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पत्रकारों पर देश व लोकतंत्र को बचाए रखने की बढी जिम्मेदारी

ख्यातनाम पत्रकार परणजॉय गुहा ठाकुरता का कथन

पत्रकार कार्यशाला में संभाग के पत्रकारों का किया मार्गदर्शन
बदलते दौर में पत्रकारिता के महत्व को लेकर साझा किए विचार
अमरावती-/दि.20 पत्रकारों का काम हमेशा ही सत्तापक्ष की गलतियों व खामियों पर नजर रखते हुए सरकार से कठोर व कटू सवाल पूछने का रहा है. ताकि सरकारे अपना काम पूरी ईमानदारी और जिम्मेदारी के साथ करने पर मजबूर रहे. यही वजह है कि पत्रकारिता क्षेत्र को लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहा जाता है. किंतु इन दिनों स्थिति पूरी तरह से बदल गई है और मीडिया जगत में एक ऐसा वर्ग कार्यरत हो गया है. जो सत्ता पक्ष की बजाय विपक्ष को ही आरोपों और सवालों के घेरे में खडा कर रहा है. जो कि पूरी तरह से गलत है. अत: बदलते दौर में पत्रकारों को थोडा रूककर अपनी भूमिका को एक बार जांचना और परखना होगा. ताकि देश और लोकतंत्र को सुरक्षित रखा जा सके. इस आशय का प्रतिपादन देश के ख्यातनाम एवं वरिष्ठ पत्रकार परणजॉय गुहा ठाकुरता द्बारा व्यक्त किए गये.
संत गाडगेबाबा अमरावती विद्यापीठ के जनसंपर्क विभाग जिला मराठी पत्रकार संघ तथा श्रमिक पत्रकार संघ के संयुक्त तत्वावधान में आज संगाबा अमरावती विद्यापीठ के डॉ. के.जी. देशमुख सभागार में एक दिवसीय पत्रकार कार्यशाला का आयोजन किया गया था. जिसमें ‘पत्रकारिता के बदलते स्वरूप’ विषय पर मुख्य वक्ता के रूप में अपने विचार व्यक्त करते हुए परणजॉय गुहा ने उपरोक्त प्रतिपादन दिया. संगाबा अमरावती विद्यापीठ के कुलगुरू डॉ. दिलीप मालखेडे की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला का आज सुबह 10 बजे डॉ. के. जी. देशमुख सभागार में दीप प्रज्वलन करते हुए शुभारंभ किया गया. इस अवसर पर बतौर प्रमुख अतिथि प्र-कुलगुरू डॉ. विजयकुमार चौबे, दैनिक सकाल (मुंबई) के समूह संपादक राहुल गडपाले, तरूण भारत डिजीटल (नागपुर) के संपादक शैलेश पांडे, जिला मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष व दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल एवं उपाध्यक्ष डॉ. संजु सौजतिया, श्रमिक पत्रकार संघ के अध्यक्ष गोपाल हरणे तथा विद्यापीठ के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. विलास नांदुरकर उपस्थित थे.
इस कार्यशाला में अमरावती संभाग के पांचों जिलों से वास्ता रखनेवाले प्रिंट व इलेक्ट्रानिक मीडिया के संपादकों, जिला प्रतिनिधियों व संवाददाताओं ने हिस्सा लिया. जिनमें तहसील और ग्रामीण क्षेत्र के पत्रकारों के साथ साथ पत्रकारिता पाठ्यक्रम के छात्र-छात्राओं की उपस्थिति विशेष उल्लेखनीय रही. समूचे संभाग के पत्रकारों को संबोधित करते हुए करीब 45 वर्षो से राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्रकारिता में सक्रीय रहनेवाले परणजॉय गुहा ठाकुरता ने कहा कि पत्रकारों की सबसे पहली जिम्मेदारी समाज में पारदर्शिता लाना होता है और जब-जब देश का सत्ता पक्ष या शक्तिशाली वर्ग निरंकुश होने लगता है तब-तब पत्रकारों की जिम्मेदारी काफी अधिक बढ जाती है. क्योंकि हम हमेशा से ही समाज के आम अवाम की आवाज बनते आए है. चाहे आजादी पूर्व काल का समय रहा हो या आजादी के बाद का समय, पत्रकारिता ने हमेशा ही अपनी जिम्मेदारियों का पूरी तरह से निर्वहन करते हुए सर्वसामान्य वर्ग को न्याय दिलाने का काम किया है. इस बात की अनदेखी नहीं की जा सकती कि, आजादी पूर्व काल के दौरान हमारे जितने भी नेता देश की आजादी के लिए संघर्ष कर रहे थे. उनके द्बारा किसी न किसी अखबार या साप्ताहिक पत्रिका का संपादन जरूर किया जा रहा था. यानी आजादी के आंदोलन में पत्रकारिता और पत्रकारों में सबसे बडी भूमिका निभाई. साथ ही साथ आजादी के बाद भी अटल बिहारी वाजपेयी व लालकृष्ण आडवानी जैसे बडे विपक्षी नेता भी पत्रकारिता क्षेत्र से ही आगे आए थे. जिन्होंने तत्कालीन सत्ता पक्ष की कमजोरियों, गलतियों और खामियों को लेकर पूरी ताकत के साथ अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए आवाज उठाई थी. लेकिन इन दिनों अचानक ही स्थिति बदल गई है. कभी अपने कंधे पर शबनम झोला लटका कर गांव-गांव घूमते हुए सर्व सामान्य लोगोे की तकलीफो और समस्याओं पर लिखनेवाले पत्रकार अब दिखाई नहीं देते. बल्कि अब बडे-बडे शहरों की भव्य इमारतों में एयर कंडीशन कैबिन में बैठकर सूटबूट और टाई लगाए हुए पत्रकार अकेले ही कैमरे के सामने चिल्लाते है तथा अपने आपको ही पूरे भारतवर्ष की आवाज समझ लेेते है. इसमें भी हैरत इस बात को लेकर है कि इन पत्रकारों द्बारा देश की समस्याओं को लेकर सत्ता पक्ष से सवाल नहीं पूछा जाता. बल्कि विपक्ष को सवालों के कटघरे में खडा किया जाता है. इसका सीधा मतलब है कि मीडिया का एक बडा वर्ग सत्ता पक्ष के सामने अपने घुटने टेक चुका है. जिसके लिए पत्रकारिता के सिध्दांतों को ताक पर रख दिया गया है. ताकि सत्तापक्ष से कई तरह के लाभ हासिल किए जा सके. यह अपने आप में बेहद भयावह स्थिति है.
इस समय देश में पत्रकारिता के साथ- साथ राज नीतिक को लेकर लगातार बदल रही स्थिति पर अपने विचार व्यक्त करते हुए परणजॉय गुहा ठाकुरता ने कहा कि किसी समय ब्रिटिश सत्ता द्बारा बंदूक और जेल के दम पर अपने खिलाफ उठनेवाली आवाजों को दबाया जाता था. एवं नेताओं के साथ-साथ पत्रकारों को जेल में डाला जाता था. इन दिनों भी विपक्षी नेताओं के साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है. वहीं मीडिया के एक बडे वर्ग ने सत्ता पक्ष की चापलूसी करनी शुरू कर दी है. ऐसे में इसे पेड न्यूज से भी आगे बढते हुए करप्ट मीडिया वाला दौर कहा जा सकता है. अत: अब भी पत्रकारिता के सिध्दांतो पर चल रहे निष्ठावान पत्रकारों की जिम्मेदारी कई गुना अधिक बढ जाती है जिन्हे बदलते दौर में अपनी भूमिका पर बडी सावधानीपूर्वक विचार करना होगा.
इस कार्यशाला के अगले दो सत्रों में ‘पत्रकारिता एवं अखबारों की नीति’ तथा ‘डिजीटल मीडिया व भविष्य’ इन दो विषयों पर भी परणजॉय गुहा ठाकुरता सहित दैनिक सकाल के समूह संपादक राहुल गडपाले एवं तरूण भारत डिजीटल के संपादक शैलेश पांडे ने अपने विचार व्यक्त किए. इस कार्यशाला में संचालन विद्यापीठ के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. विलास नांदुरकर तथा आभार प्रदर्शन जिला मराठी पत्रकार संघ के उपाध्यक्ष डॉ. चंदु सोजतिया ने किया.

हम पत्रकारों के लिए भीष्म पितामह हैं ठाकुरता
इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता परणजॉय गुहा ठाकुरता का परिचय संभाग के पत्रकारों को देते हुए जिला मराठी पत्रकार संघ के अध्यक्ष एवं दैनिक अमरावती मंडल के संपादक अनिल अग्रवाल ने कहा कि सदन में उपस्थित अधिकांश पत्रकार बंधुओं का जन्म 70 से 90 के दशक के दौरान हुआ है. वहीं सन 1955 में जन्मे परणजॉय गुहा ठाकुरता ने वर्ष 1977 के आसपास बतौर पत्रकार काम करना शुरू कर दिया था और वे विगत 45 वर्षो से लगातार पत्रकारिता क्षेत्र के अलग- अलग माध्यमों में काम कर रहे है. ऐसे में आयु, अनुभव एवं कामों की व्याप्ती को देखते हुए परणजॉय गुहा ठाकुरता को सदन में मौजूद सभी पत्रकारों का भीष्म पितामह कहा जा सकता है. जिनके विचारों व मार्गदर्शन से निश्चित तौर पर क्षेत्र के पत्रकारों को आगे बढने में सहायता मिलेगी.

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