अमरावतीमुख्य समाचार

सारी संक्रमित मरीज का इलाज शुरू करने में लगे 30 घंटे

इर्विन अस्पताल में चिराग तले अंधेरा

  • कोविड काल के दौरान भी व्यवस्था में नहीं कोई सुधार

  • सारी वॉर्ड सहित आयसीयू है अव्यवस्था का शिकार

  • सारी वॉर्ड में मरीजों की तरफ ध्यान देने की मेडिकल स्टाफ को फुरसत नहीं

अमरावती/दि.24 – इस समय जहां एक ओर कोरोना के साथ-साथ सारी नामक संक्रामक बीमारी कहर ढा रही है और बडी संख्या में लोग इन बीमारियों की चपेट में आ रहे है, जिसके चलते प्रशासन द्वारा विगत एक वर्ष से स्वास्थ्य व्यवस्थाओं व सुविधाओं को चुस्त-दुरूस्त करने का काम किया जा रहा है. वहीं विगत अनेक वर्षों से अपने ही ढर्रे पर चलने के लिए कुख्यात इर्विन अस्पताल के कामकाज में इस महामारी काल के दौरान भी कोई सुधार होता दिखाई नहीं दे रहा और यहां पर सारी वॉर्ड सहित आयसीयू में कई तरह की अव्यवस्थाएं है और सारी वॉर्ड में तैनात मेडिकल स्टाफ द्वारा यहां भरती मरीजों की ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा. जिसकी वजह से मरीजों को इलाज एवं दवाई के लिए कई-कई घंटों तक इंतजार करना पड रहा है.
बता दें कि, इर्विन हॉस्पिटल के रूप में जाने जाते जिला सामान्य अस्पताल के वॉर्ड क्रमांक 5, 9, 10, 11, 13 व 14 इन छह वॉर्डों को सारी वॉर्ड बनाया गया है. जहां पर सारी संक्रमित मरीजों को ही भरती कराया जाता है. सारी संक्रमित मरीजों के सारे लक्षण कोविड संक्रमितों की तरह ही होते है. ऐसे में उनके इलाज भी लगभग कोविड संक्रमित मरीजों की तरह ही किया जाता है. किंतु कोविड अस्पतालों में जिस गंभीरता के साथ कोरोना संक्रमित मरीजोें का इलाज किया जा रहा है, वह गंभीरता और जिम्मेदारीपूर्ण रवैय्या इर्विन अस्पताल के सारी वॉर्ड में दिखाई नहीं देता.
जानकारी के मुताबिक इर्विन अस्पताल के सारी वॉर्ड में परसो दोपहर 4 बजे मोहम्मद जुनैद नामक 32 वर्षीय व्यक्ति को भरती कराया गया. किंतु दोपहर 4 बजे भरती कराये जाने के बाद रात 12 बजे तक इस व्यक्ति को किसी भी तरह की दवाई या इंजेक्शन नहीं दिये गये. इस बात की शिकायत जुनैद के रिश्तेदारों द्वारा गत रोज जिलाधीश से की गई. पश्चात जिलाधीश द्वारा इर्विन अस्पताल के आरएमओ व सारी वॉर्ड के इंचार्ज से संपर्क करते हुए आवश्यक दिशानिर्देश दिये गये. हैरत की बात यह रही कि, खुद जिलाधीश द्वारा निर्देश देने के बावजूद भी पूरा दिन मोहम्मद जुनैद नामक इस मरीज को टैबीफ्ल्यू की गोलिया व रेमडेसिविर का इंजेक्शन उपलब्ध नहीं कराया गया था. पश्चात शुक्रवार की रात करीब 1.30 बजे जब सिनियर मेडिकल ऑफिसर डॉ. सुभाष टिकरे अनायास ही मरीजों को देखते हुए इस वॉर्ड में पहुंचे, तो उन्होंने तुरंत ही इस मरीज को टैबीफ्ल्यू की 9 गोलिया खिलाने के साथ ही उसके सिटी स्कैन रिपोर्ट व ऑक्सिजन सैच्युरेशन को देखते हुए उसे जल्द ही रेमडेसिविर इंजेक्शन लगाने का निर्देश ड्यूटी पर तैनात मेडिकल स्टाफ को दिया. किंतु रात के समय मेडिकल स्टाफ के पास रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध नहीं था. ऐसे में शनिवार की सुबह स्टोर खुलने के बाद नई शिफ्ट में आये मेडिकल स्टाफ द्वारा इस मरीज को रेमडेसिविर का पहला इंजेक्शन लगाया गया. इस समय तक मोहम्मद जुनैद को इस वॉर्ड में भरती हुए करीब 30 घंटे का वक्त बीत चुका था. इस बात से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, इर्विन अस्पताल में मरीजों के इलाज को लेकर कितनी गंभीरता और तत्परता से काम किया जाता है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, इन्हीं तीस घंटों के दौरान सारी वॉर्ड में दो संक्रमित मरीजों ने दम तोडा. जिसके लिए पूरी तरह से मेडिकल स्टॉफ की लापरवाही और यहां की अव्यवस्था को जिम्मेदार कहा जा सकता है. यहां पर अव्यवस्था का आलम यह है कि, ऑक्सिजन सिलेंडर बदलने का काम सिक्युरिटी बॉय यानी सुरक्षा रक्षकों द्वारा किया जाता है. साथ ही महज एक दिन पहले ड्यूटी जॉईन करनेवाली नर्स को सीधे सारी वॉर्ड में तैनात किया गया है. इस वॉर्ड में तैनात अधिकांश नये स्टाफ को यहीं पता नहीं है की ऑक्सिजन की सप्लाय को बढाने के लिए नॉब को क्लॉकवाईज या एंटी क्लॉकवाईज किस तरफ घुमाना है. सबसे बडी अव्यवस्था तो यह है कि मरीज को दिये जा रहे ऑक्सिजन की मात्रा पर नजर रखने हेतु लगाये जानेवाले तीन बाय कैप बंद पडे है. जिसकी ओर इर्विन प्रशासन का कोई ध्यान नहीं है. इसके अलावा विगत अनेक दिनों से यहां के आयसीयू में एअरकंडिशनर बंद पडे है. जिसकी वजह से चारों ओर से बंद रहनेवाले आयसीयू में मरीजों को काफी गरमी और उमस का सामना करना पड रहा है, जो उनके लिये खतरनाक भी हो सकता है.

सीएस के बीमार पडते ही इर्विन भी हुआ बीमार

बता दें कि, विगत दिनों जिला शल्य चिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम कोविड संक्रमण की चपेट में आये और इस समय वे आयसोलेशन में रह रहे है. ऐसे में उनकी कुछ दिनों की अनुपस्थिति में ही इर्विन अस्पताल में कामकाज का तरीका गडबडाने लगा है और यहां पर अव्यवस्थाएं फैलती दिखाई दे रही है. ऐसे में प्रशासन को समय रहते जिला सामान्य अस्पताल की ओर ध्यान देना होगा, अन्यथा कई मरीजों की जिंदगी खतरे में पड सकती है.

Back to top button