* बढ सकते हैं दाम
अमरावती/ दि. 11- मानसून का विलंब से आगमन और उसके लहरीपन की वजह से इस बार महाराष्ट्र में खरीफ सीजन प्रभावित हुआ है. प्रदेश के कृषि महकमे ने पहली अग्रिम उत्पादन रिपोर्ट में आशंका जताई कि अनाज का उत्पादन 22 प्रतिशत कम हो सकता हैं. यह आंकडा 5 वर्ष के औसत आधार पर निकाला गया हैं. सर्वाधिक उत्पादन दालों का प्रभावित हुआ है. माना जा रहा है कि 35 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है. जिसमें उडद और मूंग की पैदावार आधी भी नहीं रहनेवाली. तिलहन फसलों में भी 8 प्रतिशत की गिरावट का अंदाज हैं.
कृषि विभाग के सहसंचालक विनयकुमार आवटे ने बताया कि जून मेें लगभग पखवाडे भर मानसून विलंब से आया. जुलाई में अतिवृष्टि हो गई. अगस्त मेें फिर लंबा गेप गया. जिससे फलती-फूलती फसल प्रभावित हुई. इसका उत्पादन पर काफी असर होता नजर आ रहा है.
रकबे के हिसाब से प्रदेश में सोयाबीन और कपास इन नकद फसलों का क्षेत्र सर्वाधिक हैं. सोयाबीन से कम क्षेत्र दालों का है. किसानों ने दालों से मुंह मोड रखा है. क्योंकि पिछली बार भारी मात्रा में दालें आयात की गई थी. किसान सभा के अजीत नवले ने यह बात कही और कहा कि ज्वार और बाजरा जैसे मोटा धान को समर्थन मूल्य न बढाए जाने से किसानों ने इन फसलो पर भी ध्यान नहीं दिया. मूंग और उडद का उत्पादन पांच वर्ष की तुलना में सबसे कम होने की आशंका हैं. अनुमान के अनुसार मूंग में 66 % और उडद में 50% उत्पादन कम हो सकता है. तुअर दाल का उत्पादन भी 30 % कम होनेवाला है. सोयाबीन का उत्पादन पांच वर्ष के औसत से केवल 6 % कम होनेवाला हैं. किंतु मूंगफली और सूरजमुखी तथा तिल का उत्पादन काफी कम हो रहा है. बारिश की कमी के कारण ऐसा होने जा रहा.