कालबांडे व हिवसे का मतदार संघ हुआ रद्द
इस बार नेताओं का सिरदर्द बढाएंगे जिला मध्यवर्ती बैंक के चुनाव
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बबलु देशमुख या रविंद्र गोयगोले में से किसी एक को हटना होगा मैदान से
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इस बार तीन नहीं दो ही महिला सदस्य चुने जाएंगे
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पावडे का आर्थिक दुर्बल घटक मतदार संघ भी हुआ कम
अमरावती/प्रतिनिधि दि.21 – सुप्रिम कोर्ट व्दारा स्थानीय अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक को लेकर दाखल की गई स्पेशल लीव पिटीशन 18 फरवरी को खारीज करने के बाद सुप्रिम कोर्ट के आदेश पर 22 फरवरी को बैंक पर प्रशासक नियुक्त किया गया. जिससे नियम के अनुसार 40 दिन के भितर बैंक के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा दो दिन पहले की गई. विशेष यह कि इस बार 97वीं घटना दुरुस्ती के नियम के अनुसार 25 नहीं बल्कि जिला बैंक के 21 संचालकों की नियुक्ति के लिए ही यह चुनाव कराये जाएंगे. जिससे जिला मध्यवर्ती बैंक के 4 संचालक पद बॉडी कम हो जाएंगे. इस कारण जिला मध्यवर्ती बैंक का आगामी होने वाला चुनाव निश्चित ही सहकार नेताओं के लिए सिरदर्द बढाने वाला साबित होगा, यह अभी से ही तय है. क्योंकि 97वीं घटना दुरुस्ती के अनुसार जो 4 मतदार संघ कम हुए है, उसका झटका जिला मध्यवर्ती बैंक के पूर्व अध्यक्ष बबलु देशमुख समेत प्रकाश कालबांडे, नितीन हिवसे, रविंद्र गायगोले और आर्थिक रुप से दुर्बल घटक निर्वाचन क्षेत्र के संचालक सुभाष पावडे को भी लगने वाला है. विशेष यह कि चार निर्वाचन क्षेत्रों को मिलाकर दो मतदार संघ किये जाने से वहां से एक तो पूर्व अध्यक्ष बबलु देशमुख को चुनाव लढना होगा या फिर वह मतदार संघ रविंद्र गायगोले के लिए छोडना होगा. इसी तरह नितीन हिवसे को अपना निर्वाचन क्षेत्र प्रकाश कालबांडे को देना होगा या फिर कालबांडे को नितीन हिवसे के लिए मतदार संघ छोडना होगा. इसी तरह पूर्व के संचालक मंडल ने 3 महिला संचालक निर्वाचित हुए थे, लेकिन इस बार महिलाओं के लिए 2 ही मतदार संघ आरक्षित रहने से नये संचालक मंडल से 1 महिला कम होगी. वहीं जिला बैंक के संचालक सुभाष पावडे का आर्थिक रुप से दुर्बल घटक यह मतदार संघ ही इस बार कम किया गया है. इस तरह 25 संचालक मंडल को कम कर बैंक का नया संचालक मंडल 21 सदस्यीय बनाने के नियम ने सहकार क्षेत्र के दिग्गजों का सिरदर्द बढा दिया है.
उल्लेखनीय है कि अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैेंक पर 22 फरवरी को सतिश भोसले को प्रशासक नियुक्त करने के बाद जिला बैंक के नये संचालक मंडल के लिए होने वाले चुनाव को लेकर सहकार क्षेत्र की राजनीति में गतिविधियां तेज हुई हेै. इसी बीच 97वीं घटना दुरुस्ती के तहत नियम के अनुसार सहकारी बैंक का संचालक मंडल यह 21 सदस्य से ज्यादा नहीं रहना चाहिए. इस नियम को देखते हुए जिला निबंधक कार्यालय ने अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के नये मतदार संघ का नियोजन भी किया है. लेकिन इस नये नियोजन के कारण 4 मतदार संघ कम हो गए है. जिसका झटका महिला सदस्यों को भी लगा है. जिला मध्यवर्ती बैंक के पूर्व संचालक मंडल में उत्तरा वीरेंद्र जगताप, श्रीमती अनुराधा अनिल वर्हाडे व निवेदिता चौधरी यह 3 महिला संचालिका थी, लेकिन नये नियम के अनुसार अब 2 ही महिला संचालक चुने जाएंगे. इसके अलावा 14 तहसील के 14 मतदार संघ यानी अमरावती, भातकुली, तिवसा, चांदूर रेलवे, धामणगांव रेलवे, नांदगांव खंडेश्वर, चिखलदरा, धारणी, वरुड, मोर्शी, दर्यापुर, अचलपुर, अंजनगांव सुर्जी, चांदूर बाजार आदि 14 संचालकों के अलावा अनुसूचित जाति, जनजाति से 1, अन्य पिछडा प्रवर्ग से 1, विमुक्त जाति-भटकी जनजाति से 1 व महिला प्रवर्ग से 2 इस तरह 5 आरक्षित मतदार संघ के अलावा 4 निर्वाचन क्षेत्रों को मिलाकर 2 निर्वाचन क्षेत्र किये जाएंगे. जिससे पूर्व के संचालक मंडल में अन्य सहकारी संस्था मतदार संघ जिसमें दुध उत्पादक सहकारी संस्था, कुकुटपालन सहकारी संस्था, शेळीमंढी पालन सहकारी संस्था, वराह पालन सहकारी संस्था, गृहनिर्माण सहकारी संस्था व मजूर सहकारी संस्था आदि का समावेश था. जिसमें बैंक के पूर्व अध्यक्ष अनिरुध्द उर्फ बबलु देशमुख निर्वाचित हुए थे. यह मतदार संघ और व्यक्तिगत भाग धारक मतदार संघ व शेअर होल्डर मतदार संघ जहां से रविंद्र गायगोले निर्वाचित हुए थे. यह दो मिलाकर एक मतदार संघ बनाये जाने से या तो बबलु देशमुख को मैदान से हटना होगा या फिर रविंद्र गायगोले को बबलु देशमुख के लिए यह मतदार संघ छोडना होगा.
इसी तरह खरीदी-विपणन, मार्केटिंग मतदार संघ जिसमें हर तहसील की खरीदी विक्री सहकारी संस्था, जिनिंग प्रेसिंग सहकारी संस्था, अन्य मार्केटिंग सहकारी संस्था व सहकारी सूत गिरणी संस्था आदि का समावेश है. जहां से पहले नितीन हिवसे निर्वाचित हुए थे तथा सैलरी ऑनर्स मतदार संघ, जिसमें पगारदार, नौकरदारों की सहकारी संस्थाओं का समावेश है. वहां से प्रकाश कालबांडे निर्वाचित हुए थे. यह दो मिलाकर एक मतदार संघ किया. इस कारण या तो नितीन हिवसे को चुनाव से हटना होगा या फिर प्रकाश कालबांडे को हिवसे के लिए यह मतदार संघ छोडना होगा. इस कारण इन 4 दिग्गजों का चुनाव लडना एक दूसरे के लिए सिरदर्द साबित होगा. क्योंकि रविंद्र गायगोले व नितीन हिवसे इन दोनों के निर्वाचन क्षेत्र फिलहाल गायब है.
इसके साथ ही अनुसूचित जाति (एससी) मतदार संघ से प्रवीण काशिकर संचालक बने थे. उनका मतदार संघ कायम है. इसी तरह अनुसूचित जनजाति (एसटी) मतदार संघ से पुरुषोत्तम उर्फ बालासाहब अलोणे निर्वाचित हुए थे. उनका भी मतदार संघ कायम है तथा अन्य पिछडा वर्गीय मतदार संघ (ओबीसी) जहां से संजय वानखडे निर्वाचित हुए थे उनका भी मतदार संघ कायम है. किंतु आर्थिक रुप से दुर्बल घटक मतदार संघ जहां से सुभाष पावडे निर्वाचित हुए थे वह रद्द हुआ है. इस कारण सुभाष पावडे के चुनाव लडने पर भी प्रश्नचिन्ह कायम है.
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देशमुख व गायगोले के इस तरह जुड गए मतदार संघ
जिला बैंक के पूर्व के संचालक मंडल में अन्य सहकारी संस्था मतदार संघ जिसमें दुध उत्पादक सहकारी संस्था, कुकुटपालन सहकारी संस्था, शेळीमंढी पालन सहकारी संस्था, वराह पालन सहकारी संस्था, गृहनिर्माण सहकारी संस्था व मजूर सहकारी संस्था आदि का समावेश था. जिसमें बैंक के पूर्व अध्यक्ष अनिरुध्द उर्फ बबलु देशमुख निर्वाचित हुए थे. यह मतदार संघ और व्यक्तिगत भाग धारक मतदार संघ व शेअर होल्डर मतदार संघ जहां से रविंद्र गायगोले निर्वाचित हुए थे. यह दो मिलाकर एक मतदार संघ बनाये जाने से या तो बबलु देशमुख को मैदान से हटना होगा या फिर रविंद्र गायगोले को बबलु देशमुख के लिए यह मतदार संघ छोडना होगा.
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हिवसे व कालबांडे के मतदार संघ भी जोडे गए
नये नियम के अनुसार खरीदी-विपणन, मार्केटिंग मतदार संघ जिसमें हर तहसील की खरीदी विक्री सहकारी संस्था, जिनिंग प्रेसिंग सहकारी संस्था, अन्य मार्केटिंग सहकारी संस्था व सहकारी सूत गिरणी संस्था आदि का समावेश है. जहां से पहले नितीन हिवसे निर्वाचित हुए थे तथा सैलरी ऑनर्स मतदार संघ, जिसमें पगारदार, नौकरदारों की सहकारी संस्थाओं का समावेश है. वहां से प्रकाश कालबांडे निर्वाचित हुए थे. यह दो मिलाकर एक मतदार संघ किया. इस कारण या तो नितीन हिवसे को चुनाव से हटना होगा या फिर प्रकाश कालबांडे को हिवसे के लिए यह मतदार संघ छोडना होगा. इस कारण इन 4 दिग्गजों का चुनाव लडना एक दूसरे के लिए सिरदर्द साबित होगा. क्योंकि रविंद्र गायगोले व नितीन हिवसे इन दोनों के निर्वाचन क्षेत्र फिलहाल गायब है.
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काशिकर, अलोणे, वानखडे को राहत, पावडे को झटका
अनुसूचित जाति (एससी) मतदार संघ से प्रवीण काशिकर संचालक बने थे. उनका मतदार संघ कायम है. इसी तरह अनुसूचित जनजाति (एसटी) मतदार संघ से पुरुषोत्तम उर्फ बालासाहब अलोणे निर्वाचित हुए थे. उनका भी मतदार संघ कायम है तथा अन्य पिछडा वर्गीय मतदार संघ (ओबीसी) जहां से संजय वानखडे निर्वाचित हुए थे उनका भी मतदार संघ कायम है. किंतु आर्थिक रुप से दुर्बल घटक मतदार संघ जहां से सुभाष पावडे निर्वाचित हुए थे वह रद्द हुआ है. इस कारण सुभाष पावडे का चुनाव लडना मुश्किल हो चुका है.