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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शैक्षणिक प्लेटफार्म उपलब्ध करा रहा ‘इंटरएडवाईज’

26 देशों के 519 विद्यापीठों के साथ है टायअप

  • 16 साल में 4500 विद्यार्थियों को दिला चुके विदेशों में एडमिशन

  • कंपनी संचालक राम पांडे ने दी जानकारी

अमरावती प्रतिनिधि/दि.14– इस समय हर मेधावी छात्र-छात्रा की मानसिकता होती है कि, उसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ख्यातीप्राप्त रहनेवाले किसी नामांकित विदेशी विद्यापीठ में पढाई-लिखाई हेतु एडमिशन मिल जाये, ताकि उसका भविष्य सुनहरा और सुरक्षित हो. लेकिन इनमें से अधिकांश छात्र-छात्राओं के पास इस बात की जानकारी नहीं होती कि, उनकी रूचिवाले विषयों के लिए किस देश के किस शहर में कौनसा विद्यापीठ उपलब्ध है तथा वहां पर एडमिशन की प्रक्रिया व पढाई का खर्च क्या है, इसके अलावा उन देशों तक पहुंचने और वहां होस्टेल अथवा निजी तौर पर रहने की व्यवस्था करने से संबंधित भी कई तरह की समस्याएं व दिक्कते होती है. जिनके बारे में अमुमन किसी को पता नहीं होता. ऐसे में इंटरएडवाईज एज्युकेशन नामक कंपनी ने ऐसे छात्रों की दिक्कतों को दूर करते हुए उनकी सहायता करने का बीडा उठाया है और विगत 16 वर्षों से इस क्षेत्र में काम कर रहीं इंटर एडवाईज एज्युकेशन कंपनी ने अब तक करीब साढे चार हजार से अधिक छात्र-छात्राओं को दूनिया के विभिन्न देशों के विद्यापीठों में उनकी रूचि व रूझानवाले विषयों की पढाई हेतु एडमिशन दिलवायी है. जिसके चलते आज कई छात्र-छात्राएं अपनी पढाई पूरी करने के बाद अपने जीवन में उंचा मकाम हासिल कर चुके है. यह जानकारी इंटर एडवाईज एज्युकेशन कंपनी के संचालक राम पांडे ने दी है.

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दैनिक अमरावती मंडल के साथ विशेष तौर पर बातचीत करते हुए मूलत: अकोला निवासी राम पांडे ने बताया कि, उनकी कंपनी की महाराष्ट्र में 6, गुजरात में 2 और कर्नाटक में 2 जगह पर ब्रांचेस है. जिसमें से विदर्भ क्षेत्र में एकमात्र ब्रांच अकोला के दुर्गा चौक पर स्थित है. जहां से पूरे विदर्भ क्षेत्र के विद्यार्थियों को विदेशी विद्यापीठों में एडमिशन देने हेतु काउंसिलिंग व मार्गदर्शन का काम किया जाता है. उन्होंने बताया कि, उनकी कंपनी का 26 देशों के 519 विश्वविद्यालयों से विशेष अनुबंध हो चुका है और वे उन विद्यापीठों में पढाये जानेवाले पाठ्यक्रमों की जानकारी स्थानीय छात्र-छात्राओं तक पहुंचाने के साथ ही उन पाठ्यक्रमों में रूचि रखनेवाले विद्यार्थियों को उन विद्यापीठों की जानकारी देने का काम करते है. साथ ही विदेशी विद्यापीठों व भारतीय विद्यार्थियों के बीच संवाद सेतु के तौर पर काम करते हुए विद्यार्थियों को उनकी पसंद के अनुरूप विद्यापीठ में एडमिशन दिलाने हेतु हर तरह की सहायता भी करते है. राम पांडे के मुताबिक इन दिनों मेडिकल, इंजिनिअरींग, रिसर्च, एग्रीकल्चर और फैशन डिझाईनिंग सहित सैंकडों तरह के नॉन ट्रेडिशनल कोर्सेस में पढाई हेतु भारतीय छात्र विदेश जाना पसंद करते है. क्योंकि वहां पर वैश्विक प्रतिस्पर्धा के लिहाज से एक से बढकर एक कोेर्सेस उपलब्ध है और उन कोर्सेस को पूरा करने के बाद कैरियर के शानदार अवसर मिलते है. जिसके चलते विगत पांच-छह वर्षों से विदेशी विद्यापीठों में एडमिशन लेने का रूझान काफी बढ गया है. उनकी कंपनी द्वारा मेडिकल पाठ्यक्रमों के लिए युएसए, रशिया, युक्रेन, कजाकिस्तान, फिलीपीन्स व बोरासाव, इंजिनिअरींग पाठ्यक्रमों के लिए न्यूजीलैण्ड, ऑस्ट्रेलिया, युएसए, कनाडा, आर्यलैंड, लित्वेनिया, लावाबिन व पोलैंड, मैनेजमेंट कोर्से के लिए फ्रान्स, युके, युएसए व जर्मनी तथा नॉन ट्रेडिशनल कोर्सेस के लिए इटली, फ्रान्स व जर्मनी जैसे देशों के विद्यापीठों के साथ विशेष तौर पर अनुबंध किये गये है और अब तक इन देशों के कई नामांकित विद्यापीठों में साढे चार हजार से अधिक विद्यार्थियों की एडमिशन विगत 16 वर्षों के दौरान करायी जा चुकी है.
इस बातचीत में राम पांडे ने बताया कि, उनकी कंपनी द्वारा विद्यार्थियों को उनकी पसंदवाले विषय का पाठ्यक्रम रहनेवाले सभी विदेशी विद्यापीठों की जानकारी देने के साथ ही विद्यार्थियों की क्षमता को आंक कर उनकी काउंसिलिंग भी की जाती है, ताकि वे अपनी रूचि के साथ ही अपनी क्षमता के हिसाब से सही विद्यापीठ और सही पाठ्यक्रम में पहुंचे. इसके बाद उन विद्यापीठों में विद्यार्थियों की ऑनलाईन एडमिशन बुकींग प्रक्रिया कराने के साथ ही उनके पासपोर्ट और वीजा बनाने तथा हवाई टिकट की व्यवस्था करने का काम भी उनकी कंपनी द्वारा किया जाता है. इसके अलावा जिन विद्यार्थियों की आर्थिक स्थिति विदेशी विद्यापीठों की फीस भरनेलायक नहीं है, उन्हें कंपनी द्वारा बैंंक लोन मुहैया कराने में सहायता की जाती है. इसके पश्चात जब विद्यार्थी विदेशी सरजमीन पर उतरते है, तो उन्हें एयरपोर्ट से संबंधित विद्यापीठ में ले जाकर छोडने, वहां पर उनके कोर्स एडमिशन व होस्टल जॉईनिंग की प्रक्रिया को पूरा कराने की जिम्मेदारी भी इंटरएडवाईज एज्युकेशन कंपनी द्वारा उठायी जाती है. इसके अलावा यदि किसी विद्यार्थी को होस्टल की बजाय कैम्पस के बाहर व्यक्तिगत तौर पर निवास की सुविधा चाहिए है तो उसकी व्यवस्था भी कंपनी द्वारा करवायी जाती है. साथ ही संबंधित विद्यार्थी का कोर्स यानी पढाई-लिखाई पूरी होने तक कंपनी एक तरह से पालकत्व की भुमिका निभाती है. राम पांडे के मुताबिक लगभग हर कोर्स न्यूनतम तीन से चार वर्ष का होता है और इस अवधि के दौरान संबंधित विद्यार्थी सहित उसके परिवार के साथ एक पारिवारिक रिश्ता बन जाता है, और विगत 16 वर्षों के दौरान इंटरएडवाईज एज्युकेशन कंपनी का परिवार काफी बडा हो चुका है.
इस समय कोरोना की संक्रामक बीमारी की वजह से वैश्विक परिदृश्य पर काफी हद तक बदल चुके हालात के संदर्भ में पूछे जाने पर राम पांडे ने बताया कि, इस समय ऐसा नहीं है कि, लोग विदेशी विद्यापीठों में नहीं जाना चाहते, लेकिन कुछ हद तक डर का माहौल जरूर है. जिसकी वजह से 50 फीसदी विद्यार्थियों ने अपनी एडमिशन को होल्ड पर रखा है. इस समय सभी विदेशी विद्यापीठों ने ऑनलाईन एडमिशन व ऑनलाईन कोर्सेस की सुविधा भी उपलब्ध करायी है, ताकि सभी विद्यार्थी ‘एज्युकेशन फ्रॉम होम’ कर सके. किंतु इसके बावजूद इस वर्ष विदेशी विद्यापीठों में एडमिशन का फ्लो कुछ कम जरूर हुआ है, पर हालात बहुत जल्द सुधर जायेंगे.

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