सूचना अधिकार के तहत समय पर जानकारी नहीं देना पडा महंगा
मनपा के जनसूचना अधिकारी आनंद जोशी पर लगा 25 हजार रूपये का दंड
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पंकज मेश्राम ने रास्ते के काम को लेकर मांगी थी जानकारी
अमरावती प्रतिनिधि/दि.१८- स्थानीय प्रशांत नगर परिसर निवासी सामाजिक कार्यकर्ता पंकज लीलाधर मेश्राम ने 10 मार्च 2017 को मनपा के तत्कालीन जनसूचना अधिकारी आनंद जोशी से सूचना अधिकार के तहत निर्धारित प्रारूप में राजेंद्र कालोनी-प्रशांत नगर-मोतीनगर सडक के सुधार व सौंदर्यीकरण काम के वर्क ऑर्डर के संदर्भ में जानकारी मांगी थी. जो उन्हें तय अवधि के भीतर मुहैय्या नहीं करायी गयी. इस बात को लेकर राज्य सूचना आयोग की अमरावती खंडपीठ के समक्ष अपील की गई. जहां पर हुई सुनवाई के बाद सूचना आयोग ने तत्कालीन जनसूचना अधिकारी आनंद जोशी को सूचना देने में हुए विलंब के लिए जिम्मेदार मानते हुए उन्हें 25 हजार रूपये का दंड अदा करने का आदेश जारी किया.
इस मामले को लेकर मिली जानकारी के मुताबिक पंकज मेश्राम ने केंद्रीय सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 6(1) के अनुसार जोडपत्र-अ के प्रारूप में जनसुचना अधिकारी के पास नियमानुसार आवेदन करते हुए जानकारी मांगी थी. जो उन्हें उपलब्ध नहीं करायी गयी. पश्चात उन्होंने धारा 19 (1) के तहत जोडपत्र-ब के निर्धारित प्रारूप में प्रथम अपिलीय अधिकारी के पास 27 अप्रैल 2017 को प्रथम अपील आवेदन दाखिल किया. इसके बावजूद जानकारी नहीं मिलने पर 25 जुलाई 2017 को सूचना आयोग के पास द्वितीय अपील दाखिल करते हुए अपने द्वारा मांगी गयी जानकारी मुहैय्या नहीं कराने का मुद्दा उपस्थित किया. द्वितीय अपील के समय अपिलार्थी द्वारा बताया गया कि, आयोग की ओर से नोटीस जारी होने के बाद उन्हें जानकारी दी गई है. इस समय उत्तरवादी की ओर से एड. राजेंद्र पांडे ने खुलासा किया कि, तत्कालीन प्रथम अपिलीय अधिकारी ने प्रथम अपील का निपटारा नहीं किया था और मौजूदा प्रथम अपिलीय अधिकारी ने आयोग की नोटीस मिलने के बाद प्रथम अपील में आदेश पारित करते हुए अपिलार्थी को 171 पन्नों की जानकारी दी है. साथ ही अपिलार्थी को जानकारी देने में हुए विलंब के संदर्भ में तत्कालीन जनसूचना अधिकारी द्वारा कोई वाजीब स्पष्टीकरण भी नहीं दिया है. इस अपील को मान्य करते हुए राज्य सूचना आयोग ने सुनवाई पश्चात अपिलार्थी को जानकारी देने में हुए विलंब के लिए तत्कालीन जनसूचना अधिकारी आनंद जोशी को जिम्मेदार माना. साथ ही केंद्रीय सूचना अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 19 (8) (ग) तथा 20 (1) के अनुसार कार्रवाई हेतु पात्र माना. इसके तहत उन्हें धारा 20 (1) के तहत 25 हजार रूपये जुर्माना भरने की सजा सुनायी गयी. यह रकम तत्कालीन जनसूचना अधिकारी आनंद जोशी के मासिक वेतन से एकमुश्त पध्दति से वसूल कर सूचना अधिकार अधिनियम 2005 के संबंधित लेखाशीर्ष में चालान द्वारा जमा करायी जाये और चालान की प्रतिलिपी सहित अनुपालन रिपोर्ट को आगामी 30 दिनों के भीतर सूचना आयोग के समक्ष प्रस्तुत किया जाये. ऐसा आदेश राज्य सूचना आयुक्त संभाजी सरकुंडे द्वारा जारी किया गया है.