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मजीप्रा के खिलाफ लोगों का गुस्सा फुटने की कगार पर
अमरावती प्रतिनिधि/दि.२ – विगत लंबे अरसे से अमरावती शहर का अधिकांश हिस्सा पेयजल की आपूर्ति के लिए महाराष्ट्र जीवन प्राधिकरण (Maharashtra Life Authority) द्वारा छोडे जानेवाले पानी पर निर्भर हो चुका है. मजीप्रा की ओर से की जानेवाली जलापूर्ति के चलते शहर के अधिकांश हिस्सों में कुओं और बोरिंग के पानी का उपयोग लगभग नहीं के बराबर हो गया है, लेकिन विगत कुछ दिनों से मजीप्रा द्वारा की जानेवाली जलापूर्ति का नियोजन गडबडाने लगा है और इस अनियमित जलापूर्ति की वजह से शहरवासियों को काफी तकलीफों का सामना करना पड रहा है. जिसके चलते मजीप्रा के खिलाफ लोगों का गुस्सा अब फूटने की कगार पर है. यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि विगत कुछ दिनों से आये दिन किसी न किसी तकनीकी काम की वजह को सामने कर मजीप्रा द्वारा शहर की जलापूर्ति रोक दी जाती है और तीन-तीन या चार-चार दिनों तक नलों से पानी नहीं आता. जिसके चलते घर बैठे पानी प्राप्त करने के अभ्यस्थ हो चुके अमरावती व बडनेरावासियों को अपनी पानी संबंधी जरूरतों के लिए दर-दर घुमना पडता है. ज्ञात रहे कि, विगत कुछ अरसे से कभी पाईप लाईन फूट जाने और कभी वॉल्व खराब हो जाने के साथ-साथ जलशुध्दीकरण संयत्र की साफसफाई करने जैसी वजहों को सामने करते हुए मजीप्रा द्वारा तीन से चार दिन जलापूर्ति बंद करने की सूचना जारी की जाती है. वहीं कभी-कभार किसी तकनीकी वजह या दिक्कत के चलते शहर की जलापूर्ति अचानक ही रोक दी जाती है. जिसकी वजह से पानी संबंधी जरूरतों को लेकर नागरिकों को काफी दिक्कतों का सामना करना पडता है. ऐसे में आये दिन रोकी जानेवाली जलापूर्ति को लेकर स्थानीय नागरिकों में काफी असंतोष व रोष व्याप्त है.
अब अप्पर वर्धा बांध में भरपुर पानी, तो रोजाना जलापूर्ति क्यों नहीं
उल्लेखनीय है कि, गत वर्ष अप्पर वर्धा बांध में लगातार घटते जलस्तर और बेहद कम जलसंग्रहण की स्थिति को देखते हुए एक दिन आड जलापूर्ति करने का निर्णय लिया गया था. लेकिन जारी वर्ष में बारिश की स्थिति बेहद शानदार रही और अप्पर वर्धा बांध लबालब भरने के साथ ही इस बांध के सभी १३ दरवाजों को खोलकर जलनिकासी शुरू करने की नोबत आयी. इस समय पर भी इस बांध के ७ दरवाजों को खुला रखते हुए यहां से लगातार जलविसर्ग किया जा रहा है. ऐसे में स्थानीय नागरिकों का सवाल है कि, यदि बांध में जलसंग्रहण की स्थिति बेहद शानदार हो गयी है, तो अब पहले की तरह अमरावती व बडनेरा शहरवासियों को रोजाना जलापूर्ति ्नयों नहीं की जा रही है. बता दें कि, एक दिन आडवाली जलापूर्ति की व्यवस्था में यदि नल आनेवाले दिन ही कोई तकनीकी दिक्कत के चलते पानी नहीं छोडा गया, तो संबंधित इलाकों में सीधे चौथे दिन नलों में पानी आता है और लगातार तीन-चार दिनों तक नल नहीं आने की वजह से लोगोें को भारी दिक्कतों व समस्याओं का सामना करना पडता है.
मजीप्रा पर प्रशासन की पकड नहीं
इस संदर्भ में प्रतिक्रिया हेतु संपर्क किये जाने पर बडनेरा निर्वाचन क्षेत्र के विधायक रवि राणा का कहना रहा कि, उन्होंने विगत दिनों ही इस विषय को लेकर अमरावती के जिलाधीश से चर्चा की थी और वे बहुत जल्द इस संदर्भ में मनपा आयुक्त तथा मजीप्रा अधिकारियों से भी चर्चा करनेवाले है. विधायक राणा के मुताबिक इन दिनों कोरोना को लेकर जारी हालात के चलते जिलाधीश व मनपा आयुक्त के पीछे बहुत सारे कामों की जिम्मेदारियां है, लेकिन मजीप्रा के पास केवल लोगों तक पानी पहुंचाने का ही काम है. किन्तु मजीप्रा अपनी इस जिम्मेदारी का भी सही ढंग से निर्वहन नहीं कर रहा. यहीं वजह रही कि, उन्होंने विगत दिनों मजीप्रा अधिकारियों को जमकर आडे हाथ लिया था. साथ ही विधायक राणा का यह भी कहना रहा कि, स्थानीय प्रशासन की भी मजीप्रा पर पकड कमजोर हो गयी है. अत: यह बेहद जरूरी है कि, जिलाधीश व मनपा आयुक्त द्वारा मजीप्रा अधिकारियों को जलापूर्ति नियमित करने के संदर्भ में आवश्यक दिशानिर्देश दिये जाये.
कुछ समय की दिक्कत है, जल्द ही सब ठीक होगा
अमरावती निर्वाचन क्षेत्र की विधायक सुलभा खोडके से इस समस्या के संदर्भ में संपर्क किये जाने पर उन्होंने बताया कि, अप्पर वर्धा बांध से अमरावती के जलशुध्दीकरण केंद्र तक आनेवाली बडी पाईपलाईन काफी पुरानी हो चुकी है. जिसे बदलने व सुधारने हेतु २७४ करोड रूपयों का प्रस्ताव तैयार किया गया है, लेकिन बीच में ही कोरोना काल शुरू हो जाने की वजह से यह काम प्रलंबित रह गया. हालांकि इसके बावजूद भी तमाम आवश्यक प्रयास जारी है. विधायक सुलभा खोडके के मुताबिक पुरानी पाईपलाईन व काफी हद तक खराब हो चुके वॉल्व को बदलने अथवा सुधारने का काम युध्दस्तर पर चल रहा है और यह काम पूरा होते ही जलापूर्ति की स्थिति सामान्य व नियमित हो जायेगी. विधायक खोडके ने कहा कि, पाईपलाईन और वॉल्व काफी समय से खराब हो चुके है. जिन्हें बहुत पहले ही बदलने व सुधारने का काम किया जाना था. वहीं एक दिन की आड होनेवाली जलापूर्ति के संदर्भ में पूछे जाने पर विधायक खोडके ने कहा कि, यह एक तरह से अच्छी व्यवस्था है. क्योकि रोज नल आने पर लोगबाग एक दिन पहले ही भरे हुए पानी को पुराना समझकर फेंक देते है. इससे बडे पैमाने पर पानी की बर्बादी होती है और हमें भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए पानी की हर एक बूंद को बचाना चाहिये. अत: एक दिन आड जलापूर्तिवाली व्यवस्था आगे भी जारी रहनी चाहिये.
मजीप्रा से बात कर समस्या हल की जायेगी
वहीं इस संदर्भ में मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे का कहना रहा कि, उनके पास भी कई जनप्रतिनिधियों के जरिये अनियमित जलापूर्ति को लेकर शिकायतेें प्राप्त हो रही है. साथ ही कई संगठनों ने इस संदर्भ में ज्ञापन व निवेदन भी सौंपे है. ऐसे में वे बहुत जल्द इस बारे में मजीप्रा अधिकारियों से चर्चा करेंगे और सभी तकनीकी दिक्कतों को जल्द से जल्द दूर करते हुए शहर में जलापूर्ति को नियमित करने का प्रयास करेंगे.