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जिजाउ बैंक मेें 56 करोड के कर्ज वितरण में अनियमितता!

89-अ (1) जांच अधिकारी की रिपोर्ट उजागर

* बैंक के कामकाज पर दर्ज किया गया आक्षेप
अमरावती /दि.19– स्थानीय जिजाउ कमर्शियल को-ऑपरेटीव बैंक में करीब 56.49 करोड रुपए के कुल कर्ज पर सहकार आयुक्त द्बारा नियुक्त किए गए 89-अ (1) जांच अधिकारी द्बारा आक्षेप जताया गया है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि, संचालक मंडल ने नियमबाह्य पद्धति से कर्ज वितरण किया है और कर्ज से संबंधित मामले बडे पैमाने पर बकाया हो गए है. सभी तरह के नियमों की अनदेखी करते हुए कुछ विशिष्ट लोगों और उनके परिजनों को अलग-अलग नाम पर कर्ज वितरीत किए जाने की बात भी इस रिपोर्ट में कही गई है और इसके लिए बैंक के संचालक मंडल को जिम्मेदार माना गया है.
बता दें कि, अक्तूबर 2022 में उत्तम चरपे, बालासाहब वैद्य, सुरेश उमक व स्वप्निल देशमुख द्बारा बैंक में अनियमितता की शिकायत करते हुए आमरण अनशन किया गया था. जिसे गंभीरता से लेते हुए तत्कालीन अपर निबंधक शैलेश कातमिरे ने महाराष्ट्र सहकारी संस्था अधिनियम 1960 की धारा 89-अ (1) के तहत प्राप्त अधिकारों के अनुसार जिजाउ कमर्शियल को-ऑपरेटीव बैंक के आर्थिक व्यवहारों की पडताल करने हेतु जिला उपनिबंधक महेंद्र चव्हाण की जांच पथक प्रमुख के तौर पर नियुक्ति की थी. जिसके पश्चात महेंद्र चव्हाण द्बारा अपनी रिपोर्ट में कहा गया कि, बैंक की ओर से मंजूर किए गए करीब 56.49 करोड रुपयों के कर्ज संबंधित मामलों में गलत पद्धति से और नियमों की अनदेखी करते हुए कर्ज वितरण किया है. साथ ही बैंक के संचालक मंडल ने कुछ विशिष्ट लोगों को जानबुझकर कम ब्याज दर पर तथा कर्ज मर्यादा का उल्लंघन करते हुए कर्ज दिया है. इसके साथ ही जिन लोगों की सालाना आय 50 लाख रुपए से कम है. ऐसे लोगों को भी 1 करोड रुपए से अधिक रकम कर्ज के तौर पर प्रदान की गई है तथा ओटीएस में अपने हिसाब से नीति तय करते हुए प्रतिवर्ष कई कर्जदारों को अलग-अलग छूट देते हुए बैंक का आर्थिक नुकसान किया है.

* क्या कहा गया है रिपोर्ट में?
– 17 लोगों को एक ही प्रोजेक्ट के लिए कर्ज
इस रिपोर्ट के मुताबिक 17 लोगों ने एक ही प्रोजेक्ट के लिए कर्ज उठाया है. जिसके तहत कृषि विभाग की पोकरा योजना अंतर्गत कुछ विशिष्ट लोगों ने 2.33 करोड रुपयों का कर्ज उठाया. लेकिन हकीकत में वह प्रोजेक्ट साकार हुआ अथवा नहीं, इसकी जानकारी बैंक के पास नहीं है.
– व्यवसाय का लाइसेंस नहीं, लेकिन डेढ करोड का कर्ज
इस रिपोर्ट के मुताबिक व्यवसाय का लाइसेंस नहीं रहने के बावजूद भी बैंक द्बारा 1.50 करोड रुपयों का कर्ज मंजूर किया गया है. ऐसे में यह साफ है कि, कर्ज उठाने वाले व्यक्ति द्बारा कर्ज लौटाया जाएगा अथवा नहीं, इसकी अनदेखी की गई है.
– बकाएदारों को दिया करोडों का कर्ज
इस रिपोर्ट के मुताबिक अलग-अलग बैंकों का कर्ज डूबोने वाले तथा राइट ऑफ करने वाले कई लोगों को जिजाउ बैंक ने काफी बडे कर्ज दिया है. जिनमें कुछ नामांकित व्यवसायी, डॉक्टर व एक पूर्व मंत्री के रिश्तेदार सहित संचालकों के कुछ रिश्तेदारों का समावेश है. कुछ मामलों में नया कर्ज दिखाकर एनपीए को कम करने का प्रयास किया गया है.
– एक ही परिवार के अलग-अलग सदस्यों को कर्ज
इस रिपोर्ट के मुताबिक शहर के एक बडे व्यवसायी के सभी परिजनों के नाम पर अलग-अलग कारणों के चलते बडे पैमाने पर कर्ज देने का काम इस बैंक द्बारा किया गया है. साथ ही इस व्यवसायी का कर्ज एनपीए में न जाए. इस हेतु बैंक द्बारा कई उपाय भी किए गए, जबकि इस तरह से एक ही परिवार के लोगों को कर्ज देना बैंक के लिए खतरनाक है.
– कर्ज बकाया रहने पर अध्यक्ष व संचालक जिम्मेदार
इस रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि, कई कर्ज मामलों में गिरवी और गारंटी नहीं थे और कर्जदार की कर्ज अदायगी क्षमता को नहीं देखा गया. इसके अलावा कई बैंकोें का कर्ज डूबा चुके अथवा बकाएदार रहने वाले लोगों को उनकी क्षमता से अधिक रकम कर्ज के तौर पर प्रदान की गई. साथ ही आरबीआई व सहकार विभाग के कई नियमों का उल्लंघन किया गया. ऐसे में कर्ज बकाया हो जाने पर पूरी तरह से बैंक के अध्यक्ष व संचालक मंडल जिम्मेदार रहेंगे.

* जिजाउ कमर्शिअल को-ऑपरेटीव बैंक यह राज्यस्तरीय बैंक है. सहकार आयुक्त के निर्देशानुसार बैंक की जांच पडताल की गई और इसकी रिपोर्ट वरिष्ठों के पास प्रस्तुत कर दी. इस रिपोर्ट में निश्चित तौर पर क्या लिखा गया है. यह मैं स्पष्ट तौर पर नहीं बता सकता. परंतु आगे की कार्रवाई का अधिकार सहकार आयुक्त को है और इस बारे में सहकार आयुक्त द्बारा ही अंतिम निर्णय लिया जाएगा.
– महेंद्र चव्हाण,
प्रादेशिक सहसंचालक (शक्कर),
अमरावती.

* कुछ लोगों के खिलाफ बैंक के संचालक मंडल ने कार्रवाई प्रस्तावित की थी, तो ऐसे लोगों ने बैंक प्रबंधक पर बेसिर-पैर आरोप लगाए थे तथा सहकार विभाग के पास शिकायत दर्ज कराई थी. जिस पर सहकार आयुक्त के निर्देशानुसार जांच हुई है. ऐसा हमें पता चला है. परंतु अभी यह रिपोर्ट बैंक के संचालक मंडल के सामने पेश नहीं हुई है. अत: फिलहाल हमें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. जब यह रिपोर्ट बैेंक के संचालक मंडल के सामने आएगी, तो उस समय हम इसे लेकर अपनी ओर से खुलासा पेश करेंगे. साथ ही इस बात की भी मांग उठाएंगे कि, आखिर जिला उपनिबंधक द्बारा सहकार आयुक्त को पेश की जाने वाली इस गोपनीय रिपोर्ट का विस्तृत ब्यौरा बैंक में आने से पहले आम लोगों के बीच लिक कैसे हुआ.
– अविनाश कोठाले,
अध्यक्ष, जिजाउ कमर्शियल को-ऑप बैंक.

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