7 वर्ष में मराठा समाज की 15 में से केवल 4 मांगे हुई पूरी
आरक्षण सहित 11 मांगे अब भी प्रलंबित
* वर्ष 2016 में हुआ था पहला मराठा मोर्चा
* इस दौरान राज्य में तीन बार हुआ सत्ता परिवर्तन
* सभी दलों की सरकारों ने आश्वासन देकर काम चलाया
मुंबई दि.9– अहमदनगर जिले के कोपर्डी गांव में घटित घटना के बाद संगठित हुए मराठा समाज में 9 अगस्त 2016 को छत्रपति संभाजी नगर यानि तत्कालीन औरंगाबाद में पहला मराठा क्रांति मुक मोर्चा निकालकर इस घटना के खिलाफ आवाज उठाई थी. जिसके बाद राज्य के 58 शहरों में अनुशासित ढंग से आंदोलन होने के साथ-साथ मुक क्रांति मोर्चा राज्य की राजधानी मुंबई व राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली तक भी पहुंचा था. इस आंदोलन के दौरान मराठा समाज की न्यायपूर्ति मांगों के लिए 42 युवाओं ने अपना बलिदान दिया था. इस आंदोलन को हुए आज 7 वर्ष पूर्ण हो चुके है. इस आंदोलन मराठा समाज के आर्थिक, सामाजिक व शैक्षणिक मसलों को सबके सामने उजागर किया था. इस आंदोलन के बाद राज्य मेेंं तीन बार सरकारें बदली, लेकिन प्रत्येक सरकार ने मराठा समाज को केवल आश्वासन ही दिया. क्योंकि इन 7 वर्षों के दौरान मराठा आंदोलन के जरिए उठाई गई 15 में से केवल 4 मांगे ही पूर्ण हुई है. वहीं मराठा आरक्षण की प्रमुख मांग सहित 11 मांगे अब भी प्रलंबित है. जिन्हें लेकर विगत 7 वर्षों से कागजी घोडे नचाए जा रहे है.
* कोपर्डी अत्याचार के आरोपियों की फांसी का मामला अब भी विचाराधीन, मराठा समाज की मांगों के लिए बलिदान देने वाले 42 युवाओं के परिजन अब भी सरकारी नौकरी व आर्थिक सहायता की प्रतीक्षा में
– मांग क्रमांक-1 – आरक्षण (प्रलंबित)
मराठा समाज को आरक्षण देने के मामले में कांग्रेस, राष्ट्रवादी कांग्रेस, शिवसेना व भाजपा इन सभी दलों की सरकारें अदालत में असफल साबित हुई है. जिसके चलते मराठा समाज का आरक्षण रद्द हो गया. साथ ही इस मामले को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका भी खारिज हो गई. वहीं अब तीसरी पुनर्विचार चिकित्सक याचिका दायर करने का प्रयास किया जा रहा है.
– मांग क्रमांक-2 – ओबीसी संवर्ग से आरक्षण (प्रलंबित)
त्रृटी दूर करने हेतु स्थापित की गई भोसले समिति की रिपोर्ट सरकार के समक्ष पेश हो चुकी है. जिसके आधार पर क्यूरेटीव प्रिटीशन दायर की जाएगी. साथ ही प्लान बी के तौर पर राज्य पिछडा वर्गीय आयोग स्थापित करने का पर्याय भी राज्य सरकार के सामने है. हालांकि इससे पहले गठित किए गए सराफ, खत्री, बापट, गायकवाड व भाटिया आयोग भी लालफिताशाही में अटककर रह गए.
– मांग क्रमांक-3 – केजी टू पीजी नि:शुल्क शिक्षा (प्रलंबित)
इस मामले को लेकर अब तक कोई निर्णय नहीं हुआ है. हालांकि ‘सारथी’ के जरिए कक्षा 8 वीं से छात्रवृत्ति लागू की गई है. लेकिन इसके लिए परीक्षा की शर्त रखी गई है. जिसकी वजह से अब तक केवल 10 हजार विद्यार्थियों को ही इस छात्रवृत्ति का लाभ मिल पाया है.
– मांग क्रमांक-4 – कुणबी व मराठा कुणबी प्रमाणपत्र वितरीत करने का मामला (प्रलंबित)
मराठवाडा में कुणबी जाती की जानकारी दर्ज नहीं रहने के चलते इस क्षेत्र में कुणबी प्रमाणपत्र नहीं मिलता है. वहीं विदर्भ में मराठा कुणबी प्रमाणपत्र जारी होता है. इसे लेकर रहने वाले संभ्रम का नुकसान कई जरुरतमंदों को उठाना पडता है. ऐसे में जब तक ओबीसी संवर्ग में समावेश नहीं होता, तब तक मराठा समाज को आरक्षण का लाभ नहीं मिल सकता. अत: पूरे राज्य में मराठा समाज को कुणबी व मराठा कुणबी प्रमाणपत्र वितरीत करने की मांग की जा रही है.
– मांग क्रमांक-5 – मराठा आंदोलकों पर दर्ज मामले पीछे लिए जाए (30 फीसद मामले लिए गए पीछे, 70 फीसद बाकी)
मराठा समाज द्बारा किए गए मुक मोर्चा व ठोक आंदोलन के दौरान समूचे राज्य में 13 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए. जिन्हें वापिस लिए जाने की मांग भी मराठा समाज द्बारा की गई. इसमें से केवल 30 फीसद मामलों को ही उद्धव ठाकरे सरकार के कार्यकाल दौरान वापिस लिया गया. वहीं शेष 70 फीसद मामले अब भी प्रलंबित है.
– मांग क्रमांक-6 – आरक्षण हेतु बलिदान देने वाले 42 लोगों के परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता व एक सदस्य को सरकारी नौकरी की मांग (प्रलंबित)
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर हुए आंदोलन में 42 मराठा युवाओं ने अपना बलिदान दिया था. उनके परिजनों को 10 लाख रुपए की आर्थिक सहायता तथा परिवार के किसी एक सदस्य को एसटी में नौकरी देने का निर्णय उद्धव ठाकरे सरकार द्बारा लिया गया था. लेकिन इस फैसले पर आज तक अमल नहीं हुआ है.
– मांग क्रमांक-7 – अण्णासाहब पाटिल महामंडल को भरपूर निधी देने की मांग (अंशत: मान्य)
1 हजार करोड रुपए की निधी दिए जाने की मांग की गई थी. लेकिन 25 करोड रुपयों का ही प्रावधान किया गया. साथ ही काफी कडे नियम व शर्तों को लादा गया. इसके अलावा बैंकों द्बारा भी कर्ज देने को लेकर नकारात्मक भूमिका कायम रखी गई है. इस योजना के तहत आयु मर्यादा को 45 से 60 वर्ष तथा कर्ज मर्यादा को 10 लाख से 15 लाख बढाने की मांग पूरी हुई है.
– मांग क्रमांक-8 – शैक्षणिक व व्यवसायिक कर्ज मिलले कह मांग (प्रलंबित)
2 लाख रुपयों तक त्वरित कर्ज तथा शैक्षणिक कर्ज मिलने की मांग सरकारी अध्यादेश के अभाव में अब तक प्रलंबित है. साथ ही कडे नियमों व शर्तों की वजह से व्यवसाय के लिए बिना विलंब कर्ज और ब्याज की वापसी भी नहीं मिल रही है.
– मांग क्रमांक-9 – मराठा विद्यार्थियों को विदेश में उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति मंजूर (प्रलंबित)
– मांग क्रमांक-10 – पीएचडी धारकों के लिए अभ्यासवृत्ति दिए जाने की मांग (प्रलंबित)
– मांग क्रमांक-11 – कोपर्डी घटना के आरोपियों को फांसी की सजा (न्यायालयीन प्रक्रिया जारी)
– मांग क्रमांक-12 -एट्रासिटी एक्ट का दुरुपयोग रोकने की मांग (प्रलंबित)
– मांग क्रमांक-13 – ‘सारथी’ के जिला निहाय कार्यालय व छात्रावास शुरु करने की मांग (50 फीसद काम बाकी)
50 से अधिक कल्याणकारी प्रकल्प केवल कागजों पर है. मराठा समाज के लिए विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं हेतु 2 हजार करोड रुपयों की मांग की गई थी. जिसकी एवज में केवल 50 करोड रुपयों के मंजूरी मिली. यद्यपि मराठा समाज के विद्यार्थियों को विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने हेतु छात्रवृत्ति देने को इस वर्ष से मान्यता मिली है. परंतु पीएचडी व एम-फिल धारकों को अधिक छात्रवृत्ति नहीं मिली. साथ ही मराठा समाज के विद्यार्थियों हेतु अब तक छात्रावास भी शुरु नहीं हुए है. हालांकि स्पर्धा परीक्षा के लिए प्रशिक्षण व सहूलियत शुरु हो गई है.
– मांग क्रमांक-14 – किसान आत्महत्या रोकने हेतु कर्जमुक्ति, कृषि उपज को गारंटी कानून व स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशों को लागू करना (50 फीसद मान्य)
वर्ष 2019 में कर्जमुक्ति दी गई है और कृषि उपज को न्यूनतम गारंटी मूल्य दिलाने हेतु कानून भी बनाया गया है. लेकिन अब तक स्वामिनाथन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं हुई है.
– मांग क्रमांक-15 – मराठों के इतिहास का विकृतिकरण व बदनामी रोकने हेतु कडे कानून का प्रावधान (प्रलंबित)
मराठा समाज और समाज के महापुरुषों के इतिहास का विकृतिकरण व अवमान को रोकने हेतु कडा कानून बनाए जाने की मांग उठाई गई थी. परंतु इस दिशा में अब तक कोई काम नहीं हुआ है.