देश दुनियामुख्य समाचार

अपने पिता के नाम और पार्टी के चुनावी चिन्ह से वंचित करना गलत

उद्धव ठाकरे ने दिल्ली हाइकोर्ट में दर्ज कराई आपत्ति

नई दिल्ली/दि.14- महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने आज दिल्ली उच्च न्यायालय में शिवसेना के नाम और पार्टी के चुनावी चिन्ह को फ्रिज करने के संदर्भ में निर्वाचन आयोग द्वारा दिया गया निर्णय गैर कानूनी रहने का दावा करते हुए कहा कि वे 30 वर्षों से शिवसेना का कामकाज संभाल रहे हैं. यह पार्टी उनके पिता द्वारा बनाई गई थी और उनके पिता ने ही पार्टी संगठन का नाम शिवसेना रखते हुए पार्टी के लिये धनुष्यबाण का चुनावी चिन्ह प्राप्त किया था. लेकिन निर्वाचन आयोग द्वारा सुनाये गये गैरकानूनी फैसले के चलते पूरा कामकाज गड़बड़ा गया है और पार्टी के राजनीतिक काम पूरी तरह से अटक गये हैं.
न्यायमूर्ति संजीव नरुला की खंडपीठ के सामने उद्धव ठाकरे की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि निर्वाचन आयोग द्वारा दिया गया फैसला उद्धव ठाकरे व उनकी राजनीतिक पार्टी पर खासा गंभीर परिणाम कर सकता है और चुनाव चिन्ह के आरक्षण व वितरण से संंबंधित नियमों के मुताबिक आवश्यक परिणामों की पूर्तता किये बिना भारतीय निर्वाचन आयोग ऐसा कोई आदेश पारित नहीं किया जा सकता. दोनों पक्षों का युक्तिवाद सुनने के बाद न्या. नरुला ने इस याचिका पर अपने विचार रखते हुए कहा कि ठाकरे का शिवसेना पार्टी और चुनावी चिन्ह पर दावा व अधिकार अब भी कायम है और निर्वाचन आयोग ने अब तक इस मामले में अपना अंतिम निर्णय नहीं दिया है. इससे पहले जारी किये गये आदेश मुंबई की एक सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिये दिये गये थे और चूंकि अब उपचुनाव निपट चुका है. निर्वाचन आयोग ने इस मामले में गंभीरतापूर्वक ध्यान देना चाहिए और ठाकरे की ओर से पेश किये गये सबूतों व दस्तावेजों को ग्राह्य मानते हुए जल्द से जल्द अपना अंतिम फैसला भी सुनाना चाहिए. इस मामले में अगली सुनवाई कल होगी.

Related Articles

Back to top button