* 2 माह तक विस्तार की संभावना भी नगण्य
अमरावती/दि.16 – प्रगतिशील कहलाते महाराष्ट्र में पहली बार ऐसा मंत्रिमंडल कार्यरत है, जिसमें महिला को कोई स्थान नहीं है. एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री के रुप में शपथ लेने साढे 5 माह बीत गए. अब तक किसी महिला नेत्री को उनके केबिनेट में स्थान नहीं मिल पाया है. जिससे ताईयों के जिले के रुप में राज्य में पहचान रखने वाले अमरावती में पूछा जा रहा है कि, क्या यह आधी आबादी का अपमान जैसा नहीं है. यह भी चर्चा है कि, अगले 2 माह तक मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावना नहीं है. सोमवार 19 दिसंबर से विधान मंडल का करारानुसार नागपुर शीतसत्र अवश्य आरंभ हो रहा है. जिसमें सदस्यों के सवालों के जवाब मंत्री देंगे.
* 26 महिलाएं हैं विधायक
विधानसभा की सदस्य संख्या के 10 प्रतिशत से भी कम अर्थात मात्र 26 महिलाएं सदस्य हैं. उच्च सदन में डॉ. नीलम गोर्हे सहित कुछ और नाम हो सकते हैं. शिंदे गुट में यामिनी जाधव एकमात्र महिला विधायक है. भाजपा की सर्वाधिक 12 महिला विधायक है. जिनमें अनेक नेत्रियां 2 और 3 बार चुनाव जीत चुकी है. उनमें विद्या ठाकुर, सीमा हीरे, भारती लावेकर, मुक्ता तिलक, मंदा म्हात्रे, माधुरी मिसाल, ेदेवयानी फरांदे, मेघना बोर्डीकर, मोनिका राजाले, श्वेता महाले, नमीता मुंधडा, मनीषा चौधरी का समावेश है. मीरा भायंदर की गीता जैन भी भाजपा से संबंद्ध हो गई है. ऐसे में सवाल पूछा जा रहा है कि, महिला नेत्रियों को अवसर क्यों नहीं दिया जा रहा. जबकि विद्या ठाकुर, सीमा हीरे, मंदा म्हात्रे, मोनिका राजाले, माधुरी मिसाल 2 और 3 बार चुनाव जीत चुकी है.
* पिछली सरकार में यशोमति, गायकवाड
उद्धव ठाकरे के नेतृत्ववाली मविआ सरकार में तिवसा की विधायक यशोमति ठाकुर, धारावी की वर्षा गायकवाड अनेक प्रमुख विभागों की मंत्री बनाई गई थी. यशोमति को महिला व बाल कल्याण तो गायकवाड को शिक्षा जैसा महत्वपूर्ण मंत्रालय सौंपा गया था. किंतु शिंदे सरकार ने किसी महिला नेत्री को मौका नहीं मिला है. जिस पर अचरज के साथ अब असंतोष भी जताया जा रहा है.
* मंत्रियों पर भार
सीएम एकनाथ शिंदे ने विधान मंडल के सत्र को देखते हुए अपने कुछ विभाग अपने गट के मंत्रियों को दे दिए हैं. बावजूद इसके अनेक मंत्रियों के पास एक से अधिक मंत्रालय का जिम्मा होने से विधान मंडल में असर हो सकता है. विपक्ष दल के एक नेता ने इस ओर ध्यान दिलाया कि, अधिक खाते होने से विधायकों को उनके प्रश्नों के उत्तर समय पर नहीं मिलते. कई बार इससे बडे महत्व के प्रकल्प प्रलंबित हो जाते हैं. सदन में मंत्री सवालों के उत्तर टाल देते हैं. यह भी चर्चा है कि, मंत्रिमंडल विस्तार अब जनवरी माह के अंत में हो सकता है. तब तक नागपुर सत्र पूर्ण हो जाएगा. विदर्भ के प्रश्नों के जवाब मिल पाएंगे या नहीं, अभी कह नहीं सकते.