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विमानतल निधी वितरण में राज्य सरकार का दुजाभाव

  • कोरोना की वजह सामने कर विदर्भ के काम बंद, प. महाराष्ट्र में मांग नहीं रहने पर भी निधी मंजूर

  • अमरावती में अटका पडा है बेलोरा एयरपोर्ट का काम, जनप्रतिनिधि मिटींग कर थपथपा रहे खुद की पीठ

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१४ – इस समय कोरोना को लेकर किये जा रहे उपाय योजनाओं में विकास निधी का प्रयोग किये जाने की वजह को सामने करते हुए राज्य सरकार ने विदर्भ में शुरू रहनेवाले विमानतलों के कामों को रूकवा दिया है. लेकिन वहीं दूसरी ओर उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने प. महाराष्ट्र में मांग नहीं रहने के बावजूद विमानतल के भूसंपादन हेतु निधी को मंजूरी प्रदान की. विदर्भ क्षेत्र के साथ राज्य सरकार के इस दूजाभाव और सौतेले रवैय्ये को देखते हुए विदर्भवासियों में रोष और संताप की लहर है. बता दें कि, अमरावती के बेलोरा विमानतल की इमारत और रनवे को बनाने हेतु ७३ करोड रूपये की निधि मंजूर की गई. इस काम का कार्यारंभ आदेश जुलाई २०१९ में जारी हुआ और प्रत्यक्ष काम भी शुरू हो गया था. लेकिन जारी वर्ष में कोरोना को लेकर किये जा रहे उपायों में निधी की जरूरत पडने की वजह को आगे करते हुए राज्य सरकार ने मंजूर निधी को रोक लिया. जिसकी वजह से रनवे के काम को बीच में ही रोकना पडा. बेलोरा विमानतल की इमारत का काम २९ करोड रूपयों तथा रनवे का काम ४३ करोड रूपयों की लागत से किया जाना है. जिसमें से २१ करोड रूपयों के काम होना बाकी है. ये काम पहले लॉकडाउन की वजह से रूके पडे रहे और अब निधी नहीं रहने की वजह से इन्हें रोकना पडा है. ज्ञात रहे कि, विधानसभा व लोकसभा चुनाव के समय सभी दलों के बडे-बडे नेताओं के चार्टर विमान और हेलीकॉप्टर इसी विमानतल पर उतरे है और अमरावती को पश्चिम विदर्भ का संभागीय मुख्यालय रहने के नाते महत्वपूर्ण शहर माना जाता है. जहां पर विगत लंबे समय से एक अदद विमानतल शुरू होने की प्रतिक्षा की जा रही है. वहीं दूसरी ओर चंद्रपुर जिले में राजुरा के निकट बनाये जानेवाले विमानतल का काम भी सरकार की उदासिनता की वजह से रूका पडा है. इस विमानतल के लिए वन जमीन संपादित करना है. ऐसे में वन विभाग द्वारा आवश्यक प्रक्रिया पूर्ण करवाकर राज्य सरकार की ओर से इस फाईल को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के पास पेश किया जाना अपेक्षित था.
लेकिन यह फाईल अब भी राज्य सरकार के पास पडी है और इस प्रकल्प के लिए अब तक निधी आवंटित नहीं किया गया. इसके साथ ही नागपुर के डॉ. बाबासाहब आंबेडकर अंतर्राष्ट्रीय विमानतल को लेकर भी राज्य सरकार द्वारा बेहद सुस्त गति से कदम उठाये जा रहे है. महाराष्ट्र विमानतल विकास कंपनी (एमएडीसी) के पास रहनेवाले इस विमानतल को राज्य सरकार खुद भी विकसित नहीं कर रही है, और किसी निजी कंपनी के मार्फत विकसित करने हेतु कोई हलचल भी नहीं कर रही. बता दें कि नागपुर के साथ ही अमरावती और चंद्रपुर के विमानतलों का जिम्मा भी एमएडीसी के पास ही है. लेकिन पश्चिम महाराष्ट्र के सोलापुर विमानतल पर कोई विमान नहीं उतरता और उस विमानतल के लिए निधि की मांग भी नहीं थी, लेकिन इसके बावजूद कोरोना काल के दौरान राज्य के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार ने सोलापुर जिले के बोरमणी विमानतल हेतु अतिरिक्त ३४ हेक्टेयर जमीन के अधिग्रहण के लिए ५० करोड रूपये की निधी मंजूर की. इससे साफ जाहीर होता है कि, राकांपा नेताओं का पश्चिम महाराष्ट्र के प्रति विशेष प्रेम है और वे हमेशा की तरह इस बार भी राज्य की सत्ता में रहते हुए पश्चिम महाराष्ट्र की सुविधाओं पर विशेष तौर पर ध्यान दे रहे है. वहीं विकास की दौड में हमेशा ही पिछडा रहनेवाले विदर्भ क्षेत्र की विकास निधी को कोरोना की आड लेकर रोक दिया गया है.

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