हाथरस जैसे मामलों को रोकने न्यायिक प्रक्रिया को गतिमान करना जरूरी
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राकांपा महिला जिलाध्यक्ष संगीता ठाकरे का कथन
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विशेष साक्षात्कार में कहा, मोदी व योगी सरकार हर मोर्चे पर नाकाम
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यूपी के हालात की तुलना जंगलराज से की, बोलीं – यूपी में महिलाए असुरक्षित
अमरावती/प्रतिनिधि दि.६ – उत्तर प्रदेश के हाथरस में एक युवती के साथ जो कुछ हुआ, उसने इंसानियत को तार-तार कर दिया और हाथरस केवल अकेला मामला नहीं है, बल्कि उत्तर प्रदेश में हाथरस के साथ ही अन्य कई शहरों व जिलों में भी ऐसे मामले बडी तेजी के साथ उजागर हो रहे है. जिसका सीधा मतलब है, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार महिला व युवतियों की सुरक्षा के मसले पर पूरी तरह से नाकाम है और वहां पर पाशविक प्रवृत्ति रखनेवाले नराधम खुले आम घुम रहे है. इसे सीधे-सीधे जंगलराजवाली स्थिति कहा जा सकता है. इस आशय का प्रतिपादन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की महिला आघाडी जिलाध्यक्ष संगीता ठाकरे द्वारा किया गया. इन दिनों जिले में कई राजनीतिक व सामाजिक आंदोलनों में बढ-चढकर हिस्सा लेनेवाली और सभी आंदोलनों का चर्चित चेहरा रहनेवाली संगीता ठाकरे से दैनिक अमरावती मंडल ने विशेष तौर पर बातचीत की. जिसमें उन्होंने उपरोक्त बात कही. इस समय संगीता ठाकरे का यह भी कहना रहा कि, हमारे सामने निर्भया मामले का उदाहरण है. जिसमें इंसाफ मिलने के लिए सात साल का इंतजार करना पडा. यह काफी लंबी अवधि है. जिसके चलते अपराधियों में कानून का कोई भय नहीं रह जाता, क्योंकि यह अकेला मामला है. जिसमें आरोपियों को कडी सजा हुई, अन्यथा कई मामलों में तो आरोपी बेदाग बरी भी हो जाते है. ऐसे में हमें अपनी न्याय व्यवस्था को पूरी तरह से चुस्त-दुरूस्त करना होगा. पुलिस को ऐसे मामलों के प्रति काफी संवेदनशिल बनाना होगा और अदालती प्रक्रिया को गतिमान बनाने के साथ ही आम नागरिकों को ऐसे मामलों में सहयोग प्रदान करने हेतु जागरूक करना होगा. तब कही जाकर हम महिलाओं के खिलाफ होनेवाले अपराधों को नियंत्रित कर सकेंगे.
हाथरस के लिए यूपी की योगी सरकार जिम्मेदार
हाथरसवाले मामले के लिए पूरी तरह से यूपी की योगी सरकार को जिम्मेदार बताते हुए संगीता ठाकरे ने कहा कि, जिस तरह से सांसद राहूल गांधी व कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी जैसे बडे नेताओें सहित मीडिया को हाथरस जाने से रोका गया. उससे साफ जाहीर है कि, योगी सरकार कुछ न कुछ तो छिपाना चाह रही है और पीडित परिवार पर दबाव भी बनाया जा रहा है. यह सीधे-सीधे पीडित परिवार सहित मीडिया की आवाज को दबाने का प्रयास है और हाथरस कांड को लेकर जो हंगामा मचा, उसके लिए पूरी तरह से यूपी सरकार ही जिम्मेदार है. हाथरस मामले को लेकर इन दिनों हो रही राजनीति के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर राकांपा महिला जिलाध्यक्ष संगीता ठाकरे का कहना रहा कि, हाथरस जैसे मामलों को लेकर किसी तरह की कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए,क्योंकि यह देश की बहन-बेटियों की इज्जत व अस्मत का सवाल है. इसके लिए सभी को अपने राजनीतिक दायरों से उपर उठकर सोचना होगा. तभी हम समूचे देश की महिलाओें को सुरक्षित रख पायेंगे.
राकांपा का लक्ष्य है महिला सक्षमीकरण
इसी मसले को लेकर आगे बात करते हुए राकांपा नेत्री संगीता ठाकरे ने कहा कि, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने हमेशा ही महिलाओं एवं नवयुवतियों के सक्षमीकरण पर विशेष ध्यान दिया है और राकांपा ही देश की एकमात्र ऐसी पार्टी है, जिसने नवयुवति इकाई का गठन किया और आज इस इकाई के जरिये पार्टी सांसद सुप्रीया सुले व नवयुवति इकाई की प्रदेशाध्यक्ष सक्षणा सलगार के नेतृत्व में समूचे राज्य की हजारों युवतियां राजनीतिक क्षेत्र में अपना स्थान बना रही है. जिनमें इकाई की प्रदेशाध्यक्ष सक्षणा सलगार का भी समावेश है. जो बेहद आम परिवार से वास्ता रखती है. और आज जिला परिषद सदस्य रहने के साथ ही प्रदेशाध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पद पर है.
महिलाओं को लेकर भाजपा का दोहरा चरित्र उजागर
महिलाओं की सुरक्षा के मसले पर भाजपा के दोहरे रूख पर कटाक्ष करते हुए संगीता ठाकरे ने कहा कि, भाजपा एक ओर माताओं और बहनों की सुरक्षा को लेकर बडी-बडी बातें करती है, वहीं दूसरी ओर हाथरस मामले में पार्टी का पक्ष रखने हेतु राम माधव जैसे नेताओं को भेजा जाता है. यह वहीं राम माधव है, जिन्होंने पिछले साल दहीहांडी के कार्यक्रम में हिस्सा लेते समय वहां उपस्थित युवकों से कहा था कि, अगर तुम्हें कोई लडकी पसंद है, तो हमें बताओ. हम उस लडकी को उठा लायेंगे. युवतियों के लिए इस तरह की निकृष्ट सोच रखनेवाला व्यक्ति आज भाजपा प्रवक्ता के तौर पर हाथरस मामले में महिलाओं के सम्मान की बात कर रहा है. इससे बडा कोई मजाक नहीं हो सकता.
किसान हितों के खिलाफ ही है कृषि विधेयक
इस साक्षात्कार के दौरान इन दिनों केंद्र सरकार द्वारा पारित कृषि विधेयकों के संदर्भ में मच रहे हंगामे और हो रहे विरोध के संदर्भ में पूछे गये सवाल पर राकांपा नेत्री संगीता ठाकरे ने कहा कि, केंद्र की सत्ता में रहनेवाली मोदी सरकार इन दिनों जिस रफ्तार से देश की सार्वजनिक संपत्तियों को बेच रही है, उसे देखते हुए इस सरकार पर किसी भी बात के लिए भरोसा नहीं किया जा सकता. इस समय देश में खेती-किसानी की जानकारी और गहरी समझ रखनेवाला राकांपा सुप्रीमो शरद पवार से बडा कोई दूसरा नेता नहीं है. अगर पवार साहब इस बिल का विरोध कर रहे है तो इसका साफ मतलब है कि, ये पूरी तरह से किसानों के हितों के खिलाफ है. संगीता ठाकरे के मुताबिक हमारे देश का किसान काफी भोला होता है, और हर समय आर्थिक दिक्कतों से जूझता रहता है. ऐसे में उसका आर्थिक शोषण करना बेहद आसान होता है. अत: किसानों को खुले बाजार में निजी व्यापारियों के भरोसे नहीं छोडा जा सकता. कृषि उत्पन्न बाजार समितियां किसानों के हितों को सुरक्षित रखने के लिए ही बनायी गयी थी और आज यदि नये कृषि कानूनों के जरिये फसल मंडियों के अस्तित्व को खत्म किया जाता है, तो इससे सीधे तौर पर किसान ही प्रभावित होंगे. अत: सरकार को चाहिए कि, किसानों के हितों को लेकर कोई खिलवाड न किया जाये.
फिलहाल पार्टी की संगठनात्मक मजबूती पर ध्यान
इन दिनों चल रहे अपने क्रियाकलापों के बारे में बात करते हुए राकांपा महिला आघाडी की जिलाध्यक्ष संगीता ठाकरे ने बताया कि, वे आज या कल में अमरावती जिले के दौरे पर निकलनेवाली है और एक-एक बूथ तक पहुंचते हुए महिला आघाडी शाखा गठित करने पर ध्यान देंगी. पार्टी प्रमुख शरद पवार, उपमुख्यमंत्री अजीत पवार व सांसद सुप्रीया सुले के मार्गदर्शन में जिले के हर एक बूथ पर महिला आघाडी का गठन करते हुए पार्टी को संगठनात्मक रूप से मजबूत करने का काम करना फिलहाल सबसे पहली प्राथमिकता है, ताकि पार्टी जमीनी स्तर पर मजबूत हो सके.