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ग्राहकों की सुरक्षा भगवान भरोसे
अमरावती/प्रतिनिधि दि.2 – विगत दिनों राजापेठ पुलिस थाने के ठीक सामने स्थित होटल इम्पिरिया में लगी आग के दौरान होटल में भर गये जहरीले धुएं में दम घुटने की वजह से नागपुर निवासी दिलीप ठक्कर की जान चली गई. पता चला है कि, इस होटल में अग्निरोधी व्यवस्था नहीं थी और होटल संचालक द्वारा इसे लेकर लापरवाही बरती गई. जिसके चलते होटल इम्पिरिया के संचालक के खिलाफ अपराध दर्ज किया गया, लेकिन बात केवल इतने पर ही खत्म नहीं हो जाती, क्योेंकि शहर में अब भी ऐसे कई होटल व लॉज है, जिनका फायर ऑडिट अब तक नहीं हुआ है. ऐसे में यदि इस घटना की दुबारा पुनरावृत्ति होती है, तब भी कुछ लोगों की जान जा सकती है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, शॉर्टसर्किट अथवा अन्य किसी वजह से शहर के होटल व लॉज कभी भी ‘लाक्षागृह’ बन सकते है तथा इन होटलों व लॉज में रूकनेवाले लोगोें की सुरक्षा को फिलहाल भगवान भरोसे कहा जा सकता है.
सबसे सनसनीखेज जानकारी यह सामने आयी है कि, मनपा के बाजार परवाना विभाग के पास दर्ज आंकडों के मुताबिक अमरावती शहर में कुल 130 बडे होटल व लॉज है. जिसमें से केवल 7 होटल व लॉज का ही फायर ऑडिट हुआ है. जिन्हें मनपा के अग्निशमन विभाग की ओर से अपना ‘ना-हरकत’ प्रमाणपत्र दिया गया है. वहीं शेष 123 होटलों व लॉज द्वारा अब तक अपना फायर ऑडिट ही नहीं करवाया गया है. जिनमें शहर के कुछ स्वयंघोषित ‘स्टार’ मानांकित होटलों का भी समावेश है. ऐसे में सवाल पूछा जा सकता है कि, क्या इन होटलों के संचालकों तथा मनपा प्रशासन के बीच कोई आपसी मिलीभगत या फिर वे किसी और बडी दुर्घटना या हादसे के घटित होने का इंतजार कर रहे है. वहीं हकीकत यह है कि, अमरावती शहर में केवल 130 नहीं बल्कि 400 से अधिक होटल व लॉज चल रहे है. जिनकी जानकारी बाजार परवाना विभाग के पास नहीं है और इन होटलों व लॉज के पास अग्निशमन विभाग का ना-हरकत प्रमाणपत्र भी नहीं है. ऐसे में कहा जा सकता है कि, ये होटल व लॉज किसी भी समय लाक्षागृह की तरह धधक कर इनमें रूकनेवाले यात्रियों के लिए काल कोठरी बन सकते है.
होटल इम्पिरिया में लगी आग के बाद की गई जांच-पडताल में पता चला कि, पहली मंजील में स्थित इस होटल में कुल 13 कमरे है. जिनमें सूर्य प्रकाश आने का कोई रास्ता नहीं है और वेंटिलेशन की भी कोई सुविधा नहीं है. साथ ही पहली मंजील पर स्थित इस होटल पर पहुंचने हेतु सीढी से बेहद सकरा रास्ता है और इमरजन्सी एक्झिट यानी आपातकालीन निकासी की कोई व्यवस्था भी नहीं है. ऐसे में सबसे बडा सवाल यह है कि, इस तरह के बहद ‘कंजस्टेड’ होटल को मनपा द्वारा अनुमति कैसे दी गई.
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अनिवार्य होता है फायर ऑडिट
शहर के सभी होटल, लॉज, रेस्टॉरेंट, परमीट रूम व बीयरबार के लिए अपना फायर ऑडिट करवाना बेहद अनिवार्य किया गया है. इस हेतु 6 दिसंबर 2008 से महाराष्ट्र आग प्रतिबंधक व जीवन संरक्षक उपाय योजना अधिनियम 2006 व नियम 2009 को लागू किया गया है. जिसके तहत सभी सरकारी कार्यालयो, होटल, लॉज, रेस्टॉरेंट, बीयरबार, अस्पताल, बहु मंजिला शैक्षणिक इमारत, शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, मॉल, व्यवसायिक संकुल, नाट्यगृह, सिनेमा गृह, मंगल कार्यालय, औद्योगिक इमारत, गोदाम तथा सभी तरह के संमिश्र प्रयोग में लायी जानेवाली इमारतों में अग्नि प्रतिबंधक व्यवस्था उपलब्ध कराना अनिवार्य किया गया है. साथ ही साथ इन इमारतों में काम करनेवाले स्टाफ को आग सहित किसी भी आपात स्थिति से निपटने का प्रशिक्षण भी दिया जाना चाहिए. किंतु पता चला है कि, होटल इम्पिरिया के इलेक्ट्रीक पैनल में आग लगने के बाद होटल के स्टाफ में बदहवासी मच गई. होटल में अग्निरोधक यंत्र यानी फायर एक्सिटिंगविशर उपलब्ध रहने के बावजूद होटल के स्टाफ को यह पता ही नहीं था कि, उसका प्रयोग कैसे किया जाता है. ऐसे में जब तक मनपा का दमकल दस्ता मौके पर नहीं पहुंचा, तब तक आग धधकती रही और फैलती भी रही. पश्चात दमकल विभाग के कर्मचारियों ने होटल इम्पिरिया पहुंचकर वहां पर लगे अग्निशमन यंत्रों का भी प्रयोग किया, लेकिन तब तक धुएं की वजह से दम घुटने के चलते नागपुर निवासी दिलीप ठक्कर की मौत हो गई थी.
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सांप निकल जाने पर लाठी पीट रहा मनपा प्रशासन
शहर के सभी व्यवसायिक आस्थापनाओं व बहुमंजिला इमारतों के लिए फायर ऑडिट करवाना अनिवार्य रहने के बावजूद शहर में कई ऐसे व्यापारिक प्रतिष्ठान एवं आस्थापनाएं है, जिनका फायर ऑडिट नहीं हुआ है. किंतु इसके बावजूद मनपा प्रशासन द्वारा इसे कभी गंभीरता से नहीं लिया गया. इससे पहले जब गुजरात के सूरत में स्थित कोचिंग क्लास में आग लगी थी, तब मनपा प्रशासन द्वारा शहर के सभी कोचिंग क्लासेस की जांच-पडताल व ऑडिट करना शुरू किया गया था. वहीं भंडारा के सरकारी अस्पताल में आग लगने की वजह से कुछ नवजात बच्चों की मौत होने की घटना सामने आने पर मनपा प्रशासन द्वारा शहर के सभी अस्पतालों को अपनी जांच पडताल के निशाने पर लिया गया. ठीक उसी तरह विगत तीन दिन के दौरान घटित दो अग्निकांड के बाद निश्चित तौर पर अब एमआयडीसी परिसर स्थित कारखानों तथा शहर में स्थित होटलों व लॉज की जांच-पडताल व फायर ऑडिट का दौर शुरू होगा. किंतु सवाल यह है कि, प्रशासन हर बार सांप निकल जाने के बाद ही लाठी क्यों पिटता है. जब पहले से नियम लागू है और नियमोें के पालन की अनिवार्यता भी है, तो प्रशासन द्वारा उस पर कडाई से अमल को प्राथमिकता क्यों नहीं दी जाती और हर बार किसी हादसे के घटित होने का इंतजार क्यों किया जाता है. यदि प्रशासन द्वारा लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए पहले से ही फायर ऑडिट एवं अग्निशमन विभाग के ना-हरकत प्रमाणपत्र को लेकर गंभीरता बरती जाती, तो शायद होटल इम्पिरिया को मनपा की ओर से आस्थापना के तौर पर अनुमति ही नहीं मिलती और दिलीप ठक्कर नामक व्यक्ति की मौत भी नहीं होती. ऐसे में मनपा प्रशासन को चाहिए कि, इस एक घटना और एक मौत को सबक के तौर पर लेते हुए अमरावती शहर में सभी व्यवसायिक प्रतिष्ठानों व आस्थापनाओं का जल्द से जल्द फायर ऑडिट करवाया जाये और इसमें किसी भी तरह की कोई कोताही या मुरव्वत न की जाये, क्योंकि यह लोगों की जिंदगी की सुरक्षा से जुडा मसला है.
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आयुक्त प्रशांत रोडे ने जारी किये सख्त निर्देश
– फायर ऑडिट के लिए विशेष पथक गठित
वहीं जारी सप्ताह में तीन दिन के दौरान घटित दो भीषण अग्निकांड को ध्यान में रखते हुए मनपा आयुक्त प्रशांत रोडे ने शहर में फायर ऑडिट का अभियान कडाई से चलाने हेतु मनपा अधिकारियों का समावेश रहनेवाला एक विशेष पथक गठित किया है. साथ ही सभी होटल, रेस्टॉरेंट, कोचिंग क्लासेस, अस्पताल, शॉपिंग मॉल व बहुमंजिला इमारतों का तुरंत प्रभाव से फायर ऑडिट करने के निर्देश जारी किये है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, फायर ऑडिट में पायी जानेवाली किसी भी तरह की त्रृटी को स्वीकार नहीं किया जायेगा और उसे तुरंत दुरूस्त करना होगा. साथ ही इसके लिए संबंधितों के खिलाफ आवश्यक कार्रवाई भी की जायेगी.
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हादसे के लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज हो
वहीं दूसरी ओर पूर्व जिला पालकमंत्री डॉ. सुनील देशमुख ने होटल इम्पिरिया में लगी आग और इसमें हुई एक व्यक्ति की मौत से संबंधित घटना को बेहद गंभीरता से लिया है. डॉ. देशमुख के मुताबिक इस हादसे के लिए संबंधित होटल के संचालक जीतने जिम्मेदार है, उतनी ही जिम्मेदारी मनपा प्रशासन के अधिकारियों की भी बनती है. क्योंकि जिस तरह सभी आस्थापनाओं के लिए फायर ऑडिट करवाना अनिवार्य है, उसी तरह सभी आस्थापनाओं का फायर ऑडिट हुआ है अथवा नहीं, इसकी जांच करने का जिम्मा प्रशासनिक अधिकारियों का है. सर्वसामान्य नागरिकों द्वारा अदा किये जाते टैक्स के पैसे से भारी-भरकम वेतन लेनेवाले अधिकारी अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन किये बिना हाथ पर हाथ धरे बैठे रहते है. ऐसे में जब तक अधिकारियों की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करते हुए उन पर कार्रवाई नहीं की जाती, तब तक ऐसी घटनाएं घटित होती ही रहेगी और अकारण ही लोगों की जाने भी जाती रहेगी. ऐसे में बेहद जरूरी है कि, होटल इम्पिरिया के संचालक सहित इस हादसे के लिए जिम्मेदार मनपा अधिकारियों के खिलाफ भी सदोष मनुष्यवध का अपराध दर्ज किया जाये.
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साल में दो बार फायर ऑडिट जरूरी
जानकारी के मुताबिक हर तरह की इमारत में अग्निशमन यंत्र सहित अग्निरोधी व्यवस्था उपलब्ध रहना तो आवश्यक है ही, ताकि उनका प्रयोग आग लगने की सूरत में आग को बुझाने हेतु किया जा सके. साथ ही सभी अग्निशमन यंत्र सुस्थिति में है अथवा नहीं, इसकी पडताल करने हेतु साल में दो बार यानी जनवरी व जुलाई माह में फायर ऑडिट का बी-प्रमाणपत्र मुख्य अग्निशमन अधिकारी से प्राप्त करना भी अनिवार्य होता है. किंतु हकीकत यह है कि, मनपा क्षेत्र अंतर्गत कई आस्थापनाओं में अग्निशमन यंत्र व अग्निशमन व्यवस्था ही उपलब्ध नहीं है. ऐसे में संबंधितों द्वारा फायर ऑडिट करवाने तथा ना-हरकत प्रमाणपत्र या साल में दो बार लेने का तो सवाल ही नहीं उठता, लेकिन सबसे बडा सवाल यह है कि, यदि लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे या नियमों की अनदेखी कर रहे है, तो कानून का पालन करवाने हेतु भारी-भरकम वेतन व तमाम तरह की सुविधाओं के साथ नियुक्त किये गये प्रशासनिक अधिकारी क्या कर रहे है और उनके रहते अमरावती शहर में 300 से अधिक होटल व लॉज बिना फायर ऑडिट के कैसे चल रहे है. यहां पर मसला केवल होटल व लॉज का ही नहीं है. बल्कि हकीकत यह है कि, शहर में कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों व आस्थापनाओं में भी फायर ऑडिट नहीं किया गया है. इसमें से कई व्यापारिक प्रतिष्ठान तो शहर के प्रमुख व्यापारिक क्षेत्रोें में बेहद सकरे स्थानों पर स्थित है. ऐसे में कभी भी किसी बडे हादसे की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता.