पिज्जा, बर्गर को भारतीय मोमो की टक्कर
आंतरराष्ट्रीय पदार्थो की बाजार में स्वदेशी ब्रॅण्ड सिरमौर
मुंबई/ दि. 24- कोरोना का संकट खत्म होने के बाद मुंबई सहित अनेक शहरों में नियमित रूप से रेस्टॉरेंट की जोडी ने ही झटपट सेवा रेस्टॉरंट के (क्यूएसआर) बाजार को अच्छी गति मिली है. ऐसा दिखाई दे रहा है. ऐसे समय में मॅकडोनाल्ड्स, केएफसी, डॉमिनोज, पिझ्झा हट, बर्गर किंग और टेको बेल ऐसे आंतरराष्ट्रीय व प्रस्थापित कंपनियों का बोलबाला होने पर भी बॉव मोमो यह भारतीय ब्रँड ही जोरदार चर्चा में आया है. कारण 2022- 23 इस एक ही आर्थिक वर्ष में इस कंपनी ने 222 करोड रूपए पर से 415 करोड रूपये तक का दुगना राजस्व बढाया है. देश भर के विविध शहर में 620 स्टोअर्स में वॉव मोमो के विविध पदार्थ खाने को व चखने को मिलते है.
वॉव मोमो की स्थापना सागर दरयानी ने बिनोद हामगई के साथी ने 2008 में कोलकता में की. शुरूआत में उन्हें जैसी चाहिए थी वैसी सफलता नहीं मिली. परंतु इस ओर झटपट खानपान सेवा अधिक लोकप्रिय होने पर आंतरराष्ट्रीय ब्रांड से स्पर्धा करके देखनेवाली वॉव मोमो यह बहुधा पहिली ही भारतीय आउटलेट श्रृंखला रही है. यह क्षेत्र अनुकूल रहने का देखकर कंपनी ने अब वॉव चायना व ‘वॉव चिकन’ ये अपने दो नये ब्रॅड ही विगत तीन-चार वर्षो में बाजार में लाए है. खानेवाले को वॉव मोमो की डिश 100 रूपए तक खाने को मिलती है. ‘वॉव चायना’ की कीमत 300 रूपए व वॉव चिकन की कीमत 380 रूपए तक है.
इस क्षेत्र में इतनी बडी-बडी प्रस्थापित कंपनी स्पर्धा की तुलना में छोटी कंपनी इस कीमत में अपने खाद्य पदार्थ कैसे बिकेंगे. ऐसा प्रश्न स्वाभाविक रूप से उपस्थित होता है. उस पर डॉमिनोज शुरू होकर 400 रूपए की अपनी डिश तीन सौ शहरों में बिक सकती है तथा 100 रूपए की वॉव मोमो तीन सौ शहरों में क्यों बिक नहीं सकती. ऐसा सवाल सागर दरयानी करते है. यह ब्रैंड ग्राहकों की पसंती में उतरती हुई दिखती है. मैंने अन्य ब्रॅड की महंगी डिश अनेक बार चखी है. उसी समय सस्ते मोमो भी खाए.उसके बाद जेब में पैसे के अनुसार ताजे व अच्छा खाने को देखते हुए वॉव मोमो को पसंद किया. अब मैं समय-समय पर ऑनलाइन आर्डर करता रहता हूॅ . ऐसा मुंबई के डिजाइन स्ट्रॅटेजिस्ट तनुश्री अगरवाल इस संबंध में बताते है.
फिलहाल कंपनी के उत्तर, पश्चिम व पूर्व ऐसे तीन जगह कारखाने है. बेंगलुरू , चेन्नई व हैदराबाद ऐसे तीन स्थान पर किचन है. इसके अलावा कम से कम मानवी हस्तक्षेप और स्वयंचलित पध्दती के उपकरणों के माध्यम से मोमो बनाए जाते है. रोज 10 लाख मोमो बनाने की क्षमता होने पर भी प्रत्यक्ष में केवल 4 लाख मोमो बनाए जाते है. ऐसी जानकारी कंपनी के अधिकारी ने दी. कुल मिलाकर भारतीय ब्रँड की भविष्य के लिए अधिकतम उत्सुकता निर्माण हो गई है.