 1,88,066 1,32,854 1,24,789 70.64
चांदूर रेल्वे 1,40,478 1,09,882 1,07,795 78.07
अचलपुर 1,79,755 1,32,753 1,30,457 73.85
मोर्शी 1,69,282 1,31,447 1,19,223 71.74
वलगांव 1,48,978 1,13,802 1,11,800 76.39
तिवसा 1,46,872 1,11,410 1,09,171 75.86
कुल 15,54,120 11,39,225 1,04,838 73.19
* सन 90 के चुनाव में विजयी प्रत्याशी व उनके हासिल वोट
निर्वाचन क्षेत्र विजयी प्रत्याशी प्राप्त वोट वोट प्रतिशत
अमरावती जगदीश गुप्ता (भाजपा) 71,845 47.82
बडनेरा ज्ञानेश्वर धाने पाटिल (शिवसेना) 35,862 26.97
दर्यापुर प्रकाश भारसाकले (शिवसेना) 44,377 37.48
मेलघाट पटल्या गुरुजी मावस्कर (भाजपा) 37,377 29.95
चांदूर रेल्वे पांडुरंग ढोले (जनता दल) 36,863 34.20
अचलपुर विनायक कोरडे (भाजपा) 46,881 35.94
मोर्शी हर्षवर्धन देशमुख (कांग्रेस) 50,739 42.56
वलगांव संजय बंड (शिवसेना) 25,864 23.13
तिवसा शरद तसरे (कांग्रेस) 27,062 24.79
* विधानसभा क्षेत्र निहाय प्रमुख प्रत्याशियों की स्थिति (हासिल वोट व प्रतिशत)
– अमरावती
जगदीश गुप्ता (भाजपा) 71,845 47.82
मुजफ्फर अहमद मो. युसूफ (निर्दलीय) 22,509 14.98
देवीसिंह शेखावत (कांग्रेस) 18,150 12.08
विलास इंगोले (निर्दलीय) 13,995 9.31
कुल 35 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 4 को छोडकर शेष 31 की जमानत जब्त हुई थी.
– बडनेरा
ज्ञानेश्वर धाने पाटिल (शिवसेना) 35,862 26.97
विनायक दुधे (बीबीएमएस) 24,565 18.45
तुषार चौधरी (कांग्रेस) 10,807 8.13
प्रकाश इंझलकर (निर्दलीय) 8,920 6.71
कुल 62 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 4 को छोडकर शेष 58 की जमानत जब्त हुई थी.
– दर्यापुर
प्रकाश भारसाकले (शिवसेना) 44,377 37.48
साहेबराव लेंडे (बीबीएमएस) 32,691 27.61
रावसाहब हाडोले (कांग्रेस) 18,514 15.64
अशोकसिंह गहरवार (निर्दलीय) 9,147 7.47
कुल 34 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 4 को छोडकर शेष 30 की जमानत जब्त हुई थी.
– मेलघाट
पटल्या गुरुजी मावस्कर (भाजपा) 37,377 29.95
राजकुमार पटेल (बसपा) 32,209 25.81
रामु पटेल (निर्दलीय) 23,099 18.51
तुलसीराम काले (कांग्रेस) 17,284 13.85
कुल 10 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 4 को छोडकर शेष 6 की जमानत जब्त हुई थी.
– चांदूर रेल्वे
पांडुरंग ढोले (जनता दल) 36,863 34.20
अरुण अडसड (भाजपा) 32,484 30.13
विरेंद्र जगताप (कांग्रेस) 27,069 25.11
कुल 13 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 3 को छोडकर शेष 10 की जमानत जब्त हुई थी.
– अचलपुर
विनायक कोरडे (भाजपा) 46,881 35.94
सुरेश ठाकरे (निर्दलीय) 30,567 23.43
नियाज अहमद खान (कांग्रेस) 23,499 18.01
मो. जाहीरुल हसन (बीबीएमएस) 8,787 6.74
कुल 35 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 4 को छोडकर शेष 31 की जमानत जब्त हुई थी.
– मोर्शी
हर्षवर्धन देशमुख (कांगे्रस) 50,739 42.56
पुरुषोत्तम मानकर (निर्दलीय) 37,359 31.34
विनायक फरकाडे (बसपा) 13,848 11.62
कुल 27 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 3 को छोडकर शेष 24 की जमानत जब्त हुई थी.
– वलगांव
संजय बंड (शिवसेना) 25,864 23.13
अनिल वर्हाडे (कांग्रेस) 22,089 19.76
आमीर खान हमीद खान (निर्दलीय) 14,243 12.74
श्रीकांत तराल (निर्दलीय) 12,986 11.62
दिलीप एडतकर (बीबीएमएस) 8,572 7.67
दे. झा. वाकपांजर (रिपाई) 8,568 7.66
कुल 31 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 6 को छोडकर शेष 25 की जमानत जब्त हुई थी.
– तिवसा
शरद तसरे (कांग्रेस) 27,062 24.79
नानासाहब मंगले (भाकपा) 17,481 16.01
चंद्रकांत ठाकुर (निर्दलीय) 15,762 14.44
संजय कोल्हे (निर्दलीय) 11,524 10.56
साहेबराव तट्टे (भाकपा) 10,967 10.05
विजय इंगले (पीडब्ल्यूपी) 10,334 9.47
कुल 26 प्रत्याशी मैदान में थे. जिसमें से इन 6 को छोडकर शेष 20 की जमानत जब्त हुई थी.