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अपहृत गोलू की हत्या कर लाश को जला दिया

  •  मप्र के धाबा-चिचठाना के बीच जंगल मे फेंकी लाश

  •  एक माह पूर्व आठवाड़ी बाजार से किया था अपहरण

  •  शराब के नशे में तीन दोस्तो के बीच हुआ था विवाद

  •  दो अलग अलग सीसीटीवी फुटेज से मिला वारदात का सुराग

परतवाड़ा/अचलपुर/प्रतिनिधि दि. 4 – करीब एक माह पूर्व शहर के आठवाड़ी बाजार से जिस गोलू नामक युवक का अपहरण किया गया था, उसकी जघन्य हत्या करने के आरोप में पुलिस ने उसी के दो दोस्तों को कल गिरफ्तार किया है. कल देर शाम परतवाड़ा पुलिस द्वारा जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में गोलू की हत्या किए जाने की जानकारी मीडिया को दी. इस अत्यंत जघन्य और हृदयविदारक हत्याकांड की जांच एपीआई कैलाश घट्टे कर रहे है. परतवाड़ा पुलिस की कस्टडी में जो आरोपी इस वक्त है, उस सचिन लाला भामोरे से कड़ी पूछताछ करने के बाद उसने गोलू उर्फ शे. राशिद शे. यूसुफ का कत्ल करने की कबूली पुलिस को दी. इस कत्ल में बराबर का साथी रहनेवाला सागर सोनोने इस वक़्त अमरावती की सेंट्रल जेल में होने की जानकारी भी मिली है. जल्द ही पुलिस सागर को भी अपने ताबे में लेकर हत्या के हर पहलू की जांच करेगी.
पुलिस से मिली प्राथमिक जानकारी के अनुसार मृतक और अन्य दोनों आरोपी शहर के नामीगिरामी बदमाश हैं. तीनो की आपस में गहरी दोस्ती भी बताई जाती है. शराब पीने के बाद किसी बात को लेकर तीनो में गहरा विवाद हुआ था. उसके बाद सचिन और सागर ने रशीद की हत्या कर दी. साथ ही इस बात का किसी को पता न लगे, इसलिए मृतक रशीद के शव को मध्यप्रदेश के धाबा-चिचठाना के बीच स्थित एक सुनसान जंगल मे ले जाया गया.जहां उसकी लाश को जलाकर एक बोरे में भरकर पानी में फेंक दिया गया था. कल परतवाड़ा पुलिस का दल दिनभर गोलू के शव की तलाश में मप्र के जंगलों को छानता रहा. अथक परिश्रम के बाद पुलिस को बोरे में क्षतविक्षत लाश बरामद करने में सफलता प्राप्त हुई. पिछले माह की तीन तारीख को बैतुल रोड स्थित द्वारका होटल में हुई डकैती और आठवड़ी बाजार से हुआ गोलू के अपहरण की घटना को जोड़ते हुए आखिर पुलिस ने इस पूरे घटनाक्रम का पर्दाफाश कर ही दिया है.

द्वारका बार एंड रेस्टॉरेन्ट में हुई थी लूटमार

डकैती और गोलू उर्फ रशीद के अपहरण की घटना एक ही दिन 3 दिसंबर की ही बताई जा रही है. इस मामले का पर्दाफाश करने में पुलिस को आठवड़ी बाजार से मिले टीवी फुटेज और द्वारका होटल के सीसीटीवी फुटेज से काफी मदद मिली. आठवड़ी बाजार के फुटेज में गोलू, सागर और सचिन एक साथ नजर आ रहे हैं, जबकि द्वारका के फुटेज में लूटमार करते हुए सिर्फ सचिन और सागर ही नजर आए. अनुमान है कि पहले हुई शराब बैठक के बाद दोनों ने गोलू का जबरिया अपहरण कर उसकी हत्या कर दी. लाश को मप्र में ठिकाने लगाकर आने के बाद दोनों द्वारका में आकर पुनः शराब पीने लगे. यहां दोनों ने बिल देने के बहाने जानबूझकर जमकर तोड़फोड़ की और गल्ले को लूट लिया. द्वारका की यह लूटमार ही इसलिए की गई थी, ताकि किसी को उन पर गोलू की हत्या का शक ना हो. लेकिन इस पूरी शातिराना ड्रामेबाजी की पोल सीसीटीवी के फुटेज ने खोल दी और अंततः अपहरण और हत्या का राज खुल गया.
इस पूरे मामले में गोलू उर्फ रशिद की अम्मी जुबैदाबानो शे यूसुफ (60, हीरापुरा, अचलपुर) की भी महत्वपूर्ण भूमिका रही है. 15 दिसंबर को उन्होंने अचलपुर पुलिस स्टेशन में अपने पुत्र रशीद के 3 दिसंबर से घर ना आने और लापता होने की शिकायत दर्ज कराई थी. अचलपुर पुलिस की जांच में यह बात सामने आई कि 3 दिसंबर को परतवाड़ा के आठवड़ी बाजार से संशयास्पद सचिन लाला और उसके एक साथी के साथ रशीद बाइक पर कही गया था. 26 दिसंबर को पुनः जुबैदबानो ने परतवाड़ा थाने में शिकायत दी कि सचिन और उसके साथी यह गोलू को लेकर गये और उसे छुपाकर रखा है. गोलू की जान को खतरा होने की बात भी शिकायत में बताई गई थी. परतवाड़ा पुलिस ने शिकायत के आधार पर भादंवि 364 का अपराध दर्ज किया था. अब इस मामले में पुलिस की संयुक्त टीम ने अपनी जांच में तेजी ला दी थी. गोलू का लापता होना, गोलू का 3 दिसंबर को फुटेज में दिखाई देना और इसी दिन द्वारका होटल में डकैती होने में पुलिस को काफी समानता नजर आने लगी. इसी कड़ी के जुड़ने के बाद परतवाड़ा पुलिस ने द्वारका डकैती मामले को लेकर अमरावती जेल में बंद सचिन को कोर्ट की अनुमति से कल हिरासत में लिया और कड़ी पूछताछ की. कल रविवार को मप्र के घटनास्थल पर पहुंचकर पुलिस दल ने मृतक गोलू के बोरे में बंद अवशेष बरामद किए. डॉक्टरी जांच में प्राथमिक मुआयना करने के बाद लाश के सभी अवशेष फॉरेंसिक लैब को भेज दिए गए है. कल सचिन भामोरे को न्यायालय में उपस्थित किया गया, जहां से उसे कल 5 जनवरी तक पुलिस कस्टडी में रखने का आदेश मिला है.

परतवाड़ा थाने में अंधेरगर्दी

इस संपूर्ण प्रकरण में स्थानीय अपराध शाखा, अचलपुर पुलिस और परतवाड़ा पुलिस की संयुक्त भूमिका रही है. पूरे प्रकरण में पुलिस विभाग का आपस मे तालमेल ना होने से मीडियाकर्मियों को आवश्यक जानकारी के लिए काफी परेशानी का सामना झेलना पड़ रहा था, यह विशेष उल्लेखनीय है. द्वारका होटल में हुई लूटमार की घटना से लेकर गोलू हत्याकांड तक परतवाड़ा पुलिस स्टेशन से कोई भी अधिकृत जानकारी मीडिया को नही दी गई. किसी पत्रकार के फोन करने पर उसे टाल-मटोल उत्तर दिए जाते है. यहां कोई अधिकृत जवाब देनेवाला कर्मचारी या अधिकारी कभी मौजूद नहीं रहता. मीडियाकर्मी के प्रत्यक्ष थाने में जाने के बाद भी उसे व्यवस्थित ढंग से जानकारी नही दी जाती. इससे पूर्व भी अनेक केसेस में परतवाड़ा पुलिस की लापरवाही देखने को मिली है. थानेदार सदानंद मानकर नही होने के बाद पुलिसकर्मी कभी भी किसी पत्रकार को सही और विश्वसनीय जानकारी नही दे रहे है. दुय्यम फौजदार, एपीआई अथवा केस के जांच अधिकारी पत्रकारो से ऐसे पेश आते हैं कि वो बहुत-बहुत बिजी हैं और पत्रकार बिल्कुल ही फालतू है. पुलिस अधीक्षक डॉ. हरि बालाजी से अपेक्षा की जाती है कि वे परतवाड़ा पुलिस को मीडिया से पेश आने की ‘एनसी’ स्टाइल में समझाइश दे. इसी परतवाड़ा पुलिस को जब कोई फालतू जुगार केस, देशी-विदेशी शराब पकड़ने अथवा प्रतिबंधक गुटखा पकड़ने जैसे साधारण केस की जानकारी देनी रहती है, तब वो मीडिया को बुला-बुलाकर और अपने पूरे दल के साथ फोटो खिंचवाकर खुद ही जानकारी देती है. सो, मीडिया भी फालतू नही है, इसका परतवाड़ा पुलिस भी ध्यान रखे, तो बेहतर होगा.

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