बीते तीन वर्षों में मेलघाट के माता व बालमृत्यु में आयी कमी
मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविश्यांत पंडा की जानकारी
अमरावती/दि.13 – कुपोषण को मिटाने के लिए स्वास्थ्य विभाग की ओर से चलााए गए पोषण आहार व विविध योजनाओं से मेलघाट में बीते तीन वर्षों में कुपोषण के प्रमाण में कमी आयी है. मेलघाट में बालमृत्यु का दर बीते तीन वर्षों की तुलना में कम हुआ है. साल २०१९-२० में बालमृत्यु दर ५.९४ से २०२०-२२ में यह दर ३.६२ है. वहीं उपजत मृत्यु दर भी कम हो चुका है. साल २०१९ में ३.६५ था जो साल २०२१ में १.०३ तक घट गया है, यह जानकारी जिला परिषद मुख्य कार्यकारी अधिकारी अविश्यांत पंडा ने दी.
बता दें कि हाल ही में मेलघाट इलाके में ४९ बालमृत्यु होने की खबरें प्रकाशित की गई थीं. लेकिन इन खबरों में जरा भी तथ्य नहीं हाने की जानकारी मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने दी है. ४९ बालमृत्यु के विशलेषण को देखते हुए ८ अन्य बीमारियों, ६ जीवाणूसंसर्ग, ४ कीटकदंश, तीन जन्मत: व्यंग, तीन निमोनिया, दो की हादसे में मृत्यु हुई है. अन्य बीमारियों से मरनेवालों का प्रमाण ८० फीसदी है. पंडा ने बताया कि बालमृत्यु, कुपोषण टालने के लिए विविध योजनओं को अमंल में लाने हेतू आंगनवाडी सेविका, आशा सेविकाएं समन्वय से काम कर रही है.
पंडा ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य विभाग व एकात्मिक बाल विकास विभाग की ओर से जून में ४० पथकों की ओर से ३२५ गांवों में १० दिनों की अवधि में जोन सर्वेक्षण कर बच्चों की जांच की गई. इस जांच में तीव्र कुपोषित बच्चों को बाल उपचार केंद्र, पोषण पुर्नवास केंद्र में भरती कर दवाईयां दी जाती है. जांच मुहिम लगातार की जाती है. जिसके तहत १५ से ३१ अगस्त के दरम्यिान जांच मुहिम चलायी जाएगी.
मातामृत्यु का प्रमाण भी घटा
मेलघाट में कुपोषण का प्रमाण कम हो सके व बालमृत्यु को रोकने के लिए पोषण आहार योजना, गभर्ववती, स्तनदा माताओं को पौष्टीक आहार, जननी सुरक्षा योजना, बच्चों को न्यूट्रिशियस फूड, बच्चों की नियमित जांच व उपचार आदि विविध प्रयास वैद्यकीय अधिकारी, आशासेविका, अंगनवाडी सेविका के समन्वय से किए जा रहे है. यह जानकारी जिला स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दिलीप रणमले ने दी.
कुपोषण मिटाने के कार्यक्रम में सीटीसी, एनआरसी, एसएनयुवी, वीसीडीसीमार्फत सैम व मैम में रहनेवाले बालकों को दवाईयां व आहारसंहिता के अनुसार आहार दिया जाता है. हिमोग्लोबीन कम रहनेवाली माताओं को आर्यन सुक्रोज का डोस आईवी देकर हिमोग्लोबीन बढाने का प्रयास किया जा रहा है. इसकी फलश्रृति यह है कि बीते दो वर्षों में माता व बालमृत्यु का प्रमाण कम हुआ है.
साल २०१९-२० में ६५ बालमृत्यु हुई थीं वह अब ४९ तक घट गए है. बीते तीन वर्षोँ में बालमृत्यु दर का आंकडा क्रमश: 5.94, 3.93, 3.62 घटते जा रहा है. मातामृत्यु का प्रमाण भी घट चुका है. जारी वर्ष में केवल एक मातामृत्यु दर्ज की गई है.
कोविड दौर में मेलघाट के धारणी व चिखलदरा इन दोनोंं तहसीलों में पोषण आहार व अन्य योजनाओं को अमंल में लाने के लिए कोई बाधाएं उत्पन्न होने नहीं दी गई. मनरेगा के काम भी बडे़ पैमाने पर चलाकर स्थलांतर रोकने का प्रयास किया गया. जिससे स्थलांतर रोके जाने से जरूरतमंदों को पोषण आहार व अन्य योजनाओं का लाभ मल सका. डॉ. रणमले ने बताया कि बच्चों के सर्वांगीण विकास व आंनदरायी शिक्षा के लिए बाला पैर्टन भी चलाया जाएगा.