बलात्कारी को उम्रकैद
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जिला व सत्र न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला
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वरुड तहसील के घोराड गांव की घटना
अमरावती/प्रतिनिधि दि. 3 – एक बोरी में भरकर नाबालिग लडकी को उठाकर ले जाने के बाद वरुड तहसील के घोराड गांव के पास वर्धा नदी में ले जाकर उस लडकी पर बलात्कार किया. स्थानीय जिला न्यायालय क्रमांक 3 के न्यायमूर्ति निखिल पी.मेहता की अदालत में दोष साबित होते पर आरोपी रेवनाथ उर्फ सूर्यभान धुर्वे को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई.
रेवनाथ उर्फ सूर्यभान रामप्रसाद धुर्वे (32, फिलहाल सिंधी झुनकी, कलमेश्वर जिला नागपुर) यह उम्र कैद की सजा तथा 5 हजार रुपए जुर्माने की सजा पाने वाले नराधमी आरोपी का नाम है. मिली जानकारी के अनुसार 27 अप्रैल 2018 की दोपहर 12.30 बजे आरोपी रेवनाथ धुर्वे ने पांच वर्षीय नाबालिग लडकी को एक बोरी में बांधकर घोराड गांव स्थित वर्धा नदी के किनारे ले गया और उस नाबालिग लडकी पर बलात्कार किया. आरोपी बोरी में कुछ ले जा रहा है, ऐसा चष्मदीद गवाहों ने देखा था. यह अपने बयान में अदालत के सामने कहा, उसके बाद पीडित लडकी को काफी तकलीफ हो रही थी, उसकी मां ने लडकी से पूछताछ की और उसकी जांच भी की. इस समय रात का काफी समय हो जाने के कारण वह वरुड पुलिस थाना घोराड गांव से 20 किलोमीटर दूर होने के कारण दूसरे दिन शिकायत दी गई. इससे पहले पीडित लडकी की मां ने आरोपी से पूछताछ की. मगर आरोपी ने लडकी की मां से विवाद करने के बाद फरार हो गया. 30 अप्रैल 2018 के दिन आरोपी रेवनाथ को वरुड पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. शिकायत के बाद वरुड ग्रामीण अस्पताल में पीडित लडकी की मेडिकल जांच की गई मगर लडकी के जख्म को देखते हुए अमरावती के सुपर स्पेशालिटी में भर्ती किया गया. उस समय पीडित लडकी के शरीर पर 11 जख्म के निशान थे.
सभी जांच पूरी करने के बाद वरुड की पुलिस उपनिरीक्षक प्रिया उमाले ने आरोपी रेवनाथ के खिलाफ दफा 366 (अ), 376 (2)(आई)(जे)व धारा 4,6,10 पोस्को एक्ट के तहत अदालत में दोषारोप पत्र दायर किया. इस मुकदमें में सहायक सरकारी वकील दिलीप तिवारी ने 10 गवाहों के बयान लिये, जिसमें चार स्वास्थ्य अधिकारियों का समावेश था. सरकारी गवाहों के बयान व सहायक सरकारी वकील दिलीप तिवारी की दलीलों को मान्य करते हुए विद्यमान जिला व सत्र न्यायालय क्रमांक 3 के न्यायमूर्ति निखिल मेहता की अदालत ने रेवनाथ धुर्वे को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई. साथ ही पांच हजार रुपए का जुर्माना ठोका. इस मुकदमें में पैरवी अधिकारी के रुप में ए.एस.आई अशोक पवार ने कामकाज देखा.