कोतवाली पुलिस ने जिला बैंक से मांगे जरुरी कागजात
100 पन्ने की ‘ऑडिट रिपोर्ट’ में पायी गई अनेकों अनियमितता
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निवेश में कितना लाभ हुआ ‘कॉस्ट बेनिफिट रेशो’ नहीं निकाला
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पुलिस आयुक्त के निर्देश पर आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जाएगी जांच
अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – अमरावती जिले में किसानों की अपनी बैंक के रुप में पहचान रखने वाली अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के पूर्व संचालक मंडल ने अपने कार्यकाल में पिछले 10 वर्षों में लिये गए निर्णय व किये गए आर्थिक व्यवहारों का ऑडिट किया गया है. लगभग 100 पन्ने की यह ऑडिट रिपोर्ट बैंक पर नियुक्त प्रशासक सतीश भोसले को सौंपी जाने के बाद प्रशासक भोसले ने रिपोर्ट के आधार पर बैंक में पिछले दिनों यानी 2017 से 2020 के बीच हुए व्यवहारों में आरबीआई के दिशा निर्देशों का उल्लंघन होने का आरोप करते हुए सिटी कोतवाली पुलिस थाने में पिछले सप्ताह एक एफआईआर दाखिल किया है. प्रशासक भोसले ने इस शिकायत में बैंक के सीईओ जे.सी.राठोड समेत मुख्य इन्व्हेस्टमेंट ऑफिसर व दो कर्मचारियों पर बैंक के संचालक मंडल को अंधेरे में रखकर व्यवहार करने का आरोप किया है. इस रिपोर्ट पर कोतवाली पुलिस ने 2017 से 2020 के बीच हुए कुछ व्यवहारों के कागजात बैंक को मांग है. खबर है कि 2 दिन पहले बैंक के अधिकारियों ने कोतवाली के थानेदार राहुल आठवले से भेंट कर उन्हें जल्द ही यह कागजात सौंपने की बात कही है. उसके बाद कोतवाली पुलिस यह रिपोर्ट पुलिस आयुक्त को सौंपेगी और पुलिस आयुक्त के आदेश पर इस मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा को सौंपी जाएगी.
इसी बीच जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक पर नियुक्त किये गए प्रशासक व्दारा कोतवाली पुलिस थाने में जो ऑडिट रिपोर्ट दाखिल की है, उसकी समरी ‘दैनिक अमरावती मंडल’ के हाथ लगी है. जिसमें यह स्पष्ट होता है कि यह ऑडिट 1 अप्रैल 2017 से 31 दिसंबर 2020 के बीच हुए बैंक के आर्थिक व्यवहारोें पर किया गया है. यह ऑडिट बैंक का ‘इनव्हेस्टमेंट ऑडिट’ किया गया है. जिसमें यह पाया गया है कि निवेश अंकेक्षण करते समय बैंक की कई बार अनियमितता पायी गई, संचालक मंडल ने नॉन एसएलआर निवेश संबंध में किसी भी ब्रोकर की नियुक्ति नहीं की. किंतु व्यवहारों के रसिदों की जांच करने पर उसपर ब्रोकर कोड का उल्लेख पाया गया, निवेश नीति के अनुसार नॉन एसएलआर निवेश संबंध में मुख्य कार्यकारी अधिकारी को अधिकार प्रदान किये गए, दैनदिन निवेश अप्रायझर व उस पर मिला हुआ लाभ मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने मंजूर किया है, विशेष यह कि निवेश संबंधी व्यवहार में बैंक ने नाबार्ड व आरबीआई के परिपत्रक के नियम व शर्तों का पूरी तरह से उल्लंघन किया है, बैंक ने 31 मार्च 2020 को 14314.19 इतनी रकम का निवेश किया, जिसकी मार्केट व्हैल्यू 13407.45 है. इस व्यवहार में 906.74 इतना फर्क पाया गया है. इस फर्क की रकम को नफे में दिखाना जरुरी रहते हुए भी वह न दिखाते हुए ज्यादा दिखाई. इसी तरह बैंक का वैधानिक अंकेक्षण बाबत ऑडिट में कही पर भी उल्लेख नहीं किया गया, इसी तरह नॉन एसएलआर निवेश में भी आरबीआई की सूचना का उल्लंघन किया गया है, नियम के अनुसार बैंक के पास जितनी डिपॉजिट है, उसमें मात्र 10 प्रतिशत रकम बैंक निवेश कर सकती है. जिसके तहत 31 दिसंबर 2020 को बैंक का डिपॉजिट 208786.30 इतना है. जिसमें निवेश की वैधानिक मर्यादा 10 प्रतिशत यानी 16660.37 है. नॉन एसएलआर निवेश की मर्यादा 75539.43 इतनी है. इसकी तुलना में 58879.06 इस तरह का ज्यादा निवेश बैंक ने किया है. यह करते समय निवेश पॉलिसी का उल्लंघन करने की बात इस ऑडिट में स्पष्ट की गई है. किये हुए निवेश पर सचमूच कितना लाभ मिलेगा, इस बाबत कॉस्ट बेनिफिट रेशो नहीं निकाला गया. इस ऑडिट में यह भी कहा गया है कि रिलायन्स निप्पान में किये गए निवेश पर बैंक ने 12 अगस्त 2020 की निवेश सभा में 12.70 प्रतिशत लाभ (परतावा) दिखाया. किंतु प्रत्यक्ष में उसपर 5.22 प्रतिशत लाभ प्राप्त हुआ. बैंक को डेस्ट फंड में निवेश जरुरी रहते समय इक्विटी मार्केट में रकम निवेश की. इसी तरह नॉन एसएलआर निवेश करते समय बैंक ने आरबीआई व नाबार्ड के मार्गदर्शक सूचनाओं का पालन नहीं किया, आदि सभी मुद्दें निवेश अंकेक्षण रिपोर्ट में स्पष्ट किये गए है.
विशेष यह कि जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक यह किसानों की अपनी बैंक समझी जाती है. अमरावती जिले के लाखों किसान इस बैंक के खातेदार है, हजारों सदस्य है. इन जरुरतमंद किसानों को कर्ज के रुप में यह रकम देकर बैेंक उनसे मिलने वाले ब्याज पर अपना लाभ भी बढा सकती थी. किंतु ऐसा न करते हुए जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक ने 700 करोड का निवेश म्युच्यूअल फंड में किया था. निप्पान इंडिया म्युच्यूअल फंड कंपनी में निवेश करते समय बैंक के सीईओ जे.सी.राठोड ने अहम भूमिका निभाई. उन्होंने निप्पान इंडिया कंपनी के ब्रोकर पुरुषोत्तम रेड्डी से भी पत्र व्यवहार किया. इस तरह के अनेकों अनियमितता इस ऑडिट में पायी गई है. इस कारण जिला मध्यवर्ती बैंक ने पिछले 10 वर्षों में हुए आर्थिक व्यवहारों की जांच की मांग किसानों ने की थी. पिछले माह किसानों ने इसी मुद्दें पर जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के मुख्यालय के सामने अनशन की चेतावनी दी थी, लेकिन कोरोना महामारी के चलते सरकार व्दारा जारी कडे निर्बंध के कारण जिलाधिकारी व पुलिस प्रशासन ने इन किसानों को अनशन की अनुमति नहीं दी थी, यह विशेष.
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चुनाव से पहले बैंक के खिलाफ शिकायत
विशेष यह कि विभागीय निबंधक ने जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक का चुनावी कार्यक्रम घोषित कर दिया है. इस कारण जहां एक ओर जिला मध्यवर्ती बैंक के पूर्व संचालक मंडल व उनके विरोधियों के बीच राजनीतिक माहौल तेज हो चुका है. वहीं बैंक पर नियुक्त प्रशासक सतीश भोसले व्दारा 2017 से 2020 के बीच बैंक के हुए आर्थिक व्यवहारों की ऑडिट रिपोर्ट के साथ कोतवाली थाने में शिकायत दर्ज किये जाने के कारण सहकार क्षेत्र में खलबली मची हुई है. किंतु जहां एक ओर विभागीय निबंधक ने जिला बैंक का चुनाव कार्यक्रम घोषित किया है, वहीं दूसरी ओर राज्य सरकार ने मात्र कोरोना के बढते संक्रमण के चलते 31 अगस्त 2021 तक सभी चुनाव पर रोक लगा दी है.