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पिछले बार भी जिला बैंक में आसान नहीं थी सत्ता की राह

 देशमुख जगताप के पैनल को परिवर्तन ने दी थी कडी टक्कर

  • सहकार के 12 व परिवर्तन के 11 संचालक चुने गये थे

  • एक निर्दलीय संचालक के समर्थन पे सरकार को मिली थी सत्ता

  • मजबूत विपक्ष के सामने देशमुख गुट ने 10 वर्ष किया राज

  • एक बार फिर कांटे का मुकाबला होना तय, बिसात बिछी

  • परिवर्तन के 10 संचालक उतरे प्रचार के लिए मैदान में

अमरावती/प्रतिनिधि दि.14  -आगामी 4 अक्तूबर को अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के संचालक मंडल हेतु चुनाव होने जा रहा है. यह चुनाव करीब 11 वर्ष के अंतराल पश्चात होने जा रहा है और विगत 10 वर्ष तक बैंक की सत्ता संभाल चुके सहकार पैनल द्बारा एक बार फिर बैंक की सत्ता को काबिज करने हेतु अपने प्रत्याशी मैदान में उतारे जा रहे है. वहीं परिवर्तन पैनल द्बारा भी पिछली बार की तरह इस बार भी सरकार पैनल को कडी टक्कर देने की पूरी तैयारी की जा रही है.
बता दें कि, इससे पहले जिला बैंक के चुनाव वर्ष 2010 में हुए थे और उस समय 24 सदस्यीय संचालक मंडल के लिए चुनाव हुआ था. उस समय बबलू देशमुख व विरेंद्र जगताप के नेतृत्व में सहकार पैनल ने अपने उम्मीदवार चुनावी मैदान उतारे थे. वहीं सहकार पैनल के खिलाफ परिवर्तन पैनल ने सभी सीटों पर चुनाव लडा था. वर्ष 2010 के चुनाव में सहकार पैनल के कुल 12 संचालक निर्वाचित हुए थे. वहीं सहकार पैनल को कडी टक्कर देते हुए परिवर्तन पैनल के 11 उम्मीदवारों ने संचालक पद का चुनाव जिता था. इस बात से सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि, चुनाव कितनी कडी टक्कर का हुआ था और चुनावी नतीजे भी किस कदर ‘कट टू कट’ थे. उस समय रविंद्र गायगोले बतौर निर्दलिय प्रत्याशी इस चुनाव में विजयी हुए थे. जिन्होंने देशमुख व जगताप के नेतृत्व वाले सहकार पैनल को अपना समर्थन दिया था. जिसके चलते 24 सदस्यीय संचालक मंडल में 13 सदस्य रहने की वजह से सहकार पैनल बहुमत में आ गया और सत्ता देशमुख गुट को मिली. साथ ही महज 1 वोट के फर्क से हासिल की गई. यह सत्ता अगले 10 वर्ष तक देशमुख गुट के पास कायम रही. क्योंकि कालांतर में बैंक के चुनाव को लेकर लंबी कानूनी लडाई चली. जिसकी वजह से वर्ष 2015 में बैंक के चुनाव नहीं कराये जा सके और वर्ष 2010 में निर्वाचित संचालक ही आगे भी कायम रहे. ऐसे में बैंक की सत्ता देशमुख व जगताप गुट के पास 10 वर्ष तक बनी रही.
किंतु अब बैंक के चुनाव को लेकर कानूनी लडाई पूर्ण हो चुकी है और सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर राज्य सरकार निर्वाचन प्राधिकरण द्बारा जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक में चुनाव कराये जा रहे है. जिसके चलते एक बार फिर सहकार पैनल और परिवर्तन पैनल एक दुसरे के खिलाफ आमने सामने है. साथ ही परिवर्तन पैनल की ओर से इस बार बैंक की सत्ता में परिवर्तन करने के पुरजोर प्रयास भी किये जा रहे है. इसके तहत विगत कार्यकाल में बैंक के संचालक मंडल में शामिल रहे परिवर्तन पैनल के दसों संचालक इस बार भी परिवर्तन पैनल के चुनाव प्रचार की कमान संभाल रहे है. यद्यपि इनमें से कई संचालक अब खुद चुनावी मैदान में नहीं है. किंतु वे बैंक की सत्ता में परिवर्तन करने के लिए पूरी तरह से कृत संकल्प है.
यहा यह भी विशेष उल्लेखनीय है कि, विगत 10 वर्ष के दौरान बैंक के 2 संचालकों का निधन हो चुका है. जिनमें सहकार पैनल की ओर से संचालक रहे सुरेशराव महल्ले (धामणगांव रेलवे) तथा परिवर्तन पैनल की ओर से संचालक रहे नानासाहेब देशमुख (चांदूर बाजार) का समावेश था. वहीं अब बैंक के संचालक मंडल की संख्या 21 कर दी गई है और 21 सीटों पर चुनाव होने जा रहा है. ऐसे में इस बार संचालक मंडल की सदस्य संख्या विषम रहने के चलते ‘50-50’ होने अथवा ईश्वर चिट्ठी कराये जाने की नौबत ही नहीं आएगी. अलबत्ता किसी भी एक सीट पर कोई निर्दलिय प्रत्याशी विजयी हो जाने पर उसका समर्थन काफी अमुल्य रहेगा. क्योंकि उस एक संचालक के समर्थन से बैंक की दशा व दिशा तय होगी. ऐसे में जहा एक ओर सहकार पैनल द्बारा एक बार फिर बैंक की सत्ता को काबिज करने हेतू एडी चोटी का जोर लगाया जा रहा है. वहीं परिवर्तन पैनल द्बारा इस बार अधिक से अधिक सीटों पर जीत हासिल करते हुए बैंक की सत्ता हासिल करने और इस बार बैंक की दशा व दिशा में परिवर्तन करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है.

  • वर्ष 2010 में किस पैनल के कितने संचालक

– सहकार पैनल
उत्तरा जगताप
बबलू देशमुख
प्रविण काशिकर
सुधाकर भारसाकले
प्रकाश भारसाकले
श्रीनिवास देशमुख
पुरुषोत्तम अलोणे
जयराम काले
संजय वानखडे
सुभाष पावडे
जयप्रकाश पटेल
सुरेश महल्ले (निधन)
रविंद्र गायगोले (निर्दलिय)

– परिवर्तन पैनल
नरेशचंद्र ठाकरे
अजय पाटील
आनंद साबले
नितीन हिवसे
अभिजित पाटील
सुरेश साबले
प्रदीप निमकर
अशोक रोडे
अनुराधा वराडे
निवेदिता चौधरी
नानासाहब देशमुख (निधन)

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