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जमाकर्ताओं ने जिलाधीश के पास दर्ज करायी शिकायत
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एड. अशोक जैन व एड. ऋषि छाबडा कर रहे पैरवी
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करवा परिवार की संपत्तियों को जप्त करने की उठायी मांग
अमरावती/प्रतिनिधि दि.6 – शहर में करवा इंटेरियर, करवा ईस्टेट कन्सलटन्सी तथा नारायणदास करवा एन्ड कंपनी जैसे प्रतिष्ठित व्यापारिक फर्मों का संचालन करनेवाले करवा परिवार पर 20 जमाकर्ताओं द्वारा आरोप लगाया गया है कि, करवा परिवार ने उनके द्वारा निवेश किये गये 2 करोड 31 लाख रूपयों की रकम डूबो दी है और रकम लौटाने से बचने हेतु करवा परिवार द्वारा विगत कुछ दिनों से अपना दिवाला निकलने का स्वांग किया जा रहा है. इस समय तक यह रकम और उस पर ब्याज की राशि मिलाकर यह भूगतान 3 करोड 13 लाख रूपयों पर पहुंच गया है. ऐसे में निवेशकर्ताओं की रकम लौटाने के लिए महाराष्ट्र जमाकर्ताओं के हितसंबंधों का संरक्षण अधिनियम 1999 तथा अनियमित जमा योजना प्रतिबंध अधिनियम 2019 के तहत करवा परिवार की संपत्तियों को जप्त करते हुए जमाकर्ताओं को उनकी राशि लौटायी जाये.
बता दें कि, शहर के राजापेठ परिसर निवासी विनोद चेतनदास हरवानी, रोहित विनोद हरवानी, रामपुरी कैम्प निवासी भाविका महेश पारवानी, इंदिरा नारायणदास पारवानी, महेश नारायणदास पारवानी, विलास नगर निवासी संजय महावीर पटेल, जवाहर रोड निवासी नंदकिशोर गोपाल पांडे, सहकार नगर निवासी गौतम विनोद आहूजा, हर्षल नरेश आहूजा, विनोद जोधाराम आहूजा, राजापेठ परिसर निवासी जयंत दामोदर पांढरीकर, नासिककर प्लॉट निवासी आत्माराम पोहूमल भारानी, जुना कॉटन मार्केट परिसर निवासी कैलाश सत्यवानदास किंगरानी, सिध्दीविनायक कालोनी निवासी संजय राजकुमार कटियारी, बापु कालोनी निवासी सुनील ब्रिजलाल अडवाणी, सहकार नगर निवासी शोभाराणी नरेशकुमार आहूजा, बापू कालोनी निवासी खुशाल भागचंद अडवाणी, मांगीलाल प्लॉट निवासी सुधीर उमेदराय शाह तथा अंबिकानगर निवासी शंकरलाल खियाराम राजा किंगरानी ने मे. करवा इंटेरियर नामक भागीदारी फर्म के संचालक संदीप विजय करवा, आहूती संदीप करवा, विमल विजय करवा तथा विजय नारायणदास करवा के खिलाफ अपने वकील एड. अशोक जैन व एड. ऋषि छाबडा के जरिये अमरावती के जिलाधीश के समक्ष शिकायत दर्ज करायी है कि, करवा परिवार ने उन्हें अच्छे ब्याजदर के साथ तीन साल में डिपॉझिट की रकम दोगूना होने की योजना का झांसा दिया था. जिसके बाद उन्होंने अपने गाढे मेहनत की कमाई में से बचत की गई 2 करोड 31 लाख रूपयों की रकम करवा परिवार के व्यवसाय में डिपॉझिट के तौर पर निवेश की. किंतु करवा परिवार ने इस रकम को अपने व्यापार में न लगाते हुए कुछ अन्य कामों में लगाया और अब तीन वर्ष की कालावधि बीत जाने के बाद ब्याज सहित रकम वापसी में आनाकानी की जा रही है. अत: जमाकर्ताओं के हित संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत करवा परिवार की संपत्तियों को जप्त करते हुए उन्हें उनकी रकम वापिस लौटायी जाये..