रात 3 बजे संजय पंड्या से खास बातचीत
अमरावती/दि.3- उच्च सदन के नवनिर्वाचित सभासद तथा युवा नेता धीरज लिंगाडे ने कहा कि चुनावी वादे के मुताबिक अध्यापकों के लिए पुरानी पेंशन योजना दिलाने का पुरजोर प्रयत्न करेंगे. उन्होंने युवाओं तथा राज्य चयन आयोग की परीक्षा संबंधी मसलात भी सदन के माध्यम से हल करने का वादा किया. लिंगाडे आज तडके बडनेरा रोड स्थित नेमाणी गोदाम में बनाए गए मतगणना केंद्र पर अमरावती मंडल के प्रतिनिधि संजय पंड्या से विशेष मुलाकात कर रहे थे. तडके 3 बजे के दौरान यह भेंटवार्ता संजय पंड्या ने ली. किंतु खास बात यह रही कि पहली बार उच्च सदन की सीढी चढने के दावेदार बने मूलरुप से बुलढाणा निवासी लिंगाडे पूरी तरह तरोताजा लग रहे थे. उनकी बॉडी लेंगवेज भी आत्मविश्वास से लबालब नजर आई. उनके शुरुआती राजनीतिक सफर से लेकर ताजा विधान परिषद चुनाव में मविआ की टिकट को लेकर चली खींचतान सहित अनेक विषयों पर युवा नेता ने खुलकर बात की. शिवसेना बुलढाणा जिला प्रमुख रह चुके लिंगाडे ने मातोश्री जाकर उद्धव ठाकरे का सर्वप्रथम आशीर्वाद लेने की बात कही.
* पार्षद के रुप में चयन
डॉ. लिंगाडे से पूछा गया कि, उनका राजनीतिक सफर कब आरंभ हुआ. तब उन्होंने अपने पिता रामभाउ लिंगाडे की उंगली पकडकर राजनीति में जनसेवा के लिए आने का उल्लेख कर बताया कि, 1995 में वे कांग्रेस के टिकट पर बुलढाणा पालिका के पार्षद निर्वाचित हुए थे. उसी प्रकार डॉ. सुनील देशमुख के युवक कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के दौर में डॉ. लिंगाडे महासचिव रहे. कांग्रेस में अनेक पदों पर काम कर चुके लिंगाडे के पिता रामभाउ का मराठा क्षत्रप शरद पवार के साथ बढिया नाता रहा. जिससे राकांपा में भी अनेक पदाधिकारियों के साथ धीरज लिंगाडे का अच्छा मेलजोल रहा. वे अपने पिता के 2002 में निधन के पहले तक राकांपा में ही रहे.
* आनंदराव अडसूल के कारण सेना में
लिंगाडे ने बताया कि, पिता के निधन पश्चात तत्कालीन सांसद आनंदराव अडसूल के संपर्क में वे आए. जिन्होंने बालासाहब ठाकरे की बुलढाणा में विशाल सभा दौरान उनका शिवसेना में प्रवेश करवा दिया. उसी प्रकार वे 2011 से शिवसेना जिला प्रमुख भी रहे. बालासाहब ठाकरे के निधन पश्चात समूचे बुलढाणा जिले में उनके अस्थीकलश को लिंगाडे के कार्यकाल में घूमाया गया.
* एम तैएलसी की वर्षो सेयारी
धीरज लिंगाडे ने स्पष्ट कर दिया कि, भले ही मविआ ने उन्हें बिल्कुल समय पर अमरावती क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिया. वे तो वर्षो से उद्धव साहब के आदेश पर एमएलसी की तैयारी में जुट गए थे. लिंगाडे ने कहा कि, कोरोना काल के बाद उद्धव साहब के निर्देश पर स्नातक वोटर्स का पंजीयन उन्होंने शुरु कर दिया था. समय पर मविआ में अमरावती क्षेत्र कांग्रेस को दिए जाने पर उन्होंने अपनी पार्टी शिवसेना के वरिष्ठ नेता अनिल देसाई से चर्चा की. ऐसे ही सांसद अरविंद सावंत से भी बात की. संभ्रम हो गया था. अपने स्थानीय कार्यकर्ताओं के साथ उन्होंने चर्चा कर कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लडने का निर्णय किया.
* अमरावती नया नहीं
लिंगाडे ने स्पष्ट किया कि उनके पिता महाराष्ट्र शासन में गृह राज्य मंत्री रहे हैं. इसलिए वे अमरावती अनेक अवसरों पर आते रहे हैं. उसी प्रकार डॉ. सुनील देशमुख से भी संबंध रहे हैं. अमरावती उनके लिए नया नहीं हैं. यह भी उनकी चुनावी सफलता का एक कारक कह सकते हैं.
* पुरानी पेंशन मुद्दा कारगर
लिंगाडे ने एक प्रश्न के उत्तर में तपाक से कहा कि, प्रदेशाध्यक्ष नाना पटोले व्दारा पुरानी पेंशन योजना का मुद्दा बखूबी उठाया गया. उनकी विजय में भी इस मुद्दे का बडा योगदान हैं. वे पुरानी पेंशन योजना दोबारा लागू करने के लिए पुरजोर प्रयत्न करने का वादा भी लिंगाडे ने किया. उन्होंने पार्टी की रणनीति को भी विजय का श्रेय दिया.
* सभी का मिला साथ
लिंगाडे ने कहा कि चुनाव महत्वपूर्ण था. सत्तारुढ गठबंधन के मंत्री रह चुके लीडर उम्मीदवार थे. जिससे कांग्रेस, राकांपा, शिवसेना और महाविकास आघाडी के सभी दलों व संगठनों की मेहनत के बलबूते वे विजय प्राप्त कर सके हैं.
* खारीज किया राणा का दावा
विधायक रवि राणा ने लिंगाडे के चुनकर आने के बाद भाजपा से ही सहयोग करने का दावा किया था. इस बारे में पूछे जाने पर युवा नेता लिंगाडे ने कहा कि, उनका भाजपा से दूर-दूर तक संबंध नहीं हैं. इसलिए भाजपा में अथवा उस पार्टी के साथ जाने का प्रश्न नहीं उठता.
* डॉ. पाटील की वाणी मीठी
धीरज लिंगाडे ने निवर्तमान विधायक डॉ. रणजीत पाटिल का निर्वाचन क्षेत्र में लोगों से संपर्क नहीं रखने का आरोप रहा. उन्होंने स्पष्ट कहा कि, डॉ. पाटिल अपने क्षेत्र के युवाओं, पढे-लिखों की समस्याएं हल करने में विफल रहे. उन्होंने कहा कि डॉ. पाटिल सिर्फ मधुर बोलते रहे हैं. केवल मीठा बोलने से काम नहीं चलता. वोटर उनसे आसानी से मिल भी नहीं सकते थे.