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जिले के बांधों में गत वर्ष से कम जलसंग्रह

बांध क्षेत्रों में बारिश कम होने का असर

अमरावती/प्रतिनिधि दि.9 – गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष बारिश के मौसम दौरान बांधों के जलसंग्रहण क्षेत्रों में बेहद कम वर्षा हुई है. जिसका सीधा परिणाम बांधों के जलस्तर पर पडा है और गत वर्ष की तुलना में इस बार जिले के सभी बांधों में काफी कम जलसंग्रहण हुआ है. इस समय जिले के सभी बांधों में 567 दलघमी जलसंग्रहण है, जो कुल क्षमता की तुलना में 56 फीसदी है. वहीं गत वर्ष इस समय करीब 70 फीसदी औसत जलसंग्रहण हो चुका था. यानी इस बार गत वर्ष की तुलना में 14 फीसद कम जलसंग्रहण हुआ है. वहीं इस समय तक एक भी बांध में शत-प्रतिशत जलसंग्रहण नहीं हो पाया है.
ज्ञात रहें कि, अमरावती सहित वर्धा जिले की सिंचाई तथा पेयजल से संबंधित जरूरतों को पूर्ण करनेवाले अप्पर वर्धा बांध में इस समय 336 दलघमी जलसंग्रहण हुआ है. इस वर्ष बांध के जलसंग्रहण क्षेत्र में 384 मिमी बारिश हुई है, जबकि गत वर्ष इस समय तक बांध के जलसंग्रहण क्षेत्र में 501 मिमी वर्षा हुई थी. जिसके बाद बांध में 480 दलघमी का जलसंग्रहण हुआ था. ऐसे में गत वर्ष की तुलना में इस बार 144 दलघमी की कमी देखी जा रही है. हालांकि जलसंपदा विभाग को उम्मीद है कि, अगस्त माह में होनेवाली बारिश के चलते यह कमी पूरी हो जायेगी. किंतु जुलाई माह के मध्य में हुई झमाझम बारिश के बाद मौसम एक बार फिर पूरी तरह से साफ हो गया है और बारिश दोबारा नदारद हो गई है. जिसकी वजह से सभी के माथे पर चिंता की लकीरे देखी जा रही है. बता दें कि, अमरावती जिले के एकमात्र सबसे बडे बांध अप्पर वर्धा प्रकल्प पर अमरावती शहर सहित मोर्शी, वरूड, धामणगांव रेल्वे व तिवसा तहसील सहित ग्रामीण जलापूर्ति योजना, 70 गांव जलापूर्ति योजना तथा वर्धा जिले की जलापूर्ति योजनाओं का भी जिम्मा है.
इसके अलावा जिले के पांच मध्यम प्रकल्पों में से अंजनगांव सूर्जी व दर्यापुर तहसील के लिए वरदान साबित हो चुके शहानूर बांध में इस समय 31 दलघमी यानी 68 फीसदी जलसंग्रहण है. इस बांध के जलग्रहण क्षेत्र में इस वर्ष 312 मिमी वर्षा हुई है, जबकि गत वर्ष इसी समय तक 613 मिमी वर्षा हुई थी. वहीं अचलपुर परिसर स्थित चंद्रभागा प्रकल्प के जलग्रहण क्षेत्र में 486 मिमी पानी बरसा है. जिसके चलते इस बांध में 30 दलघमी यानी 74 फीसदी जलसंग्रहण हुआ है. वहीं चांदूर बाजार तहसील में स्थित पूर्णा प्रकल्प में इस समय 22 दलघमी यानी 64 फीसद जलसंग्रहण है. इस बांध के जलग्रहण क्षेत्र में इस वर्ष 401 मिमी बारिश हुई है, जो गत वर्ष की तुलना से 198 मिमी कम है. साथ ही सापन प्रकल्प के जलग्रहण क्षेत्र में इस वर्ष 69 प्रतिशत यानी 26 दलघमी जलसंग्रहण हुआ है. इस बांध के जलग्रहण क्षेत्र में गत वर्ष 412 मिमी बारिश हुई थी. वहीं इस वर्ष 370 मिमी बारिश हुई है. इसके अलावा वरूड तहसील के पंढरी मध्यम प्रकल्प में मात्र 4 दलघमी जलसंग्रहण हुआ है. वहीं जिले के 84 लघु प्रकल्पों में कुल जलसंग्रहण क्षमता की तुलना में 50 फीसदी से भी कम जलसंग्रहण हो पाया है. जिसे समाधानकारक नहीं कहा जा सकता.

  • किसानों की आंखे फिर आसमान की ओर

15 दिनों से बारिश है नदारद, फसले संकट में

विगत माह राज्य के कई हिस्सों में हुई मूसलाधार बारिश के चलते अतिवृष्टि व बाढ जैसे हालात रहे. किंतु इसके बाद बारिश एक बार फिर नदारद हो गई. जिसकी वजह से अब किसानों की चिंताएं बढने लगी है. साथ ही विदर्भ, मराठवाडा व मध्य महाराष्ट्र में विगत एक माह से अपेक्षित बारिश नहीं होने के चलते खरीफ सीझन की फसलें खतरे में आ गई है. इसके अलावा कई स्थानों पर लगातार बदरीला मौसम बने रहने की वजह से फसलों पर विभिन्न तरह की बीमारियों का संक्रमण फैलने का भी खतरा है. जिससे अमरावती जिले व विदर्भ सहित समूचे राज्य के किसानों में चिंता का वातावरण देखा जा रहा है.
बता दें कि, जुलाई माह के दूसरे व तीसरे सप्ताह के दौरान कोंकण व पश्चिम महाराष्ट्र क्षेत्र में हुई अतिवृष्टि की वजह से किसानों का काफी नुकसान हुआ. फसलों के नुकसान के साथ-साथ बडे पैमाने पर मनुष्य हानी व वित्त हानी भी हुई है. इस प्राकृतिक आपदा से संबंधित क्षेत्रों के किसान अभी जैसे-तैसे संभलने की कोशिश कर रहे है. वहीं दूसरी ओर राज्य के अन्य क्षेत्रों में बारिश का अभाव रहने की वजह से किसानों की अवस्था काफी बिकट हो रही है, क्योंकि विदर्भ, मध्य महाराष्ट्र, मराठवाडा के साथ-साथ पश्चिम महाराष्ट्र में भी विगत पंद्रह दिनों से बारिश नदारद है. वहीं मौसम विभाग ने अनुमान जताया है कि, आगामी चार-पांच दिनों तक यहीं स्थिति कायम रहेगी. ऐसे में किसान बडी उम्मीदों के साथ आसमान की ओर टक-टकी लगाये बैठे है.

  • गरमी और उमस में हो रहा इजाफा

विगत 15 दिनों से बारिश के नदारद रहने और बीच-बीच में लगातार बदरीला मौसम बने रहने की वजह से एक बार फिर वातावरण उमस से भर रहा है और कभी-कभार खिलनेवाली धुप गरमी को बढाने का काम कर रही है. जिससे एक बार फिर जुलाई माह के पहले सप्ताह जैसे हालात बन रहे है. जिसके चलते लोगबाग एक बार फिर गरमी और उमस से काफी हद तक हलाकान हो गये है तथा एक बार फिर कूलर शुरू करते हुए गरमी से निजात पाने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन उमसभरी गरमी के सामने कूलर भी नाकाम साबित हो रहे है.

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