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स्कायवॉक के लिए जिलाधीश से मांगी जायेगी जमीन

  • सिडको के कार्यकारी अभियंता जामनीकर ने दी जानकारी

  • सिडको के 1.93 करोड रूपये बचेंगे

  •  40 वर्षों से खाली पडी है जमीन

  • वायरलेस सेंटर ने अपनी जगह पुलिस विभाग का रेस्टहाउस बनाने दी

चिखलदरा/प्रतिनिधि दि.13 – सिडको एवं पुलिस वायरलेस सेंटर के बीच जमीन को लेकर चला आ रहा विवाद सुलझने का नाम नहीं ले रहा. जिसकी वजह से देश के सबसे पहले स्कायवॉक का काम बंद पडा हुआ है. इस संदर्भ में प्रस्तुत प्रतिनिधि द्वारा जब मामले की तह तक जाकर इस जमीन का पीआर कार्ड हासिल किया गया, तो सामने बेहद चौंकानेवाली जानकारी सामने आयी है. जिसमें पता चला है कि, आज जिस जमीन पर पुलिस का वायरलेस सेंटर है, वह जमीन हकीकत में सरकार की ही थी. जिसे तत्कालीन जिलाधीश ने वायरलेस सेंटर हेतु एक कमरा बनाने और एक टॉवर स्थापित करने हेतु आवंटित की थी. आज से 40 साल पहले यानी वर्ष 1980 में आवंटित की गई इस चार एकड जमीन का अधिकांश हिस्सा अब तक खाली है. जिसमें से पुलिस वायरलेस सेंटर ने वरिष्ठाधिकारियोें के मौखिक आदेश पर कुछ हिस्सा पुलिस विभाग के रेस्ट हाउस के लिए दे दिया था. लेकिन इसका पीआर कार्ड में कहीं कोई उल्लेख ही नहीं है. और इसी रेस्ट हाउस की मांग को लेकर पुलिस वायरलेस सेंटर द्वारा स्कायवॉक के टॉवर का केबल बांधने हेतु सिडको को जमीन उपलब्ध नहीं करायी जा रही.
वहीं अब उक्त जमीन का पीआर कार्ड प्राप्त हो जाने के बाद सिडको के कार्यकारी अभियंता देवेंद्र जामनीकर ने कहा कि, चूंकि यह जमीन सरकारी है और प्रोजेक्ट भी सरकारी है. ऐसे में अब सिडको द्वारा जिलाधीश से जमीन के अधिग्रहण हेतु निवेदन किया जायेगा, क्योेंकि विगत 40 वर्षों से खाली पडी जमीन को दुबारा अधिग्रहित करने का अधिकार खुद जिलाधीश के पास है.
यहां यह विशेष उल्लेखनीय है कि, दैनिक अमरावती मंडल द्वारा इस विषय को लेकर लगातार समाचार प्रकाशित किये जा रहे है. जिसके तहत इस मामले से जुडे तमाम सच को उजागर किया जा रहा है, ताकि विदर्भ के एकमात्र पर्यटन स्थल चिखलदरा में देश का पहला तथा एशिया का तीसरा स्कायवॉक साकार हो सके.

 

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पुलिस वायरलेस सेंटर की एनओसी नहीं मिलने की वजह से स्कायवॉक का काम रूका पडा है. ऐसे में हम जिलाधीश से स्कायवॉक के लिए जगह उपलब्ध कराने की मांग करेंगे. इसके अलावा हमें मंत्रालय स्तर से प्रादेशिक वनविभाग की एनओसी भी चाहिए है. जिसके लिए प्रयास जारी है. साथ ही दूसरी एनओसी वाईल्ड लाईफ से प्राप्त करना है. जिसकी फाईल नागपुर से त्रृटी के चलते वापिस आयी है. इसमें अब छह माह का समय लग सकता है.
– देवेंद्र जामनीकर
कार्यकारी अभियंता, सिडको, चिखलदरा.

 

यह अपने आप में बेहद दु:खद है कि, पर्यटन के लिहाज से चिखलदरा की शान बढानेवाले ऐतिहासिक स्कायवॉक का काम पुलिस वायरलेस सेंटर की अडियल भुमिका की वजह से रूका पडा है. ऐसे में चिखलदरा नगर परिषद को चाहिए कि, एक प्रस्ताव पारित करते हुए इस जगह को अपने कब्जे में ले लिया जाये, ताकि वहां पर स्कायवॉक के लिए केबल डालने के साथ ही शेष खाली रहनेवाली जमीन पर पर्यटकों के लिए पार्किंग की व्यवस्था उपलब्ध करायी जा सके.
– रूपेश चौबे
पूर्व उपाध्यक्ष, चिखलदरा नगर परिषद

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