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अंतिम आरोपपत्र तक रहना होगा जेल में
अमरावती/प्रतिनिधि दि.6 – स्थानीय पुराना बायपास रोड स्थित होटल लॉर्डस को 31 दिसंबर 2019 के तडके 4.30 बजे पेट्रोल छिडककर आग लगा देने के मामले में धरे गये किशोर सरदार नामक आरोपी दायर की गई जमानत अर्जी को जिला व सत्र अदालत (तृतीय) के न्या. निखिल मेहता द्वारा खारिज कर दिया गया है. इस समय अदालत ने अभियोजन पक्ष की दलील को स्वीकार करते हुए कहा कि, इस मामले में पुलिस द्वारा जांच पश्चात अंतिम आरोपपत्र दायर करने तक आरोपी किशोर सरदार को जेल में ही रहना होगा.
बता दें कि, स्थानीय पुराना बायपास रोड स्थित होटल लॉर्डस में नववर्ष की पूर्व संध्या से कुछ समय पूर्व 31 दिसंबर को तडके 4.30 बजे भीषण आग लग गयी थी. जिसमें होटल की निचली और पहली मंजील सहित होटल का लॉन पूरी तरह से जलकर खाक हो गये थे. जिसमें इस होटल का करीब 2 करोड रूपयों का नुकसान हुआ था. यह आग कैसे लगी, इसे लेकर लंबे समय संदेह बरकरार रहा और होटल के नूतनीकरण के समय होटल के पिछले हिस्से में कचरे के ढेर से मिले सीसीटीवी कैमेरा फुटेज रिकॉर्डर की वजह से इस अग्निकांड का राजफाश हुआ था. इस सीसीटीवी फुटेज में होटल का पूर्व कर्मी अभिजीत कावले घटनावाली रात होटल में घुसता हुआ दिखाई दिया. जिसे पुलिस ने विगत माह गिरफ्तार किया था. पश्चात उसके द्वारा दिये गये बयान के आधार पर नारायण तलरेजा एवं किशोर सरदार भी पकडे गये. वहीं इस मामले में पिंट्या बनसोड नामक चौथा आरोपी भी नामजद किया गया. जिसने नागपुर हाईकोर्ट से अंतरिम जमानत हासिल कर रखी है. वहीं नारायण तलरेजा को स्थानीय अदालत से तडीपारी की शर्त पर जमानत मिली है. इसके अलावा विगत सप्ताह हिरासत में लिये गये किशोर सरदार की पीसीआर अवधि खत्म होने के बाद उसे न्यायिक हिरासत के तहत जेल भेजा गया था. जहां से उसने जमानत हेतु जिला व सत्र न्यायालय में अर्जी लगायी थी. इस जमानत याचिका पर शुक्रवार 6 नवंबर को न्या. निखिल मेहता की अदालत में सुनवाई हुई. जहां पर सरकार की ओर से एड. दीपक अंबालकर एवं पीडित पक्ष की ओर से एड. दीप मिश्रा तथा आरोपी किशोर सरदार की ओर से एड. चिराग नवलानी ने युक्तिवाद किया. वहीं इस मामले में पुलिस द्वारा गत रोज ही अपना से दाखिल किया गया था. इस समय अभियोजन पक्ष व पीडित पक्ष की ओर से आरोपी को जमानत देने का पूरजोर विरोध करते हुए जमकर युक्तिवाद किया गया. साथ ही उसके अपराधिक रिकॉर्ड का ब्यौरा अदालत के समक्ष पेश करते हुए कहा कि, आरोपी को जमानत देने से वह पुलिस की जांच को प्रभावित कर सकता है तथा पीडित पक्ष को धमका सकता है. अपनी इस दलील को लेकर अभियोजन पक्ष द्वारा अदालत के समक्ष सुप्रीम कोर्ट के कई फैसलों का हवाला भी दिया गया. जिन्हें ग्राह्य मानते हुए अदालत ने आरोपी किशोर सरदार को जमानत देने से इन्कार कर दिया और उसे इस मामले में पुलिस जांच के बाद अंतिम आरोपपत्र दायर होने तक जेल में ही रखने का आदेश जारी किया.