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जिजाउ बैंक पूरी तरह सुरक्षित, निवेशक न घबराए

डीडीआर की गोपनीय रिपोर्ट लीक होने के बाद हडबडाए संचालक

* आनन-फानन में बुलाई पत्रवार्ता, बैंक की ऑडिट रिपोर्ट का दिया हवाला
* बैंक पर लगे सभी आरोपों को बताया हेतु परस्पर व पूर्वाग्रह दूषित
* आरोप लगाने वालों को ही खडा किया सवालों के कटघरे में, बताया दागी
अमरावती /दि.20– जिले के सहकार क्षेत्र में अपना अलग स्थान रखने वाली जिजाउ कमर्शियल को-ऑप बैंक आर्थिक रुप से पूरी तरह सुरक्षित है. अत: बैंक में पैसा रखने वाले निवेशकों व खाताधारकों ने अपने निवेश के संदर्भ में पूरी तरह से निश्चिंत रहना चाहिए तथा बिल्कुल भी घबराना नहीं चाहिए. इस आशय का प्रतिपादन बैंक के अध्यक्ष इंजि. अविनाश कोठाले व सत्ताधारी संचालकों द्बारा यहां बुलाई गई पत्रवार्ता में किया गया. साथ ही बैंक की ऑडिट रिपोर्ट का हवाला देते हुए बताया गया कि, बैंक की आर्थिक स्थिति और निवेशकों का पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है.
स्थानीय जिला मराठी पत्रकार संघ के वालकट कम्पाउंट परिसर स्थित मराठी पत्रकार भवन में बुलाई गई पत्रकार परिषद में जिजाउ कमर्शियल को-ऑप बैंक के अध्यक्ष इंजि. अविनाश कोठाले ने कहा कि, कुछ लोग येन-केन प्रकारेण जिजाउ बैंक को अपने कब्जे में लेना चाहते है. जिसके लिए बैंक का अच्छे से कामकाज संभालते हुए बैंक को विकास पथ पर आगे ले जा रहे संचालकों को बदनाम करने का प्रयास किया जा रहा है. यह सिलसिला विगत दिनों हुए बैंक के संचालक मंडल के चुनाव प्रचार के समय से ही शुरु हो गया था. साथ ही कुछ लोग यह भी चाहते है कि, बैंक पर एक विशिष्ट समूह व समूदाय का भी कब्जा रहे. यही वजह है कि, विगत चुनाव के समय विपक्ष में रहने वाले कुछ लोगों न यह मांग उठाई थी कि, जिजाउ बैंक को मराठा सेवा संघ प्रणित अथवा संचालित कर दिया जाए. जबकि मराठा सेवा संघ और जिजाउ बैंक आपस में अलग-अलग संस्थाएं है और उनका एक-दूसरे से कोई लेना-देना नहीं है. विपक्ष में रहने वाले लोगों के प्रयासों का बैंक के मतदाताओं ने विगत चुनाव में साफ जवाब दे दिया. जिसकी वजह से 16 सदस्यीय संचालक मंडल ने बैंक के मौजूदा सत्ता पक्ष को स्पष्ट बहुमत मिला. तो इसके बाद विपक्षी सदस्यों ने बैंक के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलीभगत करते हुए बैंक में गडबडियां करनी शुरु की, ताकि बैंक के संचालक मंडल को बदनाम किया जा सके. इसके तहत बैंक के तीन संचालक शरद बंड, राजेंद्र अढाउ व अरविंद गावंडे की शह पर बैंक कर्मचारी बालासाहब वैद्य, स्वप्निल देशमुख व सुरेश उमक ने बैंक में जानबूझकर कुछ गडबडियां की और फिर जैसे ही बैंक के संचालक मंडल ने उन लोगों के खिलाफ कार्रवाई करनी शुरु की. तो उन्होंने बैंक में खुद अपने ही द्बारा की गई अनियमितताओं के संदर्भ में सहकार विभाग के पास जाकर शिकायत दर्ज करनी शुरु कर दी और फिर उन्हीं शिकायतों पर कार्रवाई करने हेतु आंदोलन व अनशन जैसे रास्तों का अख्तियार भी किया गया. इसके अलावा भी बैंक के संचालक मंडल को बदनाम करने के लिए काफी प्रयास किए गए. लेकिन बैंक की ऑडिट रिपोर्ट में यह खुलासा हो जाता है कि, बैंक का पूरा कामकाज बेहद पारदर्शक है और कही पर भी किसी भी तरह की कोई गडबडी नहीं है.
विगत दो दिनों से अखबारों में बैंक को लेकर छप रही खबरों के संदर्भ में सवाल पूछे जाने पर बैंक के अध्यक्ष अविनाश कोठाले ने बताया कि, उन खबरों को कुछ लोगों द्बारा जानबूझकर फैलाया जा रहा है. जिसके बारे में आगामी 24 सितंबर को होने जा रही बैंक की आमसभा में चर्चा करने के उपरान्त निर्णय लिया जाएगा. साथ ही जिन लोगों ने डीडीआर की गोपनीय रिपोर्ट को बैंक की बदनामी करने अथवा प्रतिमा मलीन करने हेतु लीक करते हुए प्रकाशित किया. ऐसे लोगों के खिलाफ उठाए जाने वाले संभावित कदमों के बारे में भी विचार-विमर्श किया जाएगा.

इस पत्रवार्ता में बैंक के अध्यक्ष इंजि. अविनाश कोठाले ने बताया कि, इस समय बैंक में 750 करोड से अधिक रुपए सावधी जमा सहित अन्य जमा खातों के जरिए जमा है. वहीं बैंक का निवेश 122 करोड तक है. वहीं जारी आर्थिक वर्ष में बैंक ने अपने 8471 सभासदों में से 4156 सभासदों को 268.50 करोड रुपयों का कर्ज दिया है. इसके साथ ही बैंक को जारी वित्तीय वर्ष में 235.3 लाख रुपए का शुद्ध लाभ हुआ है और बैंक को अ वर्ग ऑडिट श्रेणी प्राप्त हुई है. इससे साफ है कि, बैंक का खाताबही पूरी तरह से साफ-सुथरा है. ऐसे में विरोधियों द्बारा लगाए जा रहे आरोपों में कोई तथ्य नहीं है. इसके अलावा इस पत्रवार्ता में यह दावा भी किया गया कि, बैंक के मौजूदा संचालक मंडल ने बैंक के व्यवहार को 1 हजार करोड तक ले जाने का लक्ष्य तैयार किया है. जिसे जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा.
इस पत्रकार परिषद में बैंक के अध्यक्ष इंजि. अविनाश कोठाले, उपाध्यक्ष इंजि. राजेंद्र जाधव, संचालक इंजि. प्रदीप चौधरी, बबनराव आवारे, विशेषज्ञ संचालक रामचंद्र ठाकरे, रामेश्वर विधले व एड. वासुदेव बुरंगे उपस्थित थे.

* जिजाउ बैंक के सीईओ पर अपात्रता की तलवार
– डीडीआर की रिपोर्ट में पदभर्ती पर आपत्ति
विगत 2 दिनों से जिजाउ कमर्शियल को-ऑप बैंक को लेकर चर्चा व संदेह वाला वातावरण बना हुआ है. क्योंकि बैंक के संदर्भ में सहकार उपसंचालक (शक्कर) व जांच अधिकारी महेंद्र चव्हाण द्बारा राज्य के सहकार आयुक्त के पास पेश की गई जांच रिपोर्ट में बैंक के मौजूदा संचालकों पर काफी गंभीर आक्षेप लगाए गए है. जिसके तहत एक जगह पर जांच अधिकारी द्बारा यह भी कहा गया है कि, बैंक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के तौर पर कार्यरत नितिन वानखडे का अनुभव प्रमाणपत्र संदिग्ध रहने के चलते उन्हें आरबीआई ने 15 सितंबर 2021 को जारी पत्र के अनुसार इस पद हेतु अपात्र ठहराया है. लेकिन बावजूद इसके नितिन वानखडे अब भी इस पद पर पदस्त है. ऐसे में रिपोर्ट में दर्ज इस अभिप्राय के चलते बैंक के अध्यक्ष अविनाश कोठाले व सत्ताधारी संचालकों की भूमिका पर सवालिया निशान लगता नजर आ रहा है.
जानकारी के मुताबिक जांच अधिकारी ने अपने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि, सार्वजनिक क्षेत्र की एक बडी बैंक रहने के चलते जिजाउ कमर्शियल को-ऑप बैंक में पदभर्ती करते समय सरकार के विविध नियमों का पालन होना आवश्यक है. परंतु बैंक ने बिना कोई विज्ञापन जारी किए ही कई पदों पर कर्मचारियों की भर्ती की है. जिसके तहत कई लोगों को तीन-तीन माह के लिए ठेका नियुक्त सहायक अथवा अधिकारी के तौर पर नियुक्त किया गया है. इसके साथ ही इस रिपोर्ट में यह आक्षेप भी दर्ज किया गया है कि, ठेका नियुक्त कर्मचारियों को मनमाने ढंग से कर्ज भी दिया गया. जिसमें से ज्यादातर के कर्ज की राशि बकाया है.

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