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नराधमी भाई को आजीवन कारावास

 सगी बहन के साथ किया था दुराचार

  • एड. सोनाली क्षीरसागर ने दिये अकाट्य तर्क

अमरावती/प्रतिनिधि दि.29 – अपनी सगी बहन के साथ दुराचार करनेवाले नराधमी व कलियुगी भाई को स्थानीय अतिरिक्त जिला व सत्र न्यायाधीश डी. डब्ल्यू. मोडक की अदालत ने दोषी करार देने के साथ ही धारा 376 (2) (एफ) के तहत आजीवन कारावास तथा 20 हजार रूपये के आर्थिक जुर्माने की सजा सुनायी. जुर्माना अदा नहीं करने पर आरोपी को छह माह के अतिरिक्त सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी. इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से एड. सोनाली सुबोध क्षीरसागर ने शानदार ढंग से पैरवी करते हुए अकाट्य तर्क प्रस्तुत किये. जिनके दम पर अदालत ने आरोपी को दोषी करार दिया.
इस संदर्भ में मिली जानकारी के मुताबिक पीडिता एचआईवी पॉजीटीव संक्रमित रहने के चलते विगत पांच वर्ष से अपने बेटे आयुष (5) को लेकर दारापुर निवासी अपनी मां वच्छला समाधान धंदर के घर में यानी अपने मायके में रह रही थी. जहां पर पीडिता का भाई सुनील समाधान धंदर (34) भी रहा करता था. 14 नवंबर 2019 को रात करीब 9.30 बजे के दौरान पीडिता अपने घर में अकेली थी. जिसे देखकर रिश्ते में सगा भाई रहनेवाले सुनील धंदर के मन में शैतान जाग गया और उसने अपनी सगी बहन को जमीन पर गिराकर उसके साथ दुराचार किया. साथ ही इस समय शोर-शराबा मचाने का प्रयास करने पर सुनील धंदर ने अपनी बहन को चूप रहने और मुंह बंद रखने के लिए धमकाया. साथ ही उसका मोबाईल भी छीन लिया, जो उसने दूसरे दिन पीडिता को वापिस लौटाया. इसके बाद पीडिता द्वारा शिकायत दिये जाने पर खोलापुर पुलिस थाने द्वारा आरोपी सुनील धंदर के खिलाफ भादंवि की धारा 376 (2) (एफ) के तहत अपराध दर्ज किया गया और मामले की जांच पुरी करने के बाद अदालत में दोषारोप पत्र दायर किया गया. जहां पर अभियोजन पक्ष द्वारा कुल 8 गवाह पेश किये गये और सभी गवाह अपने बयान पर कायम ही रहे. साथ ही अभियोजन पक्ष द्वारा पुख्ता सबूत पेश करते हुए शानदार ढंग से पीडिता का पक्ष पेश किया गया. जिसके चलते अतिरिक्त सह सत्र न्यायाधीश डी. डब्ल्यू. मोडक ने आरोपी सुनील समाधान धंदर को धारा 376 (2) (एफ) के तहत दुराचार का दोषी करार देते हुए उसे आजीवन कारावास व 20 हजार रूपये के जुर्माने की सजा सुनायी.
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से विशेष सरकारी वकील एड. सोनाली सुबोध क्षीरसागर ने युक्तिवाद किया. साथ ही खोलापुर पुलिस थाने के एपीआई किशोर जुनघरे ने जांच अधिकारी के तौर पर इस मामले की बेहतरीन ढंग से जांच की.

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