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लॉकडाउन में शराब ने ही बढाया ‘एक्साईज’ का राजस्व

प्रतिबंध जारी रहने के दौरान भी शराब की अवैध बिक्री होने का संदेह

  • विदर्भ सहित मराठवाडा व नासिक संभाग में हुई ‘ज्यादा कमाई’

अमरावती/प्रतिनिधि दि.१८ – कोविड संक्रमण व लॉकडाउन के चलते विगत एक वर्ष से बीयरबार, परमीट रूम, वाईनशॉप, देशी शराब की दुकाने तथा हाईवे पर स्थित ढाबे बंद पडे है. ऐसे में माना जा रहा था कि, विगत एक वर्ष से लाईसेन्स प्राप्त शराब की बिक्री घट गयी है. किंतु हकीकत में शराबियों ने इस अनुमान को गलत साबित कर दिया है, क्योेंकि विदर्भ सहित मराठवाडा व नासिक संभाग में राज्य उत्पादन शुल्क विभाग को शराब की बिक्री से मिलनेवाले राजस्व में वृध्दि हुई है. इससे यह साबित होता है कि, इन संभागों में लॉकडाउन काल के दौरान भी चोरी-छिपे तरीके से बडे पैमाने पर शराब की बिक्री की गई है.
विगत एक वर्ष से चले आ रहे कोविड संक्रमण व लॉकडाउन की वजह से सभभ तरह के व्यापार-व्यवसाय व उद्योग ठप्प हो गये है. इसका परिणाम अर्थ व्यवस्था पर भी होता दिखाई दे रहा है और सरकार को विभिन्न मार्गों से प्रति वर्ष मिलनेवाला राजस्व घट गया है. शराब सरकार को सर्वाधिक राजस्व देनेवाला स्त्रोत है और यदि इस राजस्व पर नजर डाली जाये, तो इस वर्ष कोरोना व लॉकडाउन काल के दौरान भी शराब से मिलनेवाले राजस्व में अच्छीखासी वृध्दि हुई है. ऐसे में अब यह सबसे बडा सवाल है कि, जब बीते आर्थिक वर्ष में अधिकांश समय शराब बिक्री के सभी रास्ते बंद थे, तो शराब की बिक्री कैसे हुई, इस बात का पता लगाने की चुनौती लॉकडाउन व संचारबंदी घोषित करनेवाले दंडाधिकारी अधिकारी तथा आदेश पर अमल करनेवाले पुलिस प्रशासन के सामने है.
जानकारी के मुताबिक इस वर्ष एक्साईज को सभी संभागों में करीब 15 प्रतिशत अधिक राजस्व वसूली का लक्ष्य दिया गया था और औरंगाबाद व नासिक संभाग में तय लक्ष्य से अधिक राजस्व की वसूली हुई. वहीं पुणे, कोल्हापुर व ठाणे विभाग इस मामले में थोडा ही पीछे रहे. ऐसे में वहां पर कोविड संक्रमण काल व लॉकडाउन काल के दौरान बडे पैमाने पर चोरी-छिपे तरीके से शराब की अवैध बिक्री होने की आशंका व्यक्त की जा रही है. वहीं एक्साईज विभाग का कहना है कि, देशी शराब पर 1 अप्रैल से बढाये गये शुल्क की वजह से कुछ विभागों में अधिक राजस्व वसूली हुई है.

  • अमरावती में स्वतंत्र उपायुक्त देने पर विचार

समूचे विदर्भ के लिए नागपुर में एक ही राज्य उत्पादन शुल्क उपायुक्त है. किंतु अब इसका विभाजन कर अमरावती संभाग के लिए स्वतंत्र उपायुक्त दिये जाने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है. तीन से साढे तीन हजार बडे शराब लाईसेन्स धारक रहने पर किसी भी क्षेत्र को स्वतंत्र विभाग घोषित किया जा सकता है. अमरावती संभाग में फिलहाल यह संख्या 2 हजार 600 से अधिक है. इस संख्या के अलावा संभाग के भौगोलिक क्षेत्र को ध्यान में रखते हुए अमरावती को स्वतंत्र एक्साईज उपायुक्त दिया जा सकता है. ऐसा माना जा रहा है.

  • विदर्भ से 644 करोड का राजस्व

शराब बिक्री के जरिये विदर्भ क्षेत्र के 11 जिलों से 644 करोड रूपयों का राजस्व राज्य उत्पादन शुल्क विभाग द्वारा वसूल किया गया है. जिसमें वर्ष 2019 की तुलना में करीब साढे 5 प्रतिशत की वृध्दि हुई है. ऐसे में जारी वर्ष के लिए विदर्भ में एक्साईज विभाग के राजस्व वसूली लक्ष्य में 40 करोड रूपयों की वृध्दि करते हुए 684 करोड रूपयों का लक्ष्य तय किया गया है.

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