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जटील दो शल्यक्रिया जिला अस्पताल में हुई सफल

अमरावती जिला अस्पताल टीम की सराहनीय पहल

अमरावती/प्रतिनिधि दि.27 – सेंट्रींग का काम करते समय हुए हादसे में मोर्शी के रामजी नगर में अजय भलावी के पेट में अचानक आरी घूस गई और पेट की आतडिया बाहर आ गई. गंभीर अवस्था में उसे अमरावती जिला सामान्य अस्पताल में लाया गया. जिला अस्पताल की टीम ने तत्काल युवक पर उपचार कर उसकी शल्यक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण की. जिससे युवक को जीवनदान मिला है. बीते सप्ताह में जिला सामान्य अस्पताल के सर्जन डॉ. संतोष राऊत की टीम ने आंतडियों की जटिल दो शल्यक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण करायी है.
यहां बता दें कि मोर्शी शहर के रामजीनगर में रहनेवाले २५ वर्षीय अजय भलावी बीते १९ मार्च को सेंट्रींग का काम कर रहा था. तभी आरी चलाते समय अचानक उसकी आंख में कचरा चला गया और आरी उसके पेट में जा घुसी. जिससे उसके पेट की अतडियां बाहर आ गयी. उसकी हालात काफी गंभीर होने से रिश्तेदारों ने समय बर्बाद ना करते हुए उसे तुरंत मोर्शी के डॉक्टरों के पास लाया. डॉक्टरों को अजय की हालत क्रिटीकल दिखाई देने पर अमरावती जिला सामान्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दी. जिसके बाद अमोल को तत्काल अमरावती के इर्विन अस्पताल में लाया गया. इर्विन अस्पताल के वार्ड नंबर 16 के शल्यचिकित्सक विभाग में अजय भलावी को रेफर करते ही वहा पर मौजूद विशेषज्ञ डॉ. संतोष राउत ने तत्काल उसकी शल्यक्रिया कराने का निर्णय लिया. उसके बाद अजय को तुरंत ऑपरेशन थिएटर में ले जाया गया. डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक अजय की शल्यक्रिया की. शल्यक्रिया के बाद उसे आवश्यक दवाईयां भी दी गई. जिला अस्पताल के चिकित्सकों की टीम के बेहतर प्रयासों व उपचार सुविधा से अजय को नया जन्म मिला है. इस संबंध में डॉ. राउत ने बताया कि, अजय की पेट की अतडिया बाहर निकल गई थी. छोटी अतडियों पर भी जख्म था. इमर्जेन्सी को भी देखते हुए समय पर उपचार करने से शल्यक्रिया सफल हुई.
पुणे के अस्पताल में पैसों की हुई बर्बादी
वहीं २० मार्च को भी इर्विन के शल्यचिकित्सा विभाग में युवक के पेट की फटी अतडियों की जटिल शल्यक्रिया सफलतापूर्वक पूर्ण की गई. अकोला जिले के मोहोड गांव में रहनेवाला पंकज कदम युवक का नाम है. वह बीते कुछ वर्षों से पुणे में रहता है. पुणे में रहते समय एक दिन लीवर पर सूजन आने से उसकी तबीयत बिगड़ गयी. लेकिन दर्द कम होने का नाम नहीं ले रहा था. पुणे में उसने तीन अस्पतालों में उपचार कराया और एक लाख १० हजार रुपए भी खर्च किए. लेकिन उसका कोई लाभ नहीं हुआ. पंकज कदम की बहन अमरावती जिले के निमदरी में रहती है. उसने अपने भाई पंकज को बताया कि इर्विन अस्पताल में बेहतर उपचार किया जाता है. जिसके बाद पंकज तुरंत अमरावती में पहुंचा और २० मार्च को अस्पताल में भर्ती हुआ. पंकज के पेट की अतड़िया फट चुकी थी. डॉ. राउत को जब यह पता चला तो उन्होंने पंकज की शल्यक्रिया कराने का निर्णय लिया. इसके बाद पंकज की सफल शल्यक्रिया पूरी की गई. फिलहाल वह भी सुखरूप है.

  • अकोला में रेफर किए जाते है मरीज -डॉ. निकम

जिला सामान्य अस्पताल के ४०० बेड में से सर्जिकल सेवा हेतू १३० बेड है. यहां पर अनेक जटिल प्रक्रिया पूरी की जाती है. साधारण तौर पर दिन में तीन से चार ऑपरेशन होते है. अनेक मरीज अकोला में रेफर किए जाते है. काफी जटिल शल्यक्रिया नि:शुल्क करायी जाती है. गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करनेवाले नागरिकों के अलावा महात्मा ज्योतिबा फुले जीवनदायी स्वास्थ्य योजना व अन्य योजनाओं का लाभ दिया जाता है. थैलिसिमिया, सिकलसेल आदि रक्त से संबंधित बीमारियों पर भी उपचार उपलब्ध है. बाहर मंहगी मिलनेवाली अनेक दवाईयां निशुल्क उपलब्ध करायी जाती है. यह जानकारी जिला शल्यचिकित्सक डॉ. श्यामसुंदर निकम ने दी.
न्यूरो सर्जन ने भी संभाला पदभार
इर्विन अस्पताल में न्यूरो सर्जन डॉ. अभिजीत बेले ने भी अपना पदभार संभाल लिया है. जिसके चलते अब इर्विन में न्यूरो सर्जरी की सुविधा भी उपलब्ध कराने का प्रयास होगा यह जानकारी डॉ. निकम ने दी. इस समय जिला शल्यचिकित्सक डॉ. प्रमोद निरवणे मौजूद थे.

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