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ग्रामीण डीवायएसपी पूनम पाटिल को सौंपी जांच

दीपाली चव्हाण आत्महत्या का मामला

  •  कल शाम ही धारणी के एसडीपीओ काले ने सौपे घटना से संबंधित कागजात

अमरावती/प्रतिनिधि दि.28 – आरएफओ दीपाली चव्हाण के आत्महत्या मामले की जांच अब महिला पुलिस उपअधिक्षक दर्जे की अधिकारी करेगी. इस तरह का निर्णय कल शाम जिला ग्रामीण पुलिस प्रशासन ने लिया है. अब इस घटना की जांच महिला डीवायएसपी पूनम पाटिल करेगी. इस कारण कल शाम ही धारणी क्षेत्र के उपविभागीय पुलिस अधिकारी संजय काले ने दीपाली चव्हाण की आत्महत्या मामले से जुडे सभी कागजात डीवायएसपी पूनम पाटिल को सौंपे है. उल्लेखनीय है कि कल सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा ने अमरावती परिक्षेत्र के विशेष पुलिस महानिरीक्षक चंद्रकिशोर मीना से इसी घटना को लेकर भेंट की थी और मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक एम.एस.रेड्डी को भी इस मामले में सह आरोपी बनाने की मांग की थी. अमरावती के स्पेशल आईजी से सांसद राणा की लगभग आधा घंटा हुई चर्चा के बाद कल शाम ही दीपाली चव्हाण की आत्महत्या मामले की जांच धारणी के एसडीपीओ संजय काले से निकालकर डीवायएसपी दर्जे की महिला अधिकारी को सौंपने का निर्णय लिया गया.
आज ‘दै.अमरावती मंडल’ ने जब डीवायएसपी पूनम पाटिल से इस संबंध में चर्चा की तब उन्होंने इस बात की पुष्ठी की कि दीपाली चव्हाण की आत्महत्या की जांच उन्हें सौंपी गई है, लेकिन उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि मामले की जांच फिलहाल प्राथमिक स्टेप पर रहने के कारण वे इस बारे में फिलहाल कुछ भी खुलासा नहीं करेगी.
उल्लेखनीय है कि हरिसाल की वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण ने गुरुवार 18 मार्च की शाम अपने शासकीय निवास में स्वयं पर गोली चलाकर आत्महत्या की थी. आत्महत्या से पहले दीपाली चव्हाण ने चार पन्ने की एक सुसाईड नोट छोडी थी. जिसमें उन्होंने उपवन संरक्षक विनोद शिवकुमार व्दारा ड्युटी के दौरान उन्हें मानसिक रुप से प्रताडित करने और बार बार अपमानित करने के कारण आत्महत्या करने की बात कही थी. यहां तक की उन्होंने अपनी चिठ्ठी में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक तथा क्षेत्र संचालक एम.एस.रेड्डी के बारे में यह लिखा था कि रेड्डी ने ही उनकी शिकायत की दखल न लेते हुए एक अधिकारी को बचाने का प्रयास किया. एक महिला वन अधिकारी की आत्महत्या की घटना की गुंज वरिष्ठ स्तर पर देखी गई. विशेष यह कि विविध राजनीतिक दलों के साथ ही जिले की सांसद नवनीत राणा व विधायक रवि राणा ने दीपाली चव्हाण की आत्महत्या को लेकर आक्रामक रवैया अपनाते हुए कल अमरावती परिक्षेत्र के विशेष पुलिस महानिरीक्षक चंद्रकिशोर मीना से भेंट कर दिपाली की आत्महत्या में एम.एस.रेड्डी को भी सहआरोपी बनाने की मांग की थी. उसके बाद ही इस घटना की शुरुआती जांच कर रहे धारणी की उपविभागीय पुलिस अधिकारी संजय काले से जांच निकालकर अब इस मामले की जांच महिला डीवायएसपी (पुलिस उपअधिक्षक) पूनम पाटिल को सौंपने का निर्णय लिया गया.

  • रेड्डी का निलंबन क्यों नहीं?

वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण की आत्महत्या मामले में मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के क्षेत्र संचालक एम.एस.रेड्डी का केवल तत्काल प्रभाव से तबादला करने की कार्रवाई बाबत संतप्त प्रतिक्रिया देखी जा रही है. रेड्डी का निलंबन न करते हुए केवल तबादला क्यों किया गया, इस तरह के अनेकों प्रश्न नागरिकों से उपस्थित किये जा रहे है. दीपाली चव्हाण की आत्महत्या के चलते समूचे राज्य में भारी जनआक्रोश देखा जा रहा है. इस समूचे मामले को लेकर सोशल मीडिया के माध्यम से लोग बडी मात्रा में अपनी संतप्त प्रतिक्रिया दे रहे है. इस मामले का प्रमुख आरोपी उपवनसंरक्षक विनोद शिवकुमार को शुक्रवार को गिरफ्तार किया गया. उसे राज्य सरकार ने निलंबित भी किया है. इसी प्रकार की निलंबन की कार्रवाई मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के तत्कालीन क्षेत्र संचालक एम.एस.रेड्डी पर भी करनी चाहिए, इस मांग के लिए कल शनिवार को आंदोलन भी किये गए. दीपाली चव्हाण ने उनपर होने वाले अन्याय बाबत क्षेत्र संचालक रेड्डी को बार बार जानकारी दी थी. बावजूद इसके निश्चित कार्रवाई नहीं की गई. इस कारण चव्हाण की आत्महत्या शिवकुमार की तरह रेड्डी भी जिम्मेदार है. उनका तबादला करने का अर्थ कार्रवाई नहीं होता, उन्हें निलंबित करना चाहिए, इस तरह की भावना सोशल मीडिया से लोग व्यक्त कर हे है.

  • रेड्डी ने वनबल प्रमुखों को दिया स्पष्टीकरण

दिवंगत वनपरिक्षेत्र अधिकारी दीपाली चव्हाण को मैंने कायम सहयोग और मदत की हेै. उन्होंंने मृत्युपूर्व लिखी चिठ्ठी में मेरे प्रति रहने वाला आदर प्रखरता से दिखाई देता है. मेरी पूरी जांच न करते हुए किया हुआ तबादला यह नसैर्गिक न्याय तत्व के विरोध में है, इस तरह का दावा दीपाली चव्हाण मृत्यु मामले में तबादला किये गए मेलघाट व्याघ्र प्रकल्प के पूर्व क्षेत्र संचालक एम.एस.रेड्डी ने किया है. रेड्डी को नागपुर में वन विभाग के मुख्यालय में पेश होने के आदेश दिये गए है. बावजूद इसके कल शनिवार को शासकीय अवकाश रहते हुए भी रेड्डी अमरावती के अपने कार्यालय में थे. यहां उन्होंने कल शनिवार को राज्य के वनबल प्रमुखों को अपना पक्ष रखने वाला निवेदन पेश किया है. दीपाली ने छुट्टी नकारना और वेतन रोकने बाबत आरोप किया है. छुट्टी मंजूरी के अधिकार उपवन संरक्षक के रहते है, ऐसा रेड्डी ने बताया. उपवन संरक्षक के कार्यालय स्तर से उन्हें मंजूर की गई छुट्टी तथा नामंजूर की गई छुट्टी का प्रारुप अपने निवेदन में उन्होंने रखा. उनका वेतन अथवा भत्ते रोकने के निर्देश नहीं दिये, ऐसा रेड्डी ने स्पष्ट किया है. चव्हाण का तबादला मेलघाट के बाहर होना चाहिए, इसके लिए उन्हें सहयोग किया था. दीपाली ने अश्लिल गालीगलौच बाबत लिखित शिकायत नहीं दी. उनकी मौखिक शिकायत पर विनोद शिवकुमार को मौखिक समझ दिया गया था. रेड्डी के अनुसार वनपरिक्षेत्र अधिकारियों के साथ उनका कभी कभार संबंध आता था. एट्रासिटी मामले में दीपाली को कानूनी सहयोग मिले, इसके लिए प्रयास भी किये थे. दीपाली को मैंने कायम प्रोत्साहन देकर उनका मनोबल बढाने का प्रयास किया. वरिष्ठ अधिकारी के रुप में समय समय पर उन्हें सहयोग किया, ऐसा रहते हुए भी कोई भी जांच पडताल किये बगैर तत्काल प्रभाव से मेरा तबादला करना यह नैसर्गिक न्याय तत्व को लेकर नहीं है. जिससे पुनर्विचार कर मेरा तबादला रद्द करें, ऐसा भी रेड्डी ने अपने पत्र में कहा है.

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