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गरमी की आहट में ‘गरीबो का फ्रीज’ मिलना हुआ मुश्किल

लॉकडाउन ने चौपट कर दिया व्यवसाय

अमरावती प्रतिनिधि/ दि.४ – ग्रीष्मकाल में लगने वाली प्यास मिटाने के लिए मटके का पानी सर्वोत्तम माना जाता है. उसी कारण गर्मी की आहट लगते ही मटका बिक्री के लिए बाजार में तैयार रखा जाता है. ‘फ्रीज’ जैसे ठंडक देने वाले इन मटकों को बाजार में अच्छी मांग रहती है. किंतु इस बार लॉकडाउन के चलते गरीबो का फ्रिज रहने वाला मटका भी मिलना मुश्किल हुआ है.
वर्तमान में खापर्डे बगीचा के गजानन महाराज मंदिर के पास मटका बिक्री का पुरानी दुकान है. इसके अलावा अमरावती बडनेरा रोड पर नवाथे व सातुर्णा परिसर में ग्रीष्मकाल की शुरुआत होते ही मटके की दुकान लगना शुरु हो जाता है. गर्मी के चलते अन्य बर्तन में जमा कर रखा गया पानी गरम होने से एक तो फ्रिज में रखा हुआ पानी पीना पडता है. यह पानी ग्रीष्मकाल में पीने की सलाह दी जाती है. समाज में फिलहाल स्वास्थ्य के बारे में जागृकता बढ चुकी है. इस कारण मिट्टी से तैयार किये गए मटके के पानी को प्राथमिकता दी जाती है. परिणाम स्वरुप ग्रीष्मकाल में मटकों को अच्छी मांग मिल रही है.
अमरावती शहर के मटका व्यवसायियोें के अनुसार लाल रंग के मटके के भाव 225 रुपए, काले रंग के नल वाले मटके के भाव 200 रुपए तथा काले रेत के मटके के भाव 150 रुपये बताये गए है. जिले के कुंभार व्यवसायी मिट्टी से मटका बनाने का काम करते है. अलग मिट्टी का इस्तेमाल कर तैयार किये मटके का पानी ज्यादा ठंड होने का दावा कुंभार व्यवसायी करते है, लेकिन इस बार लॉकडाउन के चलते शहर के मुख्य चौराहे और बाजार में सन्नाटा छाया हुआ है. हर वर्ष शहर के मुख्य चौराहों पर जिले के विविध क्षेत्र से मटके बिक्री के लिये लाये जाते है. इसके अलावा शहर के परकोटे के भितर के कुंभारवाडा, गोपाल नगर के समीप के कुंभारवाडे तथा फे्रजरपुरा के पास रहने वाले कुंभार समाज के लोगों का यह गृह व्यवसाय बन चुका है. विशेषकर लोग बहिरम व अन्य जत्रा से मटका व अन्य वस्तु खरीदी करते है. किेंतु इस बार कोरोना के चलते लगभग सभी जत्राओं पर प्रशासन ने रोक लगा दी और अब लॉकडाउन का असर इस व्यवसाय पर काफी दिखाई देता है.
अभी मार्च महिने की शुरुआत हुई है, लेकिन शुरुआत में ही पारा 38 डिग्री तक पहुंच चुका है. लॉकडाउन के चलते बहारगांव के विक्रेता शहर में नहीं आ रहे है. इस कारण गरीबों का फ्रिज रहने वाला मटका मिलना मुश्किल हो चुका है. पानी ठंड रखना इस मिट्टी की विशेषता है. लाल रंग की मिट्टी से लाल मटका बनाया जाता है. काले रंग के मटके से लाल रंग के मटके में पानी ज्यादा ठंड रहने की बात विक्रेता कहते है.

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